DD News उत्‍तराखंड में स्ट्रिंगरों का 35 लाख रुपया लैप्‍स, आठ महीने पहले शुरू हुई सेवा संकट में

एक अनाम स्ट्रिंगर का समाचार संपादक के खिलाफ़ रोष भरा पत्र  


शुरू होने के लगभग आठ महीने बाद ही उत्तराखंड में देहरादून से लॉन्‍च हुए दूरदर्शन समाचार को नए आए समाचार संपादक राघवेश पांडेजी की नीतियों की वजह से ग्रहण सा लगने लगा है। हाल ये है कि उत्तराखंड में दूरदर्शन के लिए काम कर रहे स्ट्रिंगरों के लिए आए 37 लाख के सालाना बजट में से 35 लाख लैप्‍स हो गया है। स्ट्रिंगरों को वर्ष भर होने को है लेकिन उन्हें उनके काम के लिए मात्र दो माह का ही भुगतान किया गया है। शेष महीनों के बिलों के बारे में कहीं अता—पता नहीं है। थोड़ा सा उत्तराखंड में दूरदर्शन के बारे में बता दें।

गुरूवार 29 जून 2017 को केन्द्रीय मंत्री श्री वेंकैया नायडू एवं मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संयुक्त रूप से देहरादून में दूरदर्शन एवं आकाशवाणी केन्द्र का लोकार्पण किया। लोकार्पण के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के सहयोग से स्थानीय बोली, भाषा व संस्कृति की झलक मिलेगी जो कि उत्तराखण्ड की विशिष्ट पहचान है। यह पहचान दूरदर्शन व आकाशवाणी के माध्यम से अच्छी तरह सामने आएगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय संस्कृति और भाषा-बोली पर आधारित कार्यक्रमों से राज्य की संस्कृति समृद्ध होगी। शीघ्र ही 24×7 संबंधित सेवाएं दूरदर्शन से मिलेंगी। आपदा व सामरिक दृष्टि से अतिसंवेदनशील राज्य होने के कारण दूरदर्शन एवं आकाशवाणी की महत्ता दूर-दूराज एवं दूरस्थ क्षेत्रों के लिए और अधिक बढ़ जाती है।

https://youtu.be/MtwKbnZKfWI

इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा था कि ”मैं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री नायडू का ह्दय से आभार जताना चाहूंगा, कि उत्तराखण्ड, देहरादून में आकाशवाणी एवं दूरदर्शन ने विधिवत अपने चैनल की शुरूआत की है। दूरदर्शन ने अपने कुटुंब में एक और राज्य को जोड़ लिया है। दूरदर्शन व आकाशवाणी उत्तराखंड की प्रगति में मील का पत्थर साबित होगा। आरंभ से ही दूरदर्शन ने जन सरोकारों से जुड़े मुददों को प्राथमिकता दी है। देश में जनसामान्य का सबसे पसंदीदा चैनल आज भी दूरदर्शन ही है।”

उन्होंने आशा व्यक्त की थी कि उत्तराखण्ड में भी दूरदर्शन इसी उत्साह से काम करेगा और उत्तराखंड के सूदूर गांवों की खबरों को जन-जन तक पहुंचाएगा। उत्तराखंड की संस्कृति, उत्तराखंड के तीर्थाटन, यहां के पर्यटन को एक नए कलेवर में दूरदर्शन पेश करेगा। इस प्रयास से किसानों से जुड़ी खबरों को भी प्राथमिकता मिलेगी। युवाओं को उनके कैरियर से जुड़ी आशंकाओं और नई जानकारियां उपलब्ध कराने में ये चैनल अपनी सार्थक भूमिका निभाएगा। उन्होंने दूरदर्शन की पूरी टीम को बधाई दी।

मुख्यमंत्री ने कहा था कि दूरदर्शन की विश्वसनीयता व निष्पक्षता आज भी कायम है। उत्तराखण्ड में होने वाली चारधाम यात्रा के संदर्भ में यह सही व विश्वसनीय समाचार सेवा का प्रमुख माध्यम बनेगा तथा हमारी क्षेत्रीय पहचान को भी सामने लाएगा।

ये थी जनता को बेवकूफ बनाने वाली एक भव्‍य कहानी…

इसके बाद 15 जुलाई 2017 से दूरदर्शन को सैटेलाइट मोड से भी जोड़ दिया गया। इसके समाचारों का समय उत्तरप्रदेश दूरदर्शन पर रोजाना 8 बजे से 8:15 तक रोजाना 15 मिनट का प्रादेशिक समाचार रखा गया।

दूरदर्शन समाचार बुलेटिन शुरू होने से पहले राज्य के हर जिले में स्ट्रिंगरों की भर्ती निकाली गई। चयन प्रक्रिया पूरी होने के एक माह बाद जून से उनसे काम लेना शुरू कर किया गया। तब तात्कालीन समाचार संपादक के कार्यभार पर म​णिकांत ठाकुर थे। इनके जज्बे, उत्साह और लगन से सभी जिलों से लगातार खबरें आनी शुरू हुईं और दूरदर्शन के उत्तराखंड बुलेटिन ने जल्द ही प्रसिद्धि पा ली। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा जनता के हित में किए जा रहे कामों के साथ ही जनता के दुख—दर्द को भी बुलेटिन में प्रमुखता से जगह मिलने लगी थी। खबरों की विश्वसनीयता के चलते जनता का रूख दूरदर्शन की ओर होते चला गया। इसके साथ ही जिले के आलाधिकारी भी दूरदर्शन की खबरों को लेकर सचेत होते चले गए।

