PMO ने पीएम केयर्स फंड पर RTI से किया इंकार, उठे गंभीर सवाल

कोरोना महामारी से लड़ने के लिए बनाये गए पीएम केयर्स फंड पर शुरू से ही सवाल खड़े किये जा रहे हैं। एक अप्रैल 2020 को हर्षा कांदुकुरी द्वारा पीएम केयर्स फंड से संबंधित जानकरी प्राप्त करने के लिए आरटीआई दाख़िल की गयी थी। प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (पीएमओ) ने इस जानकरी को देने से इंकार कर दिया और कहा कि यह पब्लिक अथॉरिटी नहीं है, इसलिए आरटीआई के अंतर्गत इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती। दरअसल अज़ीम प्रेम जी यूनिवर्सिटी में लॉ की पढाई कर रही हर्षा कांदुकुरी ने आरटीआई के तहत पीएम केयर्स फंड की ट्रस्ट डीड, संचालन और इसके निर्माण से जुड़े अन्य सरकारी आदेशों और अधिसूचनाओं की जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब में पीएमओ से जवाब आया कि पीएम केयर्स फंड सूचना के अधिकार अधिनियम. 2005 की धारा 2 (H) के दायरे में नहीं आता। पीएम केयर्स फंड सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है। हालांकि इसके बारे में pmcares.gov.in उपलब्ध जानकारी देखी जा सकती है।

नेशनल पोर्टल ऑफ़ इंडिया से साभार

आपको बता दें कि 28 मार्च 2020 को कोरोना महामारी से निपटने के लिए पीएम केयर्स फंड बनाया गया था। उसके बाद से ही विपक्षी दलों के साथ ही तमाम लोगों का कहना था कि देश में जब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष है तो पीएम केयर्स फंड की स्थापना की क्या ज़रूरत है ? बता दें कि देश भर से लोगों ने इसमें दान किया था और कर रहे हैं। इसके साथ ही कॉर्पोरेट और सार्वजनिक क्षेत्रों के कई उपक्रमों से भी करोड़ों रुपए के दान दिए दिए गए। हर्षा का कहना है कि पीएम केयर्स फंड के नाम, रचना, प्रतीकों के नाम और गवर्नमेंट डोमेन से तो यही प्रतीत होता है कि यह फंड सार्वजनिक प्राधिकरण है। इसमें पारदर्शिता नहीं है कि इस फंड का संचालन कैसे किया जा रहा है ?

पीएम केयर्स फंड पर जानकरी उपलब्ध कराए जाने से मना करने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया है कि पीमएमओ के अनुसार पीएम केयर्स फंड आरटीआई के अंतर्गत सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है। तो क्या सरकारी कर्मचारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से 1000 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री मोदी के निजी फंड के लिए एकत्रित किये गए हैं ?

कपिल सिब्बल ने भी प्रधानमंत्री से सवाल किया है कि अब तक पीएम केयर्स फंड द्वारा मजदूरों को कितना पैसा दिया गया है ? कुछ लोग ट्रेन में मर गए कुछ पैदल चलते हुए मर गए और कुछ की मृत्यु भूख से हो गयी, मैं प्रधानमंत्री से यह अनुरोध करता हूँ कि वो बताएं, प्रवासियों को कितनी मदद इस फंड से की गयी है ?

 

इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो जनहित याचिकाएं खारिज़ की जा चुकी हैं जिनमें पीएम केयर्स फंड के गठन पर सवाल किये गए थे। सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से याचिकाओं को खारिज़ करते हुए कहा गया था कि ये गलत होने के साथ ही राजनीतिक रंग लिए हुए हैं।

 


 

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