फिरोज़ाबाद में बुखार के मरीज़ डिवाइडर पर इलाज कराने को मजबूर!

योगी आदित्यनाथ के यूपी में स्वास्थ्य व्यावस्था कितनी नाकाफी है इसका अंदाज़ा सोशल मीडिया पर वाइरल हो रही इस वीडियो से लगाया जा सकता है, जिसमें मरीज़ों का इलाज हाइवे पर बने डिवाइडर पर किया जा रहा है। जी हां…फिरोजाबाद में डेंगू और वायरल फीवर का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। हालत ये हैं कि डॉक्टर द्वारा हाईवे पर बने डिवाइडर पर लेटाकर 32 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इसकी वजह साफ है सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी अस्पतालों तक फुल हैं। मरीज़ों के पास जान बचाने का और कोई सहारा नही है इस लिए वह रास्ते में ही अपना इलाज कराने को तैयार है।

 जांच के बाद नर्सिंग होम को सीज़..

डॉ अश्विनी गुप्ता कस्बा कठफोरी में नर्सिंग होम चलाते हैं। सोमवार को इसी नर्सिंग होम का एक वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया। इसकी जानकारी डीएम चंद्र विजय सिंह को हुई तो उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अवगत किया और जांच के आदेश दिए। डीएम के निर्देश पर एसीएमओ डॉ. अशोक कुमार के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंची। टीम की जांच के बाद नर्सिंग होम को सीज़ कर दिया गया है। बड़ी संख्या में ग्रामीण भी जमा हो गए। इसको लेकर इलाके में हड़कंप मच गया है।

अस्पताल में जगह नहीं, डिवाइडर पर इलाज..

जिस घर में नर्सिंग होम संचालित किया जा रहा है उस पर बोर्ड आदि नहीं लगा है। जब घर में बने कमरों में मरीज़ों को भर्ती करने के लिए जगह नहीं बची तो डॉक्टर ने मरीजों को नेशनल हाईवे के डिवाइडर पर लेटाकर इलाज देना शुरू कर दिया। सोमवार को करीब 32 मरीज़ों का डिवाइडर पर लेटकर इलाज किया जा रहा था। बुखार और डेंगू से पीड़ित मरीज़ के उपचार के लिए घर से कपड़े और चारपाई आते थे। जिनको डिवाइडर पर बिछाकर चिकित्सक द्वारा मरीज़ों का उपचार किया जाता था। एसीएमओ डॉ. अशोक कुमार के अनुसार,  मामले की जांच रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपी जाएगी। वहीं, चिकित्सक के खिलाफ अभी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी जर्जर है की लोगों को डिवाइडर पर इलाज कराना पर रहा है। भले ही नर्सिंग होम सरकारी ना हो लेकिन यहां मरीज़ों के इस तरह से इलाज का कारण सरकारी अस्पताल ही हैं। अगर सरकार ने सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था को सुधारा होता तो लोगों को इस तरह भटकना नही पड़ता। सरकारी और बड़े-बड़े निजी अस्पताल इस वक्त मरीज़ों से भरे पड़े है। ऐसे में मरीज़ डिवाइडर पर इलाज न करवाएं तो कहा जाए? उनके पर उपचार का और क्या सहारा है?

First Published on:
Exit mobile version