मीडिया, जनता और नेता: बस एक सीडी आदमी को कौवा बना देती है!

दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे संदीप कुमार की कथित ”सेक्‍स स्‍कैंडल” सीडी ने चौबीस घंटे से भी कम वक्‍त के भीतर टीआरपी के भूखे टीवी चैनलों, लोकप्रियता के मारे पार्टी अध्‍यक्ष व मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मानवाधिकारों की चिंता करने वाले राजधानी के कुछ सरोकारी चेहरों की पोल एक साथ खोल कर रख दी है। इस सीडी को ले‍कर आई प्रतिक्रियाओं में जितनी जल्‍दीबाज़ी देखी गयी, वैसा शायद हालिया अतीत में कभी भी नहीं हुआ था। ”कौवा कान ले उड़ा” वाली मशहूर कहावत का इससे बेहतर उदाहरण हमारे दौर में नहीं मिलेगा, वो भी पूरी बेशर्मी से।



न कोई शिकायत, न पुलिस केस, न कोई जोर-जबर के संकेत, कुल मिलाकर दो व्‍यक्तियों की परस्‍पर सहमति से निजी स्‍पेस में बनाए गए अंतरंग संबंध की एक वीडियो रिकॉर्डिंग को बुधवार को टीवी के परदे पर ‘सेक्‍स स्‍कैंडल’ का नाम दे दिया गया और वीडियो से चुनिंदा शॉट व तस्‍वीरें चलाने की होड़ चैनलों में मच गई। उधर, चैनलों के पूछने पर बिना किसी को पलटवार का मौका देते हुए नैतिकता के ऊंचे पायदान पर खड़े दिल्‍ली सरकार और आआपा के मुखिया ने बिना सोचे-समझे संदीप कुमार को निलंबित कर डाला और गुरुवार को दिए अपने 20 मिनट के वीडियो बयान में उनके निजी संबंध को ”मूवमेंट को बदनाम करने वाला” करार दिया।

उधर, एबीपी न्‍यूज़ के एक नौजवान पत्रकार द्वारा जल्‍दबाज़ी में की गई एक ट्वीट को कुछ वरिष्‍ठ पत्रकार सोशल मीडिया पर ले उड़े और उसके आधार पर वीडियो को पुराना साबित करने लगे, गोकि उक्‍त पत्रकार ने बाद में यह कहते हुए कि उसने सूत्र पर बिना पुष्टि किए भरोसा कर लिया था, उस ट्वीट को डिलीट भी कर डाला। उसके बाद वाले ट्वीट पर हालांकि उन लोगों ने ध्‍यान नहीं दिया जिनकी मंशा संदीप कुमार को ‘बेगुनाह’ साबित करने की थी।

 

इस पूरे खेल में सबसे बड़े आरोपी के रूप में अगर कोई सामने आता है तो वो है एबीपी न्‍यूज़, जिसने ओमप्रकाश नाम के एक शख्‍स से मिले वीडियो को लेकर अपने परदे पर गिरती टीआरपी संभालने के लिए आग लगा दी। चूंकि दीपक चौरसिया का इंडिया न्‍यूज़ हूबहू एबीपी न्‍यूज़ को फॉलो कर के अपनी स्‍क्रीन चलाता है, लिहाजा उसके संपादक नंगई परोसने में एकाध कदम आगे निकल गए और गुरुवार को दिन भी संदीप कुमार की ही खबर को ताने रहे। सबसे दुर्भाग्‍यपूर्ण घटनाक्रम मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल का फैसला रहा जिन्‍होंने उक्‍त सीडी को ‘आपत्तिजनक’ बताते हुए संदीप कुमार को निलंबित कर दिया और गुरुवार को एक विस्‍तृत वीडियो बयान में परस्‍पर सहमति से बनाए गए संबंध को आम आदमी पार्टी और पूरे मूवमेंट पर बदनुमा दाग बता डाला।

इस मामले में कथित दोषी संदीप कुमार भी पूरी तरह बेदाग नहीं कहे जा सकते क्‍योंकि प्रथम दृष्‍टया उन्‍हें अपने बचाव में निजता के अधिकार की बात कायदे से कहनी चाहिए थी, लेकिन उन्‍होंने एक मंझे हुए नेता की तरह पहले घिसा-पिटा डायलॉग मारा कि ”सीडी में मैं नहीं हूं और इसकी जांच करवायी जानी चाहिए”। बाद में माहौल का फायदा उठाते हुए उन्‍होंने दलित कार्ड खेल दिया और कहा कि ”मुझे दलित होने के नाते फंसाया जा रहा है।” उनके इन दो बयानों ने उन लोगां को मुसीबत में डाल दिया जो बेगानी शादी में अब्‍दुल्‍ला दीवाने की तरह उनके पक्ष में दलीलें गढ़ रहे थे।

इस घटनाक्रम में सबसे दिलचस्‍प मोड़ तब आया जब एबीपी न्‍यूज़ के पंजाब में तैनात रिपोर्टर और आम आदमी पार्टी को कवर करने वाले जैनेंद्र कुमार ने एक ट्वीट किया कि सीडी पुरानी है। इस ट्वीट को कुछ वरिष्‍ठ पत्रकार ले उड़े और उन्‍होंने जैनेंद्र की ट्वीट को ख़बर की तरह बरतते हुए दावा करना शुरू कर दिया कि सीडी पुरानी है। इस ख़तरे का अंदाज़ा जैनेंद्र को पहले से था। जैनेंद्र ने मीडियाविजिल से फोन पर हुई बातचीत में बताया कि उनसे जब उनके सहयोगियों ने पूछा कि सीडी के पुराने होने का क्‍या सुबूत है, तो वे नहीं दे पाए। वे कहते हैं, ”मैंने जिस सूत्र के हवाले से यह बात लिखी थी, उस पर मैं फेस वैल्‍यू पर यकीन करता हूं लेकिन वो ऑन दि रिकॉर्ड नहीं आ सकता। मेरे पास कोई साक्ष्‍य नहीं था। मुझे कायदे से ट्वीट को प्रश्‍नवाचक के साथ लिखना चाहिए था। लोगों ने उसे ख़बर के तौर पर ले लिया।”

जैनेंद्र कहते हैं कि अपनी इस ग़लती का अहसास होते ही उन्‍होंने  ट्वीट को डिलीट कर डाला और नया ट्वीट किया कि उन्‍होंने सूत्र की पुष्टि किए बगैर सीडी को पुराना बता दिया था। उन्‍होंने इसमें अफ़सोस जताया कि इस बहाने लोग उनके संस्‍थान को निशाना बना रहे हैं। जैनेंद्र ने कहा कि अब तो तीर कमान से निकल चुका है, इसलिए डैमेज कंट्रोल का कोई फायदा नहीं है।

तीर कमान से सुबह ही निकल चुका था। वरिष्‍ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह ने फेसबुक पर जैनेंद्र की पुरानी ट्वीट का स्‍क्रीनशॉट लगाते हुए शीर्षक दिया, ”एबीपी पत्रकार ने खोली पोल”।

इतना ही नहीं, अंग्रेज़ी के पत्रकार शिवम विज ने भी जैनेंद्र के ट्वीट का स्‍क्रीन शॉट लगाते हुए हफिंगटन पोस्‍ट पर ख़बर चला दी और एबीपी समेत केजरीवाल को कठघरे में खड़ा कर दिया, हालांकि जैनेंद्र के बाद वाले ट्वीट का उन्‍होंने जि़क्र तक नहीं किया।

शाम होते-होते हफिंगटन पोस्‍ट की वेबसाइट आम आदमी पार्टी का मुखपत्र बन गई। आम आदमी पार्टी के संगठन निर्माण विभाग के राष्‍ट्रीय संयुक्‍त सचिव अक्षय मराठे ने एक लेख इस साइट के ब्‍लॉग पर लिखा जिसका शीर्षक था, ”संदीप कुमार सेक्‍स स्‍कैंडल ने आम आदमी पार्टी की स्‍वच्‍छ छवि को किया दोबारा पुष्‍ट”। इसमें सेक्‍स स्‍कैंडल को बिना कोट्स के लिखा गया है। इसके अलावा हफिंगटन पोस्‍ट ने अरविंद केजरीवाल के वीडियो संदेश पर केंद्रित एक ख़बर अलग से भी चलायी। एक दिन के भीतर इस मसले पर तीन-तीन खबरों को चलाने वाले हफिंगटन पोस्‍ट के भारतीय प्रतिनिधि शिवम विज पर इस प्रकरण में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्‍या वे इस प्रतिष्ठित वेबसाइट से आम आदमी पार्टी को मदद पहुंचा रहे हैं।

बहरहाल, संदीप कुमार के दलित कार्ड को भी थोड़ा समर्थन ज़रूर मिला है। इस बारे में शीतल पी. सिंह ने निम्‍न पोस्‍ट लिखी है:

 

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