भारतीय भाषाओं को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जगह दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे श्यामरुद्र पाठक को आज लगातार तीसरे दिन गिरफ़तार करके संसद मार्ग थाने ले जाया गया। थाने के एसएचओ अशोक कुमार ने आज उन पर हाथ भी छोड़ दिया। कल तक तू-तड़ाक करने वाले दिल्ली पुलिस के इस अफ़सर ने आज उन्हें माँ-बहन की गालियाँ दीं और ज़मीन पर गिराने के लिए धक्का दिया।
बाद में श्यामरुद्र पाठक और उनके साथियों को थाने की कैंटीन से कुछ खाने की इजाज़त भी नहीं दी गई।
जानकारी के मुताबिक श्यामरुद्र पाठक अपने साथी प्रेमचंद अग्रवाल के साथ दोपहर 1 बजकर 25 मिनट जब नॉर्थ और साउथ ब्लॉक से होते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर जा रहे थे तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। वे 3 मई से यह सत्याग्रह कर रहे हैं जिसमें पहले पीएओ में जाकर ज्ञापन देना और फिर पीएमओ के बाहर धरना देने का ऐलान किया जाता है। लेकिन पुलिस उन्हें रोज़ ही पकड़ लेती है।
हर गुज़रते दिन के साथ पुलिस की बद्तमीज़ी बढ़ती जा रही है। उन्हें धमकी तो पहले दिन से मिल रही है, लेकिन गाली और मारपीट से सामना आज ही हुआ।
आज यानी 5 मई को सत्याग्रह के लिए निकलने से पहले श्यामरुद्र पाठक ने फ़ेसबुक पर 4 मई का विवरण दर्ज कुछ यूँ दर्ज किया है–
Shyam Rudra Pathak
5 hrs ·
परसों की तरह प्रधानमंत्री कार्यालय जाने से पहले ही पुलिस ने हमें कल (4 मई को) नहीं पकड़ा | लगभग सबा ग्यारह बजे पीएमओ पहुँचने के बाद धरना पर बैठने से पहले मैंने प्रधानमन्त्री कार्यालय के अन्दर जाकर अपने पुराने पत्रों पर हुई कार्रवाई के बारे में पूछताछ की | कोई जानकारी नहीं मिली | फिर मैंने वहीं बैठकर अपने इस सत्याग्रह से समबन्धित दो अलग-अलग पत्र और उनकी प्रतिलिपि लिखे और उनको जमा करके उनकी प्राप्ति ली |
मैं और प्रेम चन्द अग्रवाल जी प्रधानमन्त्री कार्यालय के सामने धरना पर बैठने गए थे | हमें धरना पर बैठने नहीं दिया गया | पुलिस हमें संसद मार्ग थाना ले गई और रात को पौने आठ बजे हमें मुक्त किया |
आज भी हम प्रधानमन्त्री कार्यालय के सामने धरने पर बैठने के लिए जा रहे हैं |
Shyam Rudra Pathak
5 hrs ·
जो लोग हमारा उत्साह वर्धन करने के लिए हमसे मिलने के लिए थाने में आते हैं, वे अपना समय बर्बाद करते हैं |
हमें किसी उत्साह-वर्धन की आवश्यकता नहीं है |
अगर आप वाकई हमारे अभियान में अपना कोई योगदान देना चाहते हैं, तो कम से कम एक दिन प्रधानमन्त्री कार्यालय के सामने धरना पर बैठने के लिए जाइए | धरना पर बैठने से पहले प्रधानमन्त्री कार्यालय में जाकर इस मामले में अपना पत्र जमा कीजिए और उसकी प्रतिलिपि पर उसकी प्राप्ति लीजिए | संभावना यही है कि आपको भी पुलिस गाड़ी में बिठाकर संसद मार्ग थाना ले जाए |
अगर आप किसी कारण से प्रधानमन्त्री कार्यालय नहीं जा सकते तो इस मामले में प्रधान-मंत्री को लिखिए और अलग-अलग फोरम पर चर्चा कीजिए |
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