Sharjeel Usmani
बीती रात इंडियन एक्सप्रेस की एक पत्रकार का फोन आया। उन्होंने पूछा कि विमेंस कॉलेज में लड़कियों ने बुलेट से रैली निकाली थी, आपने
दूसरा सवाल पूछती हैं कि क्या कहना है इस रैली के बारे में। हमने कहा कहना क्या है, मीडिया ने एक अलग थलग तस्वीर बना रखी है अमुवि की छात्राओं की इसीलिए आप यह पूछ रही हैं।
सैंकड़ो लड़कियाँ बुलेट चलाती होंगी देश भर में, इसमें नया क्या है। मीडिया तो मीडिया, बॉलीवुड भी कम नहीं है। राँझना पिक्चर में जब हेरोइन को अलीगढ़ पढ़ने भेजा जाता है तो वे अमुवि के विमेंस कॉलेज को बुरखा पहनने वाली बीवी बनाने की फैक्ट्री बोलती हैं। इस रैली से कुछ न हो पाए तो कम से कम यह बुरखा-बीवी वाली इमेज तो ख़त्म ही हो। लड़की ने चुनाव की रैली निकाली थी, वो चुनाव जीती या नहीं हमको नहीं मालूम, राँझना की सोनम कपूर को अलीगढ़ की फैक्ट्री और इस फैक्टरी के प्रोडक्ट्स के बारे में ‘सही’ जानकारी ज़रूर मिल जाएगी।
दो चार और ग़ैर ज़रूरी सवाल थे। सबका जवाब दिया। अगले दिन अख़बार में मेरे बयान के नाम पर यह छपा है। इसमें लिखा है कि हम मानते हैं कि इस रैली से विमेंस कॉलेज की बुरखा पहनने और बीवी बनाने की फैक्ट्री वाली इमेज ख़त्म होगी। बात का पूरा प्रसंग उड़ा दिया। इस कथन से यह मालूम होता है कि जैसे हम खुद ही मानते थे कि यहाँ ऐसा ही है। यही बुरखा-बीवी जैसी इमेज है। यह इमेज बॉलीवुड की एक फ़िल्म में है, इसको पत्रकार ने मेरे नाम से छाप दिया। इमेज तोड़ रहे हैं कि बना रहे हैं, हमको समझ नहीं आया।
आप इडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर यहाँ पढ़ सकते हैं।