ABP NEWS बना “आदित्य बाबा पब्लिसिटी” चैनल..!

ABP न्यूज़, उत्तर प्रदेश के सरकारी जनसंपर्क, प्रचार-प्रसार एवं छवि निर्माण चैनल के रूप में खुलकर और काफ़ी हद तक निःसंकोच सामने आ चुका है।

कुछ साल पहले लगता था कि यह चैनल घटनाचक्र, विश्लेषण, साक्षात्कार आदि के लिहाज़ से परिश्रमी और किंचित तथ्यपरक भी है।
लेकिन अब लगता है पुरानी विश्वसनीयता आज के ही दिन की कामना एवं तैयारी थी। अब संकोच और मर्यादा के परदे उठ चुके हैं, किसी क़िस्म की सरोकारी आड़ हट चुकी है और चैनल खुल्ला उत्तर प्रदेश का सरकारी पैरोकार है।

ऐसा भी रहा आता तो ग़नीमत थी। लेकिन चैनल के प्रसारणों में मूर्खता, अन्धविश्वास पक्षपात से भी अधिक होते जा रहे यह अधिक अफसोसनाक है। दारुण है अब इस चैनल को देखना।

पत्रकारीय स्तरीयता का अंदाज़ा आज की एक ख़बर से लगाइये। सदा उल्लसित, मंत्री महोदया प्रशंसित एक एंकर कह रही हैं- एक बड़ी ख़बर रूस से मिल रही है। सेंट पीटर्स बर्ग में मेट्रो स्टेशन में धमाका हुआ है। 7 लोग मारे गये गए। कई घायल हैं। आइये न्यूज़ रूम चलकर ख़बर विस्तार से जानते हैं।
न्यूज़ रूम में उन्हीं की तरह एक दूसरी एंकर रेंगती हुई खबर दोहराती हैं। बोलती हैं- आइये ख़बर को विस्तार से जानते हैं पत्रकार विजय विद्रोही से। एंकर, विजय विद्रोही से पूछती है- क्या हुआ है वहां?

विजय विद्रोही कहते हैं- वही हुआ है जो आपने बताया। फिर वे बताए हुए को फिर बताने लगते हैं। कुछ सेकंड की एक वीडियो क्लिप बार-बार चलती रहती है। वीडियो क्लिप के पीछे से एक दूसरी कथित मेहनती एंकर की आवाज़ आती रहती है।

इसी बीच इस वक्त की सबसे बड़ी ख़बर, सबसे बड़ा सवाल, बड़ी बातें आदि आदि बार-बार सुनने में आते रहते है।

अब सवाल उठता है कि विजय विद्रोही अगर चैनल में ही बैठे हैं तो उनसे खबर के बारे में क्या सोचकर डिटेल पूछे जा सकते हैं? और विद्रोही जी क्या खाकर न्यूज़ रूम में बैठकर रूस के डिटेल दे सकते हैं? एक ही वीडियो क्लिप सभी चैनलों पर कैसे चलता है? विद्रोही कैसे अतिरिक्त जान सकते हैं? क्या है वह स्रोत जिस तक किन्हीं विद्रोहियों की पहुँच होती है?

मालूम है, इन सवालों का कोई उत्तर नहीं मिलने वाला। फिर भी इतना तो समझ में आता ही है कि दर्शकों को बेवकूफ़ बनाने का टीवी धंधा बड़ा नियोजित, विस्तृत और सरकारी प्रचार-प्रसार के रूप में सामने है।

अब जबकि कोई भी समाचार चैनल 2 से तीन मिनट भी झेलना मुश्किल है तब भी समाचारों की जुगुप्सा जनक प्रस्तुति के कुछ प्रचार माहिर चैनल छाती पर मूंग दलते हुए से तक़लीफ़ देह हैं।

इसका कोई अंत भी नहीं दिखता है।

शशिभूषण के फ़ेसबुक पेज से साभार.

First Published on:
Exit mobile version