ख़ुद को हिंदी अख़बार के शीर्ष पर होने का दावा करने वाले दैनिक भास्कर की ओर से लखनऊ में लगवाई गई होर्डिंग्स से बवाल मच गया है। इनमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बीएसपी प्रमुख मायावती पर निशाना साधा गया है। इसे एक तरफ़ तो बीजेपी का प्रचार माना जा रहा है जिसके तहत उसके विरोधियों पर निशाना साधा गया है। साथ ही इसे जातिवादी मानसिकता का भी प्रतीक बताया जा रहा है क्योंकि इसमें पिछड़ी और दलित जाति से आने वाले नेताओं पर आपत्तिजनक ढंग से हमला बोला गया। है।
वैसे, जिस भास्कर.कॉम के प्रचार के लिए ये बोर्ड लगाए गए हैं, उसको खु़द मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ही लांच किया था। उस मौके पर दैनिक भास्कर ग्रुप के निदेशक गिरीश अग्रवाल , सीईओ दैनिक भास्कर भी मौजूद थे। अखिलेश यादव ने तब दैनिक भास्कर की काफ़ी तारीफ़ की थी।
बहरहाल, प्रचार के इस अदाज़ के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया में काफ़ी नारज़गी दिखी है। पेश हैं कुछ प्रतिक्रियाएँ जो फ़ेसबुक पर दिखीं-
Dilip C Mandal
दैनिक भास्कर की शिकायत आप चुनाव आयोग की साइट पर जाकर कर सकते हैं. चुनाव में जीत-हार तो लगी रहती है, लेकिन इस तरह के पोस्टर से समाज में कड़वाहट फैलेगी. उसका जिम्मेदार कौन हौगा?
Mukul Saral
शर्मनाक! अब क्यों न कहें मीडिया को मनुवादी।
चलो अच्छा हुआ भास्कर ने खुद घोषणा कर दी की वह क्या है, किस तरफ है। लेकिन यह चिन्तनीय है इस पर चुनाव आयोग के साथ पत्रकारों की ज़िम्मेदार संस्थाओ को भी ध्यान देना चाहिए।
Mahendra Mishra मीडिया अगर नंगा होकर सड़क पर आ जाए तो तस्वीर दैनिक भास्कर की इस होर्डिग जैसी दिखेगी । ये नंगेपन की इंतहा है । ये खुलकर एक पार्टी के पक्ष में प्रचार का ऐलान है । भाषा इतनी आपत्तिजनक है कि देखकर कोई भी सभ्य नागरिक शर्म से सिर झुका लेगा । संवैधानिक तौर पर जिम्मेदार संस्थाओं को इस मामले का तत्काल संज्ञान लेना चाहिए । यह न केवल हमारी संस्थाओं के क्षरण का प्रतीक है बल्कि मीडिया जैसे क्षेत्र के पाताल में गोता लगाने की खुली बयानी है ।
Anjule #पत्रकारिता_अमर_रहे
दैनिक भास्कर को सिर्फ़ यहाँ #पत्रकारिता को श्रद्धांजलि देना बाकि रह गया है।
इस बीच लखनऊ में भास्कर की इस नीति के खिलाफ़ प्रदर्शन हुआ। हज़रतगंज में गाँधी प्रतिमा पर इकट्ठा होकर लोगों ने भास्कर के ख़िलाफ़ कड़ी प्रतिक्रिया जताई।