भीमा कोरेगांव: हिंसा के बाद मीडिया के दुष्‍प्रचार पर भड़के दलित, आज महाराष्‍ट्र बंद का आह्वान

पुणे के भीमा कोरेगांव में शौर्य दिवस का 200वां साल मनाने के लिए जुटे दलितों पर सोमवार को हुए हमले में एक व्‍यक्ति की जान चली गई है। इसका असर मंलवार को मुंबई के कुछ हिस्‍सों में हिंसक रूप से देखने को मिला। मामला अभी चढ़ान पर है क्‍योंकि प्रकाश आंबेडकर ने बुधवार को महाराष्‍ट्र बंद का आह्वान किया है।

सीपीएम ने कल के बंद का समर्थन किया है

उधर महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में सीआइडी को जांच सौंप दी है और बंबई उच्‍च न्‍यायालय के एक सेवारत जज की अध्‍यक्षता में एक सदस्‍यीय जांच कमेटी का गठन करेंगे।

मीडिया ने शुरुआत में 1 जनवरी की हिंसा की घटना को कवर नहीं किया था। जो भी तस्‍वीरें और वीडियो उपलब्‍ध थे, सबका स्रोत सोशल मीडिया ही था। मंगलवार को मुंबई में जब दलित संगठनों पने सड़क पर उतर कर विरोध शुरू किया, तब मीडिया की नींद खुली और उसने मामले को सिर के बल खड़ा करते हुए घटनाक्रम को दलितों की हिंसा के मामले में तब्‍दील कर दिया है।

 

टीवी चैनलों टाइम्‍स नाउ और रिपब्लिक ने भीमा कोरेगांव हिंसा में अलग से गुजरात के नवनिर्वाचित विधायक जिग्‍नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्र उमर खालिद की पहचान कर के घटनाक्रम को षडयंत्रकारी रंग दे दिया है।

जेएनयू के छात्रों की ओर से इसका जवाब भी सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया जा रहा है।

https://twitter.com/JatinTalreja01/status/948175101429555200

कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने भीमा कोरेगांव सहित उना और रोहित वेमुला घटनाक्रम को दलितों के प्रतिरोध का अहम प्रतीक बताते हुए ट्वीट किया है।

इंडिया टुडे पूछ रहा है कि आखिर 200 साल पहले हुई एक जीत को लेकर दलित झगड़ा क्‍यों कर रहे हैं।

झड़प की शुरुआत

हिंसा की शुरुआत वैसे तो 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव से हुई, लेकिन उसके बीच बीते श्‍ुाक्रवार 29 दिसंबर को पड़ोस के एक गांव वाधु बद्रुक में पड़ गए थे जहां गोविंद गोपाल महार की समाधि के पास कुछ तनाव देखने में आया था। महार दलित समुदाय से आते थे और ऐतिहासिक आख्‍यानों के मुताबिक उन्‍होंने मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के निर्देश की उपेक्षा करते हुए मराठा राजा छत्रपति सम्‍भाजी महाराज की अंत्‍येष्टि संपन्‍न की थी। महार की समाधि के पास किसी ने एक बोर्उ लगा दिया था जिस पर महार के साहस का विवरण था। यही बोर्ड मराठा और दलित समुदाय के बीच विवाद का विषय बना।

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्अ के मुताबिक दलित कार्यकर्ताओं ने स्‍थानीय मराठाओं के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज करवायी थीं जिसके चलते उक्‍त गांव से एससी/एसटी कानून के तहत 49 लोगों पर मुकदमा लगा दिया गया था।

यह मामला यहीं नहीं रुका बल्कि 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव में इसकी जबरदस्‍त प्रतिक्रिया हुई जहां लाखों दलित पूरे देश से कोरेगांव रणस्‍तम्‍भ की ऐतिहासिक जंग का 200वां साल मनाने जुटे। इसी हिंसा में एक आदमी मारा गया है।

इसके बाद जो तस्‍वीरें आ रही हैं वे इस बात की ताकीद करती हैं कि दलितों पर की गई हिंसा सुनियोजित थी। बाज़ार पहले से बंद करा दिए गए थे और हमले के लिए ईंट-पत्‍थर पहले से इकट्ठा कर लिए गए थे।

https://twitter.com/Kmsolanki12/status/948168179209060352

इस बीच एक ताज़ा अफ़वाह वॉट्सएप पर फैल रही है कि महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने दलितों के प्रदर्शन के चलते खुद मंगलवार को महाराश्‍ट्र बंद की घोषणा की है।

सामाजिक कार्यकर्ता तीस्‍ता सीतलवाड़ ने मुख्‍यधारा के मीडिया में दलितों के प्रति पक्षपात का सवाल उठाते हुए लिखा है

बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता यशवंत सिन्‍हा ने दलितों के समर्थन में ट्वीट किया है:

 

First Published on:
Exit mobile version