सुप्रीम कोर्ट : कोरोना से हुई हर मौत इलाज में लापरवाही नहीं, मुआवज़ा याचिका ख़ारिज

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुई मौतों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने बुधवार 8 सितबर को मौखिक रूप से कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि दूसरी लहर में COVID -19 के कारण हुई सभी मौतें चिकित्सा लापरवाही के कारण हुईं। वहीं कोर्ट ने दीपक राज सिंह की रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनकी मांग थी कि महामारी के कठिन समय में ऑक्सीजन की कमी और आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए।

अदालत अनुमान नहीं लगा सकती..

कोर्ट ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश को प्रभावित किया है और चिकित्सा लापरवाही का सामान्य अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। न्यायालय की पीठ के अनुसार, याचिका में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि सभी COVID ​​​​मौतें चिकित्सा लापरवाही के कारण हुई थीं। कोर्ट ने कहा, अदालत इस प्रकार अनुमान नहीं लगा सकती हैं कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोरोना की वजह से होने वाली सभी मौतों के लिए चिकित्सा लापरवाही ही वजह है ।

सुझावों के साथ सक्षम अधिकारियों से संपर्क करे:SC

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से याचिका वापस लेने व अपने सुझावों के साथ सक्षम अधिकारियों से संपर्क करके अपनी बात रखने के लिए कहा। बता दें की पीठ ने यह बात इस लिए कही क्योंकि सरकार को अभी कोर्ट द्वार दिए गए पहले के फैसले के अनुसार मुआवज़े के दिशा निर्देश की नीति के साथ आना बाकी है। पीठ ने कोरोना महामारी से संबंधित विभिन्न मामलों के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा उठाए गए स्वत: संज्ञान मामले का हवाला देते हुए कहा कि महामारी के विभिन्न पहलुओं को देखने के लिए एक राष्ट्रीय कार्य बल (national task force) का गठन किया गया है।

SC ने किया याचिका पर विचार करने से इनकार..

पीठ ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत ने 30 जून के फैसले में कोविड पीड़ितों के परिवारों को अनुग्रह राशि देने के संबंध में आदेश भी जारी किया था। बता दे की अपने 30 जून के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का एक वैधानिक दायित्व है कि वह कोरोना महामारी के पीड़ितों को न्यूनतम अनुग्रह सहायता की सिफारिश करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करे। इसी के साथ याची द्वारा इस दायर याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि पहले के फैसले में अदालत ने मानवता के संबंध में विचार किया है न कि लापरवाही के कारण।

अधिवक्ता ने कहा याचिका में मौतों से संबंधित एक अलग मुद्दा..

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता श्रीराम परकट ने कहा कि याचिका में लापरवाही और कुप्रबंधन के कारण हुई मौतों से संबंधित एक अलग मुद्दा उठाया गया है। कोर्ट ने कहा की सरकार अभी तक नीति के साथ सामने नहीं आई है। यदि आपके पास उस नीति के कार्यान्वयन के संबंध में कोई सुझाव है, तो आप सक्षम प्राधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। पिछली सुनवाई में अदालत ने राष्ट्रीय प्राधिकरण को निर्देश दिया था कि वह कोरोना पीड़ितों को अनुग्रह सहायता प्रदान करने के लिए 6 सप्ताह के भीतर दिशानिर्देश तैयार करे।

 

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