न्यूज़ीलैंड में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री जसिंद आर्डर्न इसे देश के इतिहास का काला दिन बताया । पूरी दुनिया इस आतंकी हमले पर हतप्रभ है। लेकिन आतंकवादी मतलब मुसलमान बताने में जुटे भारतीय मीडिया के लिए काफी मुश्किल हो रही है। हमलावर अश्वेत भी नहीं है कि मीडिया की मानसिक बुनावट में वह आतंकी बतौर फिट हो पाता। नतीजा ये है कि एकआध अपवाद को छोड़कर ज्यादातर बड़े अख़बारों की हेडलाइन में आज घटनी की हेडलाइन में आतंकी ‘शब्द’ ही नहीं है।
प्रमुख हिंदी अखबार के पहले पन्ने की तस्वीर ऊपर है। हेडलाइन में कहीं आतंकी या आतंकवादी शब्द नहीं है। अब जरा प्रसार के लिहाज से नंबर एक अख़बार दैनिक जागरण का हाल देखिए। यहाँ आतंकी की तस्वीर में भी महज बंदूकधारी बताया गया है। (ऊपर की तस्वीर में लाल घेरा देखें )
ये रहा अमर उजाला, यहाँ भी आतंकी शब्द नहीं है हेडलाइन में।
अब देखिए नवभारत टाइम्स। टाइम्स ग्रुप के इस अखबार की हाल भी जागरण जैसे होता जा रहा है।
राजस्थान पत्रिका में तो आतंकी को ‘सनकी’ बता दिया गया है। जैसे हमला दिमागी असंतुलन का नतीजा है। हालाँकि एक बीच में छोटा सा न्यूजीलैंड आतंकी हमला लिखा गया है।
दैनिक भास्कर इस मामले में एक अपवाद साबित हुआ है। इस अखबार ने हेडलाइन में हमलावर को साफतौर पर आतंकी बताया है।
ये सारे अखबार हिंदी के सबसे बड़े अखबार हैं। ‘सभी मुस्लिम आतंकवादी नहीं, लेकिन सभी आतंकवादी मुसलमान हैं’ का भ्रम फैलाने में जुटे मीडिया की दिमाग़ी हालत ऐसी ही है। एक गैरमुस्लिम श्वेत को आतंकवादी लिखने में उसके हाथ काँप गए।