चीन के साथ भिड़ंत में 3 नहीं, 20 की शहादत- ज़ीरो से कम तापमान में ज़ख़्मी पड़े रहने से जान गई!

भारत-चीन सीमा पर चल रहे विवाद के बीच, भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक भिड़ंत की ख़बर में एक और चिंताजनक मोड़ आया है। मंगलवार सुबह से अब तक 3 भारतीय सैन्यकर्मियों की शहादत की ख़बर में अब नए इनपुट् आए हैं कि दरअसल गालवान घाटी में इस झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हुए हैं। पहले सरकार (रक्षा मंत्रालय) के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से ये ख़बर आई थी। लेकिन मीडिया में इस ख़बर के आने, न्यूज़ एजेंसी एएनआई और पीटीआई के अलावा कुछ समाचार चैनल्स के भी ये ख़बर प्रसारित करने के बाद – अब सेना ने भी इसकी पुष्टि कर दी है।

शुरुआत में इस ख़बर में सैनिकों की संख्या की कोई पुष्टि नहीं थी और इस बारे में सारी जानकारी सूत्रों से मिली जानकारी पर आधारित थी। इस बात की पुष्टि, न्यूज़ एजेंसी पीटीआई और एएनआई के टेक में अंतर भी करता है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने अपनी ख़बर में शहीदों की संख्या 20 बताई, जबकि पीटीआई ने ये संख्या 10 ही बताई थी।

लेकिन इसके बाद, सेना की ओर से इसकी पुष्टि कर दी गई कि भारतीय सेना के 20 सैन्यकर्मी इस झड़प में शहीद हुए। मंगलवार को सेना की ओर से जारी बयान में ये संख्या केवल 3 ही बताई गई थी। हालांकि शहीदों की संख्या बढ़ने की अपुष्ट ख़बरें दोपहर से ही तैर रही थी। लेकिन इस मामले को लेकर, किसी भी सरकारी एजेंसी, सेना या सरकार की ओर से कुछ भी औपचारिक तौर पर नहीं कहा जा रहा था। भले ही रक्षामंत्री और पीएम समेत सेना के सभी उच्च अधिकारियों और विदेश मंत्री ने इस पर अहम बैठक की हो – लेकिन सार्वजनिक रूप से इस पर कोई बयान जारी नहीं हुआ। दोपहर 2 बजे, सेना की ओर से होने वाली प्रेस कांफ्रेंस भी नहीं की गई, जबकि दिन भर उसकी प्रतीक्षा की जाती रही।

इसके बाद अब देर रात, भारतीय सेना की ओर से इसकी पुष्टि कर दी गई है। सेना की ओर से बताया गया है कि इस झड़प में 3 सैन्यकर्मियों की मौके पर ही जान चली गई थी। लेकिन 17 और सैन्यकर्मियों को उस इलाके से तुरंत निकाला नहीं जा सका और वे शून्य से नीचे के तापमान में लगातार – ज़ख़्मी हालत में रहने से अपनी जान गंवा बैठे। इस तरह शहीद सैन्यकर्मियों की संख्या, अब 20 हो गई है।

इस पूरी भिड़ंत में ज़्यादा चिंता की बात ये है कि अभी तक की जानकारी में, इस मामले में किसी भी तरह की फायरिंग की ख़बर नहीं है। ऐसे में माना ये ही जा रहा है कि ये पूरी हिंसक झड़प, बिना किसी फायर आर्म के हुई है। ऐसे किसी आमने-सामने में 20 सैनिकों का शहीद होना, अपने आप में चिंता की बात है। इसके पहले चीनी सेना के साथ किसी मुठभेड़ में, भारतीय सैनिकों की शहादत आख़िरी बार 1975 में हुई थी। 45 साल बाद, इस तरह की हिंसा से तनाव किस स्तर पर जा सकता है – इसको लेकर केवल देश की सुरक्षा ही नहीं, राजनैतिक और सामाजिक रूप से भी चिंता की जानी चाहिए। सेना की ओर से अभी कोई और जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन दोपहर से ही 34 सैन्यकर्मियों के लापता होने की ख़बर है, इस बारे में कुछ और जानकारी नहीं है। लेकिन अगर ये शहादत उन लापता, 34 जवानों में से ही है – तो ये सवाल भी होना चाहिए कि बाकी जवान किस हालत में हैं और वे वे कहां हैं?


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