लॉकडाउन के बीच, बॉलीवुड से एक दिल तोड़ देने वाली ख़बर आई है। भारत के सबसे कमाल के, अंतर्राष्ट्रीय ख़्यातिप्राप्त अभिनेताओं में से एक इरफ़ान ख़ान का निधन हो गया है। इरफ़ान, मंगलवार से मुंबई के कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल में कोलन संक्रमण के चलते – आईसीयू में भर्ती थे। इरफ़ान पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे इरफ़ान पिछले ही साल वापस देश लौटे थे और एक और फिल्म इंग्लिश मीडियम में काम किया था। 53 साल के इरफ़ान को तबियत खराब होने के बाद मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इरफ़ान संभवतः अपनी तरह के अकेले अभिनेता थे, जिसको भारत के साथ-साथ हॉलीवुड में भी आला दर्जे का अभिनेता माना जाता था। मीरा नायर की सलाम बॉम्बे में एक अनजान सा किरदार निबाने वाले इरफ़ान को पिछले एक दशक में बॉलीवुड ने अपने अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आला अभिनेता के तौर पर देखा।
इसके पहले लंबे समय तक उन्होंने एक ख़ास तरह के ब्रेन कैंसर से लंदन में लंबी लड़ाई लड़ी थी। 2018 में पहली बार उनको न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर नाम की अपनी बीमारी का पता चला। उन्होंने 5 मार्च, 2018 को एक ट्वीट के ज़रिए अपनी बीमारी की जानकारी सार्वजनिक की और देश से दुनिया तक उनकी बीमारी को लेकर कयास लगने लगे।
— Irrfan (@irrfank) March 5, 2018
— Irrfan (@irrfank) March 16, 2018
— Irrfan (@irrfank) April 3, 2019
मंगलवार से ही देश-विदेश में उनके दोस्त और प्रशंसक, उनकी सेहत की अपडेट्स पर निगाह लगाए बैठे थे। बुधवार को बॉलीवुड निर्देशक और इरफ़ान के दोस्त शुजित सरकार ने उनके निधन की सूचना एक ट्वीट कर के दी। शुजित की ट्वीट के बाद से ही लगातार बॉलीवुड से शोक संदेशों का दौर जारी है, जबकि फैन्स यक़ीन नहीं कर पा रहे हैं कि ठीक हो कर लौटे इरफ़ान, अब कभी नहीं लौटेंगे…
My dear friend Irfaan. You fought and fought and fought. I will always be proud of you.. we shall meet again.. condolences to Sutapa and Babil.. you too fought, Sutapa you gave everything possible in this fight. Peace and Om shanti. Irfaan Khan salute.
— Shoojit Sircar (@ShoojitSircar) April 29, 2020
अंत में इरफ़ान की उस चिट्ठी का एक अंश, जो उन्होंने अपने मित्र और फिल्म पत्रकार अजय ब्रह्मत्मज से लंदन में इलाज करवाते समय साझा की थी,
“मैं जिस अस्पताल में भर्ती हूं, उसमें बालकनी भी है. बाहर का नज़ारा दिखता है. कोमा वार्ड ठीक मेरे ऊपर है. सड़क की एक तरफ मेरा अस्पताल है और दूसरी तरफ लॉर्ड्स स्टेडियम है… वहां विवियन रिचर्ड्स का मुस्कुराता पोस्टर है. मेरे बचपन के ख्वाबों का मक्का, उसे देखने पर पहली नज़र में मुझे कोई एहसास ही नहीं हुआ. मानो वह दुनिया कभी मेरी थी ही नहीं.
मैं दर्द की गिरफ्त में हूं.
और फिर एक दिन यह अहसास हुआ… जैसे मैं किसी ऐसी चीज का हिस्सा नहीं हूं, जो निश्चित होने का दावा करे. ना अस्पताल और ना स्टेडियम. मेरे अंदर जो शेष था, वह वास्तव में कायनात की असीम शक्ति और बुद्धि का प्रभाव था. मेरे अस्पताल का वहां होना था. मन ने कहा. केवल अनिश्चितता ही निश्चित है.
इस अहसास ने मुझे समर्पण और भरोसे के लिए तैयार किया. अब चाहे जो भी नतीजा हो, यह चाहे जहां ले जाये, आज से आठ महीनों के बाद, या आज से चार महीनों के बाद या फिर दो साल. चिंता दरकिनार हुई और फिर विलीन होने लगी और फिर मेरे दिमाग से जीने-मरने का हिसाब निकल गया.”