कोरोना संकट ने जिस तरह से भारत में अमीर और गरीब की खाई को सबसे नंगे और विकृत रूप में सामने लाकर खड़ा कर दिया है, वह किसी और मौके पर शायद नहीं हुआ। लॉकडाउन के डेढ़ महीनों में हमने देखा कि कैसे कोरोना से फोरफ्रंट पर लड़ रहे डॉक्टर्स को घर खाली करने को कहा जा रहा था और उनके पास पीपीई किट्स नहीं थे, तो बालकनी में इससे निरपेक्ष होकर, इन्हीं को आभार प्रकट करने के लिए थाली बजाते लोग भी देखे। हमने देखा कि जिन दिनों गरीब, अपने गांव की पैदल यात्रा में रास्ते में ही दम तोड़ रहे थे, उन्ही दिनों देश की एक आबादी रात को कमरों की बत्तियां बुझा कर – खिड़कियों पर दीये जला रही थे। हमने बिना पीपीई इलाज के दौरान कोरोना से संक्रमित होते मेडिकोज़, सड़क पर पुलिस द्वारा पीटे जाते लोग, भूखे बच्चे, रोती औरतें, इलाज के लिए भटकते बीमार, सड़क पर फंसे मज़दूर, बेरोज़गार होते नौजवान देखे..हमने देखा कोरोना के नाम पर भी सांप्रदायिक नफ़रत को फैलते और भयानक छुआछूत को…और अब मध्य प्रदेश में हमने देखा एक दंपति को, जिसे क्वारंटीन किया जा रहा है…एक शौचालय में…जिसके बाहर गांधी का चश्मा है और लिखा है ‘स्वच्छ भारत’!
मध्य प्रदेश के राघोगढ़ की ये तस्वीरें, एक कहानी के ज़रिए कई कहानियां कहती हैं। इस तस्वीर में ये पति-पत्नी हैं, एक गांव टोडरा के भैयालाल सहरिया और उनकी पत्नी भूरीबाई सहरिया और इनके साथ इनके दो बच्चे भी हैं। इस प्रवासी मजदूर परिवार को राजस्थान से अपने गांव लौटने पर गांव के स्कूल के टायलेट में ही क्वॉरंटीन कर दिया गया। इस परिवार के सामने कोई विकल्प नहीं था, तो इसने आराम भी वहीं किया और खाना भी वहीं खाया। तस्वीरें जब वायरल हो गई, तो प्रशासन हरकत में आया और परिवार को शौचालय से स्कूल में शिफ्ट किया गया।
इस देश के लिए कितने शर्म की बात है कि इस महामारी के दौर में देश के ग़रीबों को शौचालयों में रखा जा रहा है..! क्या PM केयर फ़ंड का पैसा इन ग़रीबों पर खर्च होगा..? मोदी जी शर्म करो और शर्म नहीं तो डूब मरो..! pic.twitter.com/dgG8dTui0F
— Arjun Mehar (@Arjun_Mehar) May 3, 2020
इसके बाद ज़िला प्रशासन ने बयान दिया कि ये जानकारी ही ग़लत है, तस्वीर तब खींची गई जब परिवार ख़ुद ही शौचालय में बैठ कर भोजन कर रहा था। हालांकि कुछ पत्रकारों को अलग-अलग अधिकारियों ने परस्पर विरोधाभासी बयान भी दिए। इलाके के सीइओ जितेंद्र धाकरे ने रविवार शाम तक इस मामले की जानकारी से इनकार किया तो राघोगढ़ के एसडीएम बृजेश शर्मा ने पत्रकारों से कहा कि इस संबंध में शिकायत मिली थी। मामला सामने आने के बाद तुरंत ही परिवार को शौचालय से निकालकर स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया है और मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। सवाल ये है कि आखिर क्यों कोई भी व्यक्ति ख़ुद जाकर शौचालय में बैठ कर खाना खाने लगेगा, अगर वो ऐसा करने पर मजबूर नहीं होगा?