सिंगरौली में रिलायंस पावर का राख-बांध टूटने से भारी तबाही, दो मरे, दस लापता

सिंगरौली। मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के सिद्धीकला (हर्रहवा) गांव में स्थित रिलायंस समूह के सासन अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट का राख बांध शुक्रवार शाम करीब 5.30 बजे टूट गया. इसके बाद, राख बांध होने की वजह से पैदा हुए राखयुक्त मलबे के सैलाब ने आस-पास के गांवों को अपनी जद में ले लिया है. कई सौ एकड़ की फसल बरबाद हो गयी है और दो लोगों के मरने तथा करीब आधा दर्जन के लापता होने की खबर है।

अचानक आये सैलाब का सबसे बड़ा शिकार रामबरन साहू का परिवार हुआ, जिसके आठ लोग बहने लगे। किसी तरह घर की एक महिला और बेटी को लोगों ने बचा लिया गया, जबकि छः लोग बह गये। बाद में दिनेश (35) और अभिषेक (8) के शव सुबह मिले।

इसके अलावा कुछ और लोग लापता बताये जाते हैं, जिनमें कुछ रिलायंस पावर के भी कर्मचारी हैं। इस वक़्त चारों ओर पानी में मिली राख फैली नज़र आ रही है। इसमें कितने लोग फंसे होंगे, अंदाज़ा लगाना मुश्किल है।

पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में इस पावर प्लांट के ख़िलाफ़ हुए धरना प्रदर्शन के समय ही लोगों ने रिलायंस प्रबंधन और जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखकर आगाह किया था कि यह राख बांध कभी भी टूट सकता है, लेकिन शायद रिलायंस पावर या सरकारों की नज़र में इंसानी जान की कोई कीमत नहीं है, इसीलिए इस बात पर उनकी तरफ़ से कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया गया और बांध को सुरक्षित बता दिया गया।

स्थानीय निवासियों के मुताबिक बांध टूटने की वजह से लगभग 700 एकड़ से ज़्यादा की फसल चौपट हो गयी है, 50 से ज़्यादा घरों में मलबा भर गया है. थोड़ी दूरी पर ही बहने वाली गोहबइया नदी भी राख के मलबे से भर गयी है.

गौरतलब बात यह भी है कि रिलायंस का 4000 मेगावॉट क्षमता वाला यह सासन पावर प्लांट शुरू से ही विवादों से घिरा रहा है. इस पावर प्लांट से सैकड़ों लोग विस्थापित होने को मजबूर हुए थे. स्थानीय लोगों के अनुसार, अनिल अंबानी जी के रिलायंस पावर ने यहां कम दाम में ज़मीनें खरीदकर, क्षेत्र के लोगों को रोज़गार और शिक्षा देने का झूठा वादा किया था.

पिछले वर्ष अक्टूबर में इसके ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शनों का दौर भी चला था. स्थानीय लोगों की शिकायत यह भी रही है कि पावर प्लांट की वजह से आस-पास के नदी-नालों का पानी प्लांट से निकलने वाले केमिकल से प्रदूषित हो गया है और लोगों में तरह-तरह की बीमारियां फैल रही हैं.

अंबानी के इस पावर प्लांट में कोयले के लगातार जलने से राख पैदा होती रहती है, इसी वजह से सासन डैम को राख बांध (ऐश डैम) कहा जाता है. बांध टूटने के बारे में पूछने पर नाम न बताने की शर्त पर स्थानीय प्रशासन में शामिल एक अधिकारी बस इतना ही कहते हैं कि रिलायंस पावर पर पर्यावरण के नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जायेगी. अधिकारी महोदय ने ऐसा कह तो दिया है, लेकिन जब बात प्रधानमत्री की पीठ पर भी हाथ फेर देने की ताक़त रखने वाले बड़े अंबानी जी के छोटे भाई की हो, तो ऐसा होना मुश्किल है. बाकी, जब लगभग सारा गोदी मीडिया भी बड़े अंबानी जी का नमक खाता है, वो भी क्यों अंबानी जी के मुंह का स्वाद बिगाड़ेगा. कुछेक लोग ही तो मरे हैं.

संदीप शाह, अध्यक्ष विस्थापित परिवार संघ ने इस बांध के मुद्दे पर लगातार आंदोलन किया। बीते अक्टूबर में 24 दिन का अनवरत प्रदर्शन भी हुआ था। उन्होंने कुछ मीडिया वालों के सामने खुलकर अपना दर्द बयान किया।

कुल मिलाकर यह कॉरपोरेट कंपनियों और सरकारों की मिलीभगत का नतीजा है, जिसके ख़िलाफ़ जनता चाहे कितना बोले, प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। देखना है कि इस हादसे के बाद क्या कार्रवाई होती है। प्रशासन पर्यावरण नियमों के उल्लंघन की बात अब कर रहा है, जो उसे पहले ही करनी चाहिये थी।


 

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