यह लड़ाई हिटलर बनाम लेनिन की है: दीपांकर भट्टाचार्य

भाजपा महासचिव राम माधव ने “त्रिपुरा बदल दो” नारे के साथ लेनिन की मूर्ति के विध्वंस का जश्न मनाया। आरएसएस कहता है कि भारत को लेनिन से क्या लेना देना है? भगत सिंह और उनके साथी लेनिन से प्रेरणा ग्रहण करते हुए अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ते हुए फांसी पर चढ़ गए, वहीं आरएसएस हिटलर तथा मुसोलिनी की पूजा करते तथा अंग्रेज शासकों के साथ सांठगांठ करते हुए ही पले बढे हैं। लिहाजा, यह हमला भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रगतिशील साम्राज्यवाद विरोधी विरासत पर है। किसान झुग्गी झोपड़ीवासी, फुटपाथ दुकानदार, पकौड़ा विक्रेता आज ऐसे सारे लोग बुलडोजर की मार झेल रहे हैं। लेनिन अकेले नहीं हैं वह उनलोगों के साथ हैं,जो आज भारत में जमीन, जीविका और मर्यादा के  लिए संघर्ष कर रहे हैं। दरअसल यह लड़ाई आरएसएस व सावरकर(जिसने अंग्रेजों से माफ़ी मांगी और शहीदों का मखौल उड़ाया) बनाम भगत सिंह( जिसने आजादी के लिए लड़ते हुए शहीदों की मौत धारण की) के बीच है। यह लड़ाई हिटलर और लेनिन की है यह लड़ाई कार्पोरेट बुलडोजर बनाम मेहनतकश लोगों और उनके जीवन और जीविका की है।

First Published on:
Exit mobile version