बीएसपी छोड़ बीजेपी में शामिल हुए पूर्व सांसद ब्रजेश पाठक अपने पुराने रंग में लौट आए हैं। मंगलवार शाम इंटरव्यू करने पहुँचे नेशनल दस्तक के संपादक शंभु कुमार सिंह के सवालों से वे इस कदर ख़फ़ा हो गए कि उन्हें थप्पड़ मार दिया, यही नहीं, साथी वीडियो जर्नलिस्ट जगदीश गौतम से ज़बरदस्ती कैमरे की चिप निकलवा ली।
21 अगस्त को आगरा रैली में मायावती ज़िंदाबाद करने वाले पूर्व सांसद ब्रजेश पाठक 22 अगस्त को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के संसर्ग में बीजेपी का गुन गा रहे थे। लेकिन असर इतनी जल्दी चढ़ेगा, अंदाज़ा न था। 23 अगस्त की शाम करीब छह बजे दिल्ली के विट्ठलभाई पटेल हाउस के कमरा नंबर 23 में शंभुकुमार सिंह अपने कैमरामैन के साथ ब्रजेश पाठक का इंटरव्यू लेने पहुँचे थे। वरिष्ठ पत्रकार शंभु ने कुछ ऐसे सवाल पूछे जो ब्रजेश पाठक को नागवार परिववारवाद से जुड़े सवाल पर पाठक इस कदर उखड़े कि सीधे थप्पड़ ही मार दिया। बाद में हालात को भांपकर वे इस बात से मुकरने लगे कि उन्होंने कोई इंटरव्यू दिया था। लेकिन एक आडियो रिकार्डिंग बताती है कि शंभु कुमार सिंह ने घटना के बाद उनसे पिटाई और छीनी गई चिप के बारे में बात की। पाठक ने चिप ले जाने के लिए फिर अपने आवास पर बुलाया।
शंभु कुमार सिंह ने ब्रजेश पाठक के ख़िलाफ़ मारपीट और लूटपाट की शिकायत संसद मार्ग थाने में दर्ज करा दी है। नीचे पढ़िये घटना के बारे में शंभु कुमार सिंह ने अपनी फ़ेसबुक टाइम लाइन पर घटना के बारे में क्या-क्या लिखा है, तस्वीर शंभु कुमार सिंह की है–
“ब्रजेश पाठक ने नेशनल दस्तक के रिपोर्टर के तौर पर मुझे थप्पड़ मारा। रिकॉर्डिंग छीन ली। मैंने लाख कोशिश की रिकॉर्डिंग मिल जाए। यहां तक कहा कि आप दे दीजिए नहीं चलाएंगे। डिलिट मार दीजिए। क्योंकि मेरे कैमरे में दो चिप थे। कहने लगे कि नहीं जो मुंह पर ऐसे सवाल करता है वह चलाएगा जरूर। तुम डर ही नहीं रहे हो। मैंने कहा आपको सवाल का जवाब नहीं देना था मत देते। किसी पर थप्पड़ चलाना कहा सही है। पाठक जी बोलने लगे कहां, थप्पड़ चलाया। कौन गवाह है। किसने देखा। वहां मैं और मेरे कैमरामैन के आलावा दस से पंद्रह लोग थे। एक दो लोग खुद को पत्रकार कह रहे थे. सोचने लगा एक सांसद या विधायक रह चुका आदमी कितना रसूखदार हो जाता है कि पंद्रह से बीस लोगों का जमीर एक साथ मर जाता है। उसमें से सही गलत एक भी नहीं बोलता। फिर मैंने कहा कि रिकॉडिंग दीजिए। लोगों को बुलाइये । लोग तय करेंगे कि सवाल गलत है या थप्पड़। उसके बाद तो वहां बैठे उनके समर्थक हत्थे से उखड़ गए। फिर वहीं शाम, दाम, दंड भेद। अंत में चिप तोड़ दी और फ्लश में बहा दिया। लेकिन इतना तो कहूंगा ये लोग झूठ बोलते हैं।“
