टाइम्स नाउ के पर्दे पर उठती आग की लपटो ंके बीच आपको अक्सर सेना का एक रिटार्यड मेजर जनरल बैठा नज़र आता होगा। लंबी सफेद मूँछों वाले जनरल साहब हर वक़्त युद्ध की भाषा बोलते नज़र आते हैं। ऐसा लगता है कि बस अर्णव गोस्वामी से हरी झंडी मिलने की देर है, वे पाकिस्तान पर हमला कर ही देंगे। पिछले दिनों सरहद पर शहीद हुए जवानों की बात करते हुए पर्दे आँसू पोछते नज़र आये थे। उनकी देशभक्ति मिसाल बन गई थी।
लेकिन बात क्या इतनी सीधी है। सच्चाई तो यह है कि जनरल जी.डी.बख्शी अक्सर आरएसएस और उससे जुड़े कार्यक्रमों में नज़र आते हैं। वे जेएनयू में टैंक रखवाना चाहते हैं ताकि छात्र राष्ट्रवादी बनें। पर कैसा राष्ट्रवाद चाहते हैं जनरल बख्शी ? पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे, अंग्रेजों से माफ़ी माँगकर जेल से बाहर आये और महात्मा गाँधी की हत्या का षड़यंत्र रचने वाले विनायक दामोदर सावरकर की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में दहाड़ रहे थे। इतना ही नहीं, उस कार्यक्रम में उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के अहिंसा के सिद्धांत का जमकर मज़ाक उड़ाया। हिंसक स्वतंत्रता सेनानियों के लाठी खाने की तुलना भैंस से यह कहते हुए की कि वह भी लाठी खाती है।
ज़ाहिर है, जनरल बख्शी के आँसू और दहाड़ भारत को हिंदू तालिबानियो के हाथों में सौंपने के षड़यंत्र का हिस्सा हैं। अगर अर्णव गोस्वामी ऐसे शख्श को रोज़ाना अपने कार्यक्रमों में बैठाये नज़र आते हैं तो क्यों न माना जाए कि वे नत्थी पत्रकारों के उसी गिरोह के हिस्सा हो चुके हैं जो फ़ासीवादी ताक़तों का अगुवा दस्ता बन चुका है। यक़ीन करना मुश्किल है, लेकिन इस वीडियो मे ंदेखिये कि कैसे जनरल बख्शी गाँधी जी के सिपाहियों की तुलना अपनी भैंस से कर रहे हैंं।