पिछले साल, जंतर-मंतर पर नए-नए तरीक़ों से विरोध प्रदर्शन करके पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचने वाले तमिलनाडु के किसान एक बार फिर आंदोलन के लिए मजबूर हैं। 1 मार्च से तमिल किसान भी यात्रा निकाल रहे हैं, लेकिन अजब बात यह है कि बीजेपी कार्यकर्ता उनका जगह-जगह विरोध कर रहे हैं।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने किसानों को कन्याकुमारी जिले के अल्लाल्विमोजी शहर में काले झंडे दिखाए। हद तो तब हुई जब भाजपा की एक महिला नेता ने किसान नेता पी. अय्याकन्नु को थप्पड़ मार दिया। अय्याकन्नु हैरान हैं कि भाजपा किसानों का समर्थन करने के बजाय धमकी और विरोध पर उतरी हुई है। जबकि भाजपा तमिलनाडु में बहुत कम आधार वाली राजनीतिक पार्टी है।
किसानों का यह आन्दोलन उनकी फसल के उचित मूल्यों, ऋणमाफी जैसी वाजिब मांगों के लिए है। पिछले साल के आंदोलन के बाद सरकार से उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। पी. अय्याक्न्नु का कहना है कि उन्हें धमकी भरे फोन कॉल आ रहे हैं और उन्हें आन्दोलन छोड़ने को कहा जा रहा है। ऐसा न करने पर उन्हें इसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहने को कहा जाता है। फोन पर ही “नंगा अय्याक्न्नु” कहकर उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। किसान नंगे बदन यात्रा निकाल रहे हैं।
आन्दोलन के आठवें दिन, जब किसान टुटिकोरिन जिले के थिरुछेंदुर के प्रसिद्ध मरुगन मंदिर के बाहर अपने पर्चे बाँट रहे थे तभी एक महिला ने एक आदमी को उसे लेने से रोका और कहा कि अय्याकन्नू एक झूठा आदमी है जो सबको बरगला रहा है। किसानों के समूह में से भी किसी ने उस महिला के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया, इससे गुस्सा कर उसने अय्याकन्नु को थप्पड़ मार दिया। पता चला कि वह महिला बीजेपी कि महिला विंग की ज़िला सचिव नेल्लईयम्मल है।किसी तरह मंदिर प्रशासन ने इस झगडे को शांत कराया। अय्याकन्नू का आरोप है कि भाजपा ने महिला के जरिए उन्हें फँसाने की कोशिश की जिससे आन्दोलन को कमजोर किया जा सके। वहीं नेल्लईयम्मल ने अय्याकन्नू पर दुर्वयवहार करने का आरोप लगाया है।
पेशे से वकील अय्याकन्नू का मानना है कि कुछ लोग इस तरह की हरक़तों का सहारा लेकर आन्दोलन को पटरी से उतारने का प्रयास कर रहे हैं।अय्याकन्नू ने किसानों को आपा न खोने की सलाह देते हुए कहा है कि उन्हें हमलों का जवाब नहीं देना है। अय्याकन्नू के मुताबिक किसानों को लगातार फोन करके धमकाया जा रहा है।
अय्याकन्नू ने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार छः सप्ताह ( 29 मार्च) के भीतर यदि कावेरी प्रबंधन प्राधिकरण का गठन नहीं किया जाता है तो हम प्रधानमंत्री के घर के बाहर सामूहिक आत्महत्या करेंगे।”
पिछले साल तमिलनाडु के किसानों ने सूखे और कर्ज से बर्बाद हुई अपनी हालात को दिखाने के लिए जंतर-मंतर पर 144 दिन लम्बा आन्दोलन किया था। इस प्रदर्शन में किसानों ने आत्महत्या कर मरे किसानों की खोपड़ियाँ उनकी हड्डियाँ रखी थीं। यही नहीं मरे हुए चूहे खान, सड़क से उठा कर खाना, सर मुड़वाने से लेकर प्रधानमंत्री दफ़्तर के बाहर नग्न दौड़ तक का सहारा लिया था ताकि सूखे और कर्ज से बर्बाद हुई उनकी जिन्दगी का सवाल बीच बहस आ सके। पहले तो किसानों की बात सुनी नहीं गई, लेकिन जब इसकी खबरें अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पहुँचने लगीं तब सरकार को होश आया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने किसानों की समस्याओं को हल करने का वादा किया। किसानों का आरोप है कि 1 साल होने जा रहा लेकिन समस्याओं का कोई हल नहीं निकला है।
तमिलनाडु पहले से ही सूखे की मार झेल रहा है । पडोसी राज्यों के साथ पानी के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है और नदियाँ सूखी पड़ी हैं । 25 किसानों का यह मार्च 100 दिनों में सम्बंधित 25 जिलों से होते हुए गुजरेगा। वे रास्ते में जिला कलेक्टरों को मांगपत्र दे रहे हैं और रास्ते में किसान संगठनों द्वारा आयोजित बैठकों को संबोधित कर रहे हैं।
किसानों की मांग है कि-
जैव संवर्धित बीजों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए।
-मिलावटी भोजन से मानवता को बचाया जाए।
– समर्थन मूल्य, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर निर्धारित किए जाएँ।
– व्यक्तिगत फसल बीमा योजना हो
-किसानों के लिए 5,000 रुपये की पेंशन हो, भले ही उनके बच्चे हों।
-सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार छह सप्ताह के भीतर कावेरी प्रबंधन प्राधिकरण स्थापित किया जाए।
– कावेरी डेल्टा जिलों को ‘संरक्षित कृषि क्षेत्र’ बनाया जाए।
– दक्षिणी नदियों के साथ उत्तर की नदियों को जोड़कर राष्ट्रीय जल ग्रिड बनाया जाए।
– व्यावसायिक परियोजनाओं के लिए कॉरपोरेट द्वारा कृषि भूमि लेने पर रोक हो।
द सिटीज़न से साभार