पुणे के भीमा कोरेगांव में शौर्य दिवस का 200वां साल मनाने के लिए जुटे दलितों पर सोमवार को हुए हमले में एक व्यक्ति की जान चली गई है। इसका असर मंलवार को मुंबई के कुछ हिस्सों में हिंसक रूप से देखने को मिला। मामला अभी चढ़ान पर है क्योंकि प्रकाश आंबेडकर ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है।
In protest-hit Mumbai, BR Ambedkar's grandson calls for strike tomorrow #BhimaKoregaonViolence https://t.co/V8zLjdD4Ad pic.twitter.com/KbKwhgmzCx
— NDTV (@ndtv) January 2, 2018
सीपीएम ने कल के बंद का समर्थन किया है
CPI(M) to support Maharashtra Bandh tomorrow to denounce violence by casteist and communal forces against Dalits at Bhima Koregaonhttps://t.co/Z1zYQvj2bk
— CPI (M) (@cpimspeak) January 2, 2018
उधर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में सीआइडी को जांच सौंप दी है और बंबई उच्च न्यायालय के एक सेवारत जज की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच कमेटी का गठन करेंगे।
Maharashtra CM @Dev_Fadnavis orders judicial enquiry for #BhimaKoregaon incident.
Also orders a CID enquiry for the death of a youth & an assistance of ₹10 lakh to his kin.
Strict action will be taken against the all those who are spreading rumours & trying to invoke violence. pic.twitter.com/TvMVVgSWRV— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) January 2, 2018
मीडिया ने शुरुआत में 1 जनवरी की हिंसा की घटना को कवर नहीं किया था। जो भी तस्वीरें और वीडियो उपलब्ध थे, सबका स्रोत सोशल मीडिया ही था। मंगलवार को मुंबई में जब दलित संगठनों पने सड़क पर उतर कर विरोध शुरू किया, तब मीडिया की नींद खुली और उसने मामले को सिर के बल खड़ा करते हुए घटनाक्रम को दलितों की हिंसा के मामले में तब्दील कर दिया है।
@abpnewstv is dividing Hindu & Dalits. Strict actions should be taken against this news channel via sources.#BhimaKoregaonViolence pic.twitter.com/Gl4KadANQh
— LiladharTaparia (@TapariaLD) January 2, 2018
I see smug middle-class Modi-loving Twitter is condemning Dalit protests as thuggish, lumpen, etc. Watch this clip of Dalits being thrashed by saffron flags in Maharashtra and decide for yourself who the thugs are. https://t.co/r4mf1pPRP6
— Mihir Sharma (@mihirssharma) January 2, 2018
टीवी चैनलों टाइम्स नाउ और रिपब्लिक ने भीमा कोरेगांव हिंसा में अलग से गुजरात के नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्र उमर खालिद की पहचान कर के घटनाक्रम को षडयंत्रकारी रंग दे दिया है।
Jignesh Mewani and Umer Khalid spotted at this Dalit event. S. Balakrishnan, Senior Journalist in conversation with @roypranesh on#MaharashtraCasteClash pic.twitter.com/usjOPMii8t
— TIMES NOW (@TimesNow) January 2, 2018
जेएनयू के छात्रों की ओर से इसका जवाब भी सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया जा रहा है।
https://twitter.com/JatinTalreja01/status/948175101429555200
कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने भीमा कोरेगांव सहित उना और रोहित वेमुला घटनाक्रम को दलितों के प्रतिरोध का अहम प्रतीक बताते हुए ट्वीट किया है।
#RahulGandhi slams BJP-RSS's 'fascist vision', says #BhimaKoregaon one of 'potent symbols of the resistance'. | @OfficeOfRG #BhimaKoregaonViolence Follow for #LIVE updates: https://t.co/LqnBYkrcdV pic.twitter.com/N2CHDbwOmD
— Firstpost (@firstpost) January 2, 2018
इंडिया टुडे पूछ रहा है कि आखिर 200 साल पहले हुई एक जीत को लेकर दलित झगड़ा क्यों कर रहे हैं।
#BhimaKoregaonViolence
The question that is still baffling people is, why are the protesters and Dalits clashing over a battle won/lost 200 years ago.https://t.co/zVmAZzMz0U— IndiaToday (@IndiaToday) January 2, 2018
झड़प की शुरुआत
हिंसा की शुरुआत वैसे तो 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव से हुई, लेकिन उसके बीच बीते श्ुाक्रवार 29 दिसंबर को पड़ोस के एक गांव वाधु बद्रुक में पड़ गए थे जहां गोविंद गोपाल महार की समाधि के पास कुछ तनाव देखने में आया था। महार दलित समुदाय से आते थे और ऐतिहासिक आख्यानों के मुताबिक उन्होंने मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के निर्देश की उपेक्षा करते हुए मराठा राजा छत्रपति सम्भाजी महाराज की अंत्येष्टि संपन्न की थी। महार की समाधि के पास किसी ने एक बोर्उ लगा दिया था जिस पर महार के साहस का विवरण था। यही बोर्ड मराठा और दलित समुदाय के बीच विवाद का विषय बना।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्अ के मुताबिक दलित कार्यकर्ताओं ने स्थानीय मराठाओं के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज करवायी थीं जिसके चलते उक्त गांव से एससी/एसटी कानून के तहत 49 लोगों पर मुकदमा लगा दिया गया था।
यह मामला यहीं नहीं रुका बल्कि 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव में इसकी जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई जहां लाखों दलित पूरे देश से कोरेगांव रणस्तम्भ की ऐतिहासिक जंग का 200वां साल मनाने जुटे। इसी हिंसा में एक आदमी मारा गया है।
Maharashtra: Violence between two groups during an event to mark 200 years of the Bhima Koregaon battle near Pune yesterday, vehicles set on fire pic.twitter.com/5RpITAK4qB
— ANI (@ANI) January 2, 2018
इसके बाद जो तस्वीरें आ रही हैं वे इस बात की ताकीद करती हैं कि दलितों पर की गई हिंसा सुनियोजित थी। बाज़ार पहले से बंद करा दिए गए थे और हमले के लिए ईंट-पत्थर पहले से इकट्ठा कर लिए गए थे।
https://twitter.com/Kmsolanki12/status/948168179209060352
इस बीच एक ताज़ा अफ़वाह वॉट्सएप पर फैल रही है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने दलितों के प्रदर्शन के चलते खुद मंगलवार को महाराश्ट्र बंद की घोषणा की है।
@CMOMaharashtra @pibmumbai @Dev_Fadnavis have you called Maharashtra closed tomorrow? Just received this message on WA. Kindly give explanation. #BhimaKoregaonViolence #Chembur #MaharashtraCasteClash @MumbaiPolice @CPMumbaiPolice @PuneCityPolice @NagpurPolice pic.twitter.com/DOAC0PSg5i
— Pratik Poddar (@PratikRPoddar) January 2, 2018
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने मुख्यधारा के मीडिया में दलितों के प्रति पक्षपात का सवाल उठाते हुए लिखा है
Who were the Provacateurs? Who Disrupted the Peaceful Protesters at Bhima Koregaon? Why is the mainstream media so biased against Dalits?
— Teesta Setalvad (@TeestaSetalvad) January 2, 2018
बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने दलितों के समर्थन में ट्वीट किया है:
Today's incidents in Maharashtra very painful. The Dalits deserve all our support.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) January 2, 2018