दिलीप खान
नीचे 3 मिनट 23 सेकेंड का वीडियो है। आप इसे पूरा देख डालिए। एंकर हैं नए-नए खुले रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी। आदतन शो में आए पैनलिस्ट से ज़्यादा खुद बोल रहे हैं। अर्नब की यही यूएसपी है। टाइम्स नाऊ में भी अर्नब यही करते थे। लेकिन क्या अर्नब सबके साथ ऐसा करते हैं?
इस वीडियो को सैंपल मानकर आप पुराने कई वीडियोज़ तलाश लीजिए, आप पाएंगे कि इस आदमी की ख़ास शैली है। बिल्कुल हंटर वाली। सुपारी किलर वाली। पहले से तयशुदा लाइन के मुताबिक़ ये जिनको चाहेंगे बोलने के लिए वक़्त देंगे, जिनको नहीं चाहेंगे वह बोलने की लाख कोशिश करता रह जाए, यह आदमी उन्हें बोलने नहीं देगा और बोले दिए बगैर उस व्यक्ति की हार की मुनादी कर देगा। यही मारक क्षमता अर्नब को अर्नब बनाती है। किसी भी मालिक के लिए इससे उम्दा एंकर नहीं हो सकता जो उसकी राजनीतिक लाइन का आक्रामक तरीके से प्रचार करे और बिजनेस को भी ‘पत्रकारिता’ के कवर में लोगों को परोस दे।
इस वीडियो में सीपीएम के किसी बयान पर पार्टी प्रवक्ता एमबी राजेश से अर्नब सफाई मांग रहे हैं। क़ायदे से सवाल के बाद प्रवक्ता को जवाब देने का मौक़ा दिया जाना चाहिए, लेकिन वो ‘अर्नब, अर्नब, वन मिनट अर्नब’ कहता रहता है और अर्नब एकालाप में लगे रहते हैं। पूरे वीडियो में उन पलों को सहेज कर पीएचडी करने का मन करता है जिनमें वीडियो से सिर्फ़ सीपीएम प्रवक्ता की आवाज़ आ रही हो। ऐसा मौक़ा शायद कुछ सेकेंड के लिए आया है पूरे वीडियो में।
रिपब्लिक के मालिक और केरल में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस के उपाध्याय राजीव चंद्रशेखर की राजनीति के लिए किसी चुनावी भाषण से ज़्यादा रिपब्लिक के पर्दे पर सीपीएम की मिट्टी पलीद करवाना फ़ायदेमंद है। डिफेंस कारोबारी राजीव चंद्रशेखर के लिए आर्मी के नाम पर उबल रहे उग्र राष्ट्रवाद की आड़ में बिजनेस की सुरक्षा के लिए किसी भी विज्ञापन से ज़्यादा असरदार यह तरीका हो सकता है, जो अर्नब ने अपनाया।
जब मौजूदा गणराज्य में ताज़ा-ताज़ा रिपब्लिक शुरू हो रहा था तो मालिक की तरफ़ से संपादकीय विभाग को मेल किया गया था और इसमें साफ़ कहा गया था कि कंटेंट (विषयवस्तु) “प्रो मिलिट्री” रहेगा।
अर्नब ने इस हद तक इसे “प्रो मिलिट्री” बना दिया जिसमें वे ख़ुद एलान करते हैं कि सेना द्वारा किसी के मारे जाने में कोई गड़बड़ी नहीं है (क्योंकि सेना और भी ज़रूरी असाइनमेंट निपटाती है)। अर्नब आफ्सपा के पक्ष में सवालों के माध्यम से अपना खुला समर्थन जताते हैं। सीपीएम को एक अदद सवाल के लिए जवाब देने के लिए चंद सेकेंड का वक़्त रिपब्लिक ने नहीं दिया और इस दौरान बिल्कुल ‘मन की बात’ की तरह अर्नब ने टीवी के अपने गणराज्य में कई एलान करते रहे।
AIB ने नोटबंदी पर एक एपिसोड किया था जिसमें एक प्रसंग आता है कि ‘सोल्जर बोल दिया, तो सारी बातें ख़त्तम! आगे कोई दलील नहीं, कोई बात नहीं’। अर्नब बिल्कुल AIB के नोटबंदी समर्थक भक्त की मानिंद व्यवहार कर रहे हैं। और सबसे ज़रूरी बात ये है कि भारतीय गणराज्य के प्रधानमंत्री की तरह वे भी अब चुटकी बजाना सीख गए हैं। इस वीडियो में वे तीन-चार बार चुटकी बजाकर सवाल करते हैं, गोया सामने वाले पर फ़तह की आख़िरी मुनादी और उसे तुच्छ समझने की सबसे मारक देह भाषा को बिना छुपाए लोगों के बीच नज़र आना चाहते हों।
सामने वाले की निगाह से यह रवैया चूक जाए, ऐसा भला कैसे हो सकता था। लिहाजा चैनल शुरू होने के महीने भर के भीतर तमाम नोटिसें और मुकदमे झेल चुके अर्नब को एमबी राजेश ने भी एक चिट्ठी लिख भेजी है। नीचे प्रस्तुत है एमबी राजेश की फेसबुक दीवार से खुला पत्र: