सौरभ जैन द्वारा प्रेषित
केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को आज सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि, “हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार है “. मुख्य न्यायाधीश, यू यू ललित ने कहा कि कप्पन को अगले छः हफ्ते दिल्ली में पुलिस को रिपोर्ट करना पड़ेगा और फिर वे केरल में पुलिस में रिपोर्ट करेंगे। सिद्दीक कप्पन 2020 से ही जेल में हैं जब उन्हें उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की एक लड़की के सामूहिक बलात्कार और यू पी पुलिस द्वारा जल्दबाज़ी में रातों रात अंतिम संस्कार करने की शर्मनाक खबर के बारे में रिपोर्ट करने के लिए हाथरस जा रहे थे। उन पर यू ए पी ए के अंतर्गत आरोप लगाए गए थे। सिद्दीक कप्पन अज़ीमुखम नाम के मलयालम न्यूज़ पोर्टल के पत्रकार हैं। इससे पहले उनकी जमानत की अपील खारिज की जा चुकी थी। यू पी पुलिस का आरोप है कि वे कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के लिए हाथरस जा रहे थे, और उन्हें इस काम के लिए पैसे दिए गए थे, हालाँकि इस बात का कोई सबूत पुलिस पेश नहीं कर पाई। यू पी पुलिस का ये भी आरोप था कि कप्पन के पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया से रिश्ते हैं। कप्पन के मामले के साथ-साथ इसी तरह के कई मामले हैं, जिनमे योगी सरकार ने अपने काले कारनामो को छुपाने के लिए पत्रकारों और अन्य लोगों को जेल भेजा है, और इसके लिए हमेशा इसी तरह के आरोप लगा कर, बिना सबूत उन्हें जेल में डाल दिया गया है।
आज कोर्ट में, योगी सरकार ने कहा कि कप्पन को प्रदेश में दंगे भड़काने के लिए पैसे दिए गए थे और वे कोई सम्मानित पत्रकार नहीं हैं। राज्य के तरफ से पेश हुए महेश जेठमलानी ने कहा कि, “वो दंगे की हालात पैदा करना चाहते थे और विस्फोटक इस्तेमाल करना चाहते थे, वो पी एफ आई से सम्बंधित हैं जो एक आतंकवादी संगठन है। “ सुप्रीम कोर्ट ने पूछा की कप्पन के खिलाफ क्या सबूत हैं, “ना तो आप को कोई विस्फोटक मिले, न ही उनकी कार से कोई और सामग्री मिली, जो वे, वो सब करने के लिए इस्तेमाल करने वाले थे, जिसका आप आरोप लगा रहे हैं। “ अंततः कप्पन बाहर आये हैं।