अचानक कुछ ही माह में मणिकांत ठाकुर का तबादला दिल्ली हो गया और उनकी जगह पर पांडेजी ने कार्यभार ग्रहण किया। पांडेजी के कार्यभार ग्रहण करते ही उत्तराखंड दूरदर्शन में ग्रहण लग गया। पांडेजी पहले आकाशवाणी देखते थे। दूरदर्शन में आते ही इन्होंने पहले स्टाफ को जमकर फटकारना शुरू किया और जब जी नहीं भरा तो जिलों के स्ट्रिंगरों को गरियाना शुरू कर दिया। स्ट्रिंगरों ने इस पर प्रतिकार किया तो देहरादून स्टाफ को स्ट्रिंगरों को हड़काने का हुक्म दे डाला। यह कारगर साबित न हो सका। इनका हाल ये रहा कि बु​लेटिन के लिए खबरें तैंयार करते स्टाफ वालों को ये आकाशवाणी की ही तर्ज पर खबरें बनाने का हुक्म देते। स्टाफ वालों के ये समझाने पर कि ये आकाशवाणी नहीं दूरदर्शन का बुलेटिन है, ये चिढ़ जाते और आंखिर में स्टाफ ही खुद बुलेटिन तैंयार कर उन्हें चलाते रहा। अनुभव की कमी होने पर पांडेजी खबरों की बाढ़ को संभालने के बजाय स्टाफ और स्ट्रिंगरों पर ही झल्लाते रहते हैं।

दिल्ली द्वारा उत्तराखंड में दूरदर्शन बुलेटिन की समाचार व्यवस्था के लिए स्ट्रिंगरों के लिए साल भर का 37 लाख रूपये का कोटा निर्धारित किया गया था जो कि हर साल बढ़ना था।

जिलों में दूरदर्शन के स्ट्रिंगरों की नियुक्ति में यह बात साफ थी कि बुलेटिन में पहली खबर का 1200 रुपया और उसी दिन लगने वाली अन्य दूसरी खबरों के लिए प्रति खबर 900 रुपया तथा 15 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी के लिए 1500 रुपया का भुगतान किया जाएगा। पांडेजी ने आते ही इन मानकों की धज्जियां उड़ा दीं। उन्होंने सभी स्टिंगरों को ताकीद किया कि बजट ज्यादा नहीं है इसलिए 18 खबरों का ही भुगतान संभव हो सकेगा। दूरदर्शन के उत्तराखंड बुलेटिन की लाज के खातिर मजबूरन स्ट्रिंगरों खबरें ने भेजना जारी रखा।

स्ट्रिंगरों को मेल से बिल का फॉर्मेट भेज दिया गया, जिसमें 18 खबरों तक के ही कॉलम थे। इसके बाद पांडेजी के आदेशानुसार देहरादून से ही स्ट्रिंगरों को बिल के लिए खबरों की संख्या बताई जाने लगी जो कि दस से लेकर पन्द्रह तक के बीच ही होती थी, जबकि अधिकतर स्ट्रिंगरों द्वारा महीने में 30 से 40 खबरें भेजी जाती थीं और प्राय: वे लगती भी रहीं। बमुश्किल अगस्त और सितंबर का बिल रो—रो कर दिया गया। उसके बाद के बिल भरवाकर मंगा लिए गए हैं, वे कब मिलेंगे ये किसी को मालूम नहीं क्योंकि इस बीच पांडेजी और तथाकथित स्टाफ की अकर्मण्‍यता के चलते दिल्ली दूरदर्शन के ऑडिट विभाग द्वारा ​ऑडिट किए जाने पर पता चला कि 35 लाख रूपया लैप्‍स हो गया है।

अब पांडेजी के स्टाफ को निर्देश हैं कि स्ट्रिंगरों की खबरों के बजाय सूचना विभाग से ही खबरें लेकर काम चलाएं, बड़ी खबर होने पर ही स्ट्रिंगरों की खबर ली जाए। इसके अलावा बुलेटिन में देश—विदेश की खबरों को प्रमुखता दें।

बहरहाल, पांडेजी की इस तानाशाही के चलते लगता नहीं कि उत्तराखंड में दूरदर्शन समाचार बुलेटिन के प्रति जनता का रूझान बढ़ेगा जबकि इस बुलेटिन में दिन में भी समाचार दिखाए जाने का प्रस्ताव रखा गया था।


यह पत्र मीडियाविजिल को उत्‍तराखण्‍ड के एक पत्रकार ने भेजा है जो दूदरदर्शन समाचार से जुड़े हैं। उन्‍होंने अपना नाम गोपनीय रखने को कहा है।

First Published on:
Exit mobile version