वैसे तो रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार रिश्वतखोरी के आरोप में जेल जा चुके ज़ी न्यूज़ के सुधीर चौधरी को दिए जाते ही अविश्वसनीय हो चुका था, लेकिन आज फिर एक बार इसे कलंकित करने का काम एक पुरस्कार विजेता नेे किया है। इंडिया न्यूज़ की एसोसिएट एडिटर चित्रा त्रिपाठी को यह पुरस्कार जम्मू कश्मीर से रिपोर्टिंग के लिए पिछली बार मिला था। पुरस्कार देने वाले नहीं जानते थे कि यह महिला घोर ब्राह्मणवादी है, नस्ली है और ब्राह्मणवाद का विरोध करने वाले को ‘पागल’ समझती है।
यह कहानी फेसबुक पर टीवी चैनलों के अविवादित रूप से निर्भीक पत्रकार और न्यूज़ 24 के चर्चित ऐंकर नवीन कुमार की एक पोस्ट से शुरू होती है जिसमें उन्होंने ब्राह्मणवाद की विसंगतियों की ओर इशाारा किया था। पोस्ट निम्न है:
इस पोस्ट पर लेखक की काफी लानत-मलानत हुई, लेकिन आश्चर्य तब हुआ जब रामनाथ गोयनका पुरस्कार से नवाज़ी गई इंडिया न्यूज़ की पत्रकार चित्रा त्रिपाठी ने यह टिप्पणी की:
इस टिप्पणी पर नवीन कुमार ने उन्हें पहले तो आंबेडकर की कुछ किताबें पए़ने की सलाह दी, फिर उसके बाद विस्तार सेे एक पोस्ट लिखी है जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं:
नवीन कुमार द्वारा बहस के आमंत्रण को स्वीकारते हुए त्रिपाठी लिखती हैं कि ”ब्राह्मण कोई समस्या नहीं है” और उन्हें ”ब्राह्मण होने पर गर्व है”। पूरी टिप्पणी नीचे देखें:
यह सोचने वाली बात है कि दो साल पहले केंद्र में सत्ता बदलते ही अचानक रामनाथ गोयनका जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वालेे कैसे-कैसे लोगों को चुना जा रहा है। ”ब्राह्मणवाद पर गर्व” करने वाली एक महिला पत्रकार और रिश्वतखोरी के आरोप में जेल जा चुके एक पुरुष पत्रकार को आरएसएस/बीजेपी के राज में पत्रकारिता पुरस्कार मिल रहा है, वो भी केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के हाथों, तो यह सवाल पत्रकारिता की उस विरासत पर है जो रामनाथ गोयनका से शुरू होकर आज के ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ तक चली आई है और जहां पत्रकारीय कौशल के अलावा एक पत्रकार में मूल संवैधानिक भावनाओं के प्रति सम्मान को भी देखा जाता रहा है।
चित्रा त्रिपाठी की ये टिप्पणियां न केवल एक पत्रकार के बतौर उनकी समझदारी और सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन पर सवाल खड़ा करती हैं, बल्कि उस संस्थान और उसके संपादक को भी संदेह के घेरे में ला देती हैं जिसने उन्हें अपने यहां इतने अहम पद पर बैठाया हुआ है।