बाबरी मस्जिद दोबारा नहीं बनी तो ‘भारत’ हार जाएगा !

किसी राजनीतिक दल में यह कहने की हिम्मत नहीं कि बाबरी मस्जिद को दोबारा बनाना ही असल न्याय होगा, वरना भारत नाम के विचार की हार हो जाएगी

बाबरी मस्जिद दिल दहाड़े तोड़ी गई। किसने तोड़ी यह सबके सामने है। लेकिन न्याय का आलम ये है कि 25 साल बाद सिर्फ यह तय हो पाया कि अभियुक्तों पर मुकदमा चलेगा जिनमें बीजेपी के परामर्शमंडल में पहुँच चुके लालकृष्ण आडवाणी और डा.मुरली मनोहर जैसे वरिष्ठ नेता भी हैं। यह बात राजनीतिक विमर्श से गायब ही हो गई कि बाबरी मस्जिद तोड़ने वालो को सजा दी जानी चाहिए। यह बात भी भुला दी गई है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव ने दोबारा वहीं मस्जिद बनवाने का वादा किया था।

आज किसी राजनीतिक दल में यह कहने की हिम्मत नहीं कि बाबरी मस्जिद को दोबारा बनाना ही असल न्याय होगा, वरना भारत नाम के विचार की हार हो जाएगी। आपको यह खरी बात सुनकर अचरज लग रहा हो तो वजह भी जान लीजिए।

हम आज जिस गणतांत्रिक भारत की बात करते हैं, उसका जन्म 26 जनवरी 1950 को हुआ।

भारत में संविधान के रूप में ऐसी एक किताब लिखी गई जैसी पहले कभी लिखी ही नहीं गई थी।

संविधान पहली किताब है जिसने सभी नागरिकों को बराबर मानते हुए उनके दायित्व और अधिकार निर्धारित किए।

संविधान की नजर में जाति, धर्म, भाषा, प्रांत के आधार पर भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं है।

बाबरी मस्जिद पर हमला इसी संविधान पर हमला है। यह ‘भारत’ नाम के विचार पर हमला है।

पंकज श्रीवास्तव की यह रिपोर्ट सूर्या समाचार पर प्रसारित हुई। आप नीचे वीडियो क्लिक करके इसे देख सकते हैं। कुछ मित्रों की शिकायत है कि मोबाइल पर, फेसबुक के जरिये खबर पाने पर वीडियो नहीं दिखता। उनसे अनुरोध है कि सीधे mediavigil.dream.press वेबसाइट पर जाएँ या यहाँ क्लिक करें।

https://www.youtube.com/watch?v=Ap7zcTHRBGs
First Published on:
Exit mobile version