CNBC पर पूरा का पूरा बुलेटिन फिल्म का विज्ञापन? सुपरहीरो से निवेशक सावधान!

दीपांकर पटेल

सावधान हो जाइये… !!!

अगर आपको लगता है कि ये फन-फन में बिजनेस की खबर दिखाने का कोई नया आइडिया है तो आप बेवकूफ हो सकते हैं।

ये सुपरहीरो बैठकर न ही जोकरई नहीं कर रहे हैं और न ही आपको ये बाजार को समझाने का सीरियस प्रयास करने आये हैं।
इस तरह का प्रोग्राम कौन सीरीयस इन्वेस्टर देखेगा आप बताइये? ये बात इनको भी पता है।

न ही इस प्रोग्राम के केन्द्र में कोई इन्वेस्टमेंट या बीमा प्लान हैं, न ही बाजार के हालात पर कोई तार्किक बहस है।

इस प्रोग्राम में सुपरहीरोज के मास्क और हेलमेट पहनाकर पैनलिस्ट बिठा दिये गये हैं. जिनका फोकस मार्केट के हालात के हिसाब से इन्वेस्टमेंट बताने पर कम सुपरहीरोज के चरित्र के हिसाब से इन्वेस्टमेंट प्लान बताने पर ज्यादा है।

आपको कुछ समझ आया ?

तो क्या ये एक पेड प्रोग्राम है ? खुद देख कर अंदाजा लगाइए.

https://youtu.be/qej2uMgnBes

ये इस प्रोग्राम में इनवेस्टमेंट के बारे में बता रहे हैं जबकि ऐसा लगता है कि इस प्रोगाम में ही थॉर फिल्म के प्रचार मैनेजमेंट ने इन्वेस्ट कर रखा है।
हाल ही में भारत में सुपरहीरो से लैस थॉर-राग्नारोक रिलीज हुई है.वैसे इसमें चाचा चौधरी को भी बैठा दिया गया है. तो क्या ये बैलेंस करने का प्रयास है? जिससे कोई सीधे आरोप न लगा सके।

पैसा लेकर फिल्म समीक्षा दिखाने का खेल अब पुराना हो गया है। जब फिल्म के प्रचार के लिए पैसा लेगें तो ट्रेलर तो दिखाएंगे ही साथ में पैनलिस्टों को सुपरहीरो का मुखौटा भी पहना देंगे। किसी मध्यमवर्गीय व्यक्ति के पास कंपनी में इन्वेस्ट करने के लिए. पैसा नहीं है तो क्या हुआ ? वो उत्साहित होकर फिल्म देखने के लिए 400-500 ₹ तो इन्वेस्ट कर ही सकता है। तो क्या थॉर पर बेस्ड इस प्रोग्राम का यही सार है ?

भारत में एक घण्टे के प्रोग्राम में 18-20 मिनट के कॉमर्शियल ही दिखाए जा सकते हैं। इसका टीवी चैनलों ने एक तोड़ निकाला है। चलते हुए प्रोग्राम में स्क्रीन छोटी कर दी जाती है और किनारे पर एडवर्टाइजमेंट दिखाना जाता है।

लेकिन CNBC आवाज ने जो किया है उससे तो ये लगता है कि असली प्रोग्राम की आवाज खत्म हो जायेगी बस प्रचार की आवाज सुनाई देगी।
एक ऐसे डिबेट प्रोग्राम कि कल्पना कीजिए जिसमें एंकर को खुजली होती है, डिबेट जारी है और उसी दौरान कोई पैनलिस्ट एंकर को इचगार्ड या रिंगगार्ड लगाने को देता है.

खुजली के लोशन का हो गया प्रचार. ऐडवर्टाइजमेंट के स्लाट का यूज भी नहीं हुआ, चैनल ने पैसा भी कमा लिया। क्या हमारे न्यूज चैनलों को प्रचार के इस युग में पहुंचने की खुजली तो नहीं है?

CNBC-आवाज के इस शो को देखकर तो यही लगता है….


दीपांकर पटेल पत्रकार हैं. यह कहानी (पढ़ें चेतावनी) उनकी फेसबुक दीवार से साभार. 

First Published on:
Exit mobile version