“बीजेपी में शामिल हुए ब्रजेश पाठक ने जब मुझे थप्पड़ मारा और रिकॉर्डिंग छीन ली। उसके बाद की बातचीत कितनी डरावनी थी वो पढ़िए। विट्ठल हाऊस के 23 नंबर कमरे में 10 से 15 लोग थे। सबके सब खुद को ब्रजेश पाठक का करीबी घोषित करने में लगे थे। मुझे समझा रहे थे कि तुम कैसे पत्रकार हो। कोई किसी से मुंह पर ऐसे सवाल करता है। फिर ब्रजेश पाठक ने कहा क्या नाम है। मैंने कहा शंभू कुमार सिंह। फिर बोलने लगे। अरे आप सिंह होकर ऐसे सवाल करेंगे अपने लोगों से। मुझे सारे पत्रकार जानते हैं मुझे। कोई मेरे खिलाफ नहीं पूछता। मैंने कहा मैं कहा खिलाफ या पक्ष में हूं। परिवारवाद का मुद्दा आपने उठाया मैंने सवाल पूछ लिए। फिर एक कोई नेता जी आए। बताया गया ये विधायक हैं। फिर मुझसे जाति, कहां के रहनेवाले हो। ये पूछा गया। फिर मुझे मोबाइल दिया गया और कहा गया कि ये भागलपुर के सांसद हैं, इनसे बात कीजिए। मैंने कहा मैं क्या बात करूं। मैं इसकी पुष्टि नहीं करता कि वो कौन थे। लेकिन उनकी भाषा बहुत नर्म थी। उन्होंने कहा शंभू जी चलता है। जाने दीजिए। मैंने फोन वापस दे दिया। उसके बाद करीब एक घंटे तक कभी धमकाना। कभी माफी मांगाना तो कभी कैसे पत्रकारिता होती है। खूब सिखाया गया। मैं कहता रहा कि आप राजनीति कीजिए। मुझे पत्रकारिता करने दीजिए। उसके बाद उनकी लाइन थी। तुम जीवन में कुछ नहीं कर पाओगे। तब मुझे लगा कि चलो पत्रकार तो बन गया हूं। क्योंकि जब भी मुझे कोई कहता है कि जीवन में कुछ नहीं कर पाओगे तो समझ लेता हूं कि मैं सही हूं। फिर कहां से पत्रकारिता किए हो । तमाम तरह के जाति, कहां के हो। कौन हो। क्या औकात है जैसे सवाल पूछे गए। पढ़ते रहिए। खूब अनुभव किया एक नेता एक विधायक और दस पंद्रह चापलूस समर्थकों के बीच करीब एक घंटे के दौरान।”
“पहली बार सच्ची पत्रकारिता और आंख में आंख डालकर सवाल पूछने का इनाम मिला। ब्रजेश पाठक ने थप्पड़ जड़ दिया। रिकॉर्डिंग छीन ली। जानते हैं सवाल क्या था।
“पत्रकार साथियों से अपील है कि सवाल पूछने पर पत्रकार को थप्पड़। रिकॉर्डिंग छीन लेना। सिर्फ इसलिए कि आपके मन का सवाल नहीं था। ये गलत है तो कल शाम चार बजे प्रेस क्लब मे मिले। पत्रकारिता की हत्या के खिलाफ ब्रजेश पाठक जैसे नेताओं को आगाह करें कि भारत का चौथा खंभा अभी जिंदा है। सबकुछ आपके हिसाब से नहीं होगा। सवाल पूछे जाएंगे।”
बहरहाल, शंभु कुमार सिंह ने तो लड़ने का हौसला दिखा दिया है, लेकेिन क्या दिल्ली की पत्रकार बिरादरी और एडिटर्स गिल्ड वगैरह के लिए भी यह मुद्दा होगा। इस घटना का अभी तक तो किसी ने संज्ञान नहीं लिया है।शंभु कुमार सिंह स्टार न्यूज़, इंडिया टीवी, लाइव इंडिया और ज़ी न्यूज़ में काम कर चुके हैं। उनके संपादन में नेशनल दस्तक, वंचित तबके की आवाज़ बन रहा है। अगर दिल्ली में एक संपादक के साथ हुई इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया नहीं होती तो फिर कथित मुख्यधारा मीडिया के दामन पर एक और दाग़ लग जाएगा। देखते हैं…हम देखेंगे..!