सरकारी कर्मचारियों के लिए तो ये पहले ही आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य करने के बाद, अब नोएडा में भी एक आदेश के तहत इस ऐप को डाउनलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस ऐप के आने के बाद से ही कई साइबर सिक्यूरिटी के विशेषज्ञों और संस्थाओं ने चिंता जतायी है। नोएडा प्रशासन के इस ऐप को डाउनलोड करने के आदेश के बाद इंटरनेट से जुड़े अधिकारों के लिए सक्रिय रहने वाली एक संस्था इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने इस ऐप को डाउनलोड न करने पर होने वाली क़ानूनी कार्रवाई के आदेश को चुनौती दी है। नोएडा में रहने वालों को ये ऐप डाउनलोड न करने पर, आईपीसी की धारा 188 के अंतर्गत 1000 रुपये का जुर्माना और 6 माह की जेल हो सकती है। नोएडा में आने वाले लोगों के लिए भी ये ऐप डाउनलोड किया जाना अनिवार्य बना दिया गया है। आरोग्य सेतु ऐप के माध्यम से आस-पास कोरोना संक्रमित के होने का पता चलेगा। साथ ही इस ऐप से कोरोना संबंधित जानकारियाँ भी प्राप्त की जा सकती हैं।
Attention all Noida residents and visitors : We have facilitated a legal challenge against the mandatory imposition of Aarogya Setu. More details in the linked post. 1/3 https://t.co/UtfuxJaE96
— Internet Freedom Foundation (IFF) (@internetfreedom) May 6, 2020
अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का बचाव करें
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने ट्वीट करके इस बारे में जानकरी दी है। संस्था ने अपने ट्वीट में बताया है कि धारा 144(5) के अंतर्गत आवेदन में हमने इसे चुनौती दी है। इसको अभिनव सेखरी ने तैयार किया है और अधिवक्ता ऋत्विक ने इसे दाखिल किया है। ऋत्विक नोएडा के निवासी हैं। संस्था ने ये भी ट्वीट किया है कि हम धारा 144 के तहत दिए गए आदेशों के विरूद्ध खड़े होने के लिए प्रतिनिधित्व उपलब्ध करा रहे हैं। कृपया इसे लोगों तक पहुंचाएं। अपने अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का बचाव करें।
This is through a representation filed under Section 144(5) that has been drafted by Abhinav Sekhri, Advocate and filed by Ritwik, Advocate. Ritwik is a resident of Noida. It puts into motion a formal legal process to challenge the order linked below. 2/3https://t.co/ic8EUcRs9M
— Internet Freedom Foundation (IFF) (@internetfreedom) May 6, 2020
ऐप पर डाटा सुरक्षा और निजता भंग होने का विवाद
आरोग्य सेतु ऐप पर विवाद की सबसे बड़ी वजह डेटा की सुरक्षा और लोगों की निजता भंग होने की शंका है। इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि यह ऐप वैसे तो स्वास्थ्य का रास्ता बताई जा रही है लेकिन जैसा हमने आपको बताया कि जो इसे इंस्टाल नहीं करेगा उसके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होगी। तो ये स्वास्थ्य का रास्ता है या जेल का? आरोग्य सेतु ऐप पर गृह मंत्रालय के निर्देशों को लेकर 45 संस्थाओं और 100 लोगों ने इसकी समीक्षा करने को कहा है।
हालांकि सरकार की तरफ़ से हर बार आरोग्य सेतु पर उठे सवाल के जवाब में बताया गया है कि यह एकदम सुरक्षित है और इससे किसी को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। लेकिन उसके बावजूद भी अगर ऋतिक के तर्कों को आप ध्यान से सुनें तो आपको ये तो सोचना होगा ही कि आख़िर कैसे सरकार किसी ऐप को इंस्टॉल न करने पर नागरिकों को जेल या जुर्माने का भय दिखा सकती है?