एक्टिविस्टों के ‘पुलिसिया उत्पीड़न’ पर देश भर की नारीवादियों की साझा मांग

रविवार, 3 मई को देश भर से अलग-अलग धर्म, वर्ग, जातियों, इलाकों, सेक्शुअलिटी और जेंडर की 1100 नारीवादियों ने एकजुट होकर, मुस्लिम और महिला एक्टिविस्टों को निशाना बनाती पुलिसिया कार्रवाई के ख़िलाफ़ साझा बयान जारी किया है। ये बयान उन एक्टिविस्टों के उत्पीड़न के ख़िलाफ़ है, जो नागरिकता क़ानून CAA और एनआरसी-एनपीआर के ख़िलाफ़ आंदोलन में सक्रिय थी।

इस बयान में कहा गया है कि गृह मंत्रालय के इशारे पर, दिल्ली पुलिस कोविड19 लॉकडाउन के पर्दे के पीछे से, इन एक्टिविस्टों पर क्रूर कार्रवाई कर रही है। इस स्टेटमेंट में फेमिनिस्ट्स ने सीएए विरोधी आंदोलन को दिल्ली के फरवरी-2020 दंगों से जोड़ने को निराधार ठहराते हुए, इन सांप्रदायिक दंगों की साज़िश रचने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है। बयान में भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा के नाम का उल्लेख करते हुए, दिल्ली पुलिस से गिरफ्तारियों, हिरासत में लिए लोगों की सूची को सार्वजनिक करने की मांग की गई है। इसके अलावा सभी राजनैतिक क़ैदियों की रिहाई और फ़र्जी मुकदमों की वापसी की मांग की गई है। 

इस स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख नामों में एक्टिविस्ट एनी राजा, मेधा पाटकर, फराह नक़वी, अरुणा रॉ़य, शबनम हाशमी, ललिता रामदास, मैमूना मुला, सोनी सोरी, हसीना ख़ान, मरियम धवले, तीस्ता सेतलवाड़, सदफ़ जाफ़र, सबिका अब्बास नक़वी, कमला भसीन, चयनिका शाह, मलिका वीरदी, कविता श्रीवास्तव, पूनम कौशिक, कविता कृष्णन, मीरा संघमित्रा, कल्याणी मेनन के अलावा शिक्षाविद उमा चक्रवर्ती, ज़ोया हसन, वीणा शत्रुघ्ना, नलिनी विश्वनाथ, प्रतीक्षा बक्षी, जयति घोष, रिचा नागर, केरेन गैब्रिएल, दीपा सिन्हा, पद्मजा शॉ, लेखिका मीना कंदासामी, गीता हरिहरन, पत्रकार पामेला फिलीपोज़, गीता शेशु, रंगकर्मी अनामिका हक्सर, मंगई और माया राव के अलावा एडवोकेट अनुभा रस्तोगी, वीना गौड़ा, एल्बर्टीना एल्मेडा के साथ अन्य शामिल हैं। साथ ही फिल्म निर्माता-निर्देशक अपर्णा सेन, महास्वेता बर्मा, शिबा चची, फातिमा निसारुद्दी, रीना मोहन, टीना गिल, दिव्या भारती और वाणी सुब्रमनियन ने भी इस पर हस्ताक्षर किए हैं।

नारीवादियों के बयान के साथ जारी पोस्टर

इस बयान पर देश भर के छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर के अलावा देश भर के नारीवादी-एलजीबीटीक्यू संगठनों सहेली, एनएफआईडब्ल्यू, एआईडीडब्ल्यूए, एआईपीडब्ल्यूए, डब्ल्यूएसएस, पीएमएस, एनएपीएम, पीयूसीएल, बेबाक कलेक्टिव, LABIA, फोरम अगेन्स्ट ऑप्रेशन ऑफ वीमेन, हसरतें के प्रतिनिधियों ने भी एकजुटता जताई है।

इस बयान में ख़ासतौर पर 3 महिला एक्टिविस्टों – गुलफ़िशा, सफ़ूरा ज़रग़र और इशरत जहां का ज़िक्र है, जिनको दिल्ली पुलिस ने हाल ही में शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से एंटी सीएए आंदोलन में शामिल होने के बावजूद, हिंसा और साज़िश के गंभीर मुकदमें लगाकर गिरफ्तार किया है। इन पर पुलिस द्वारा विद्वेषपूर्ण तरीके से लगाए गए फ़र्ज़ी आरोपों की इस स्टेटमेंट में भर्त्सना की गई है। इस बयान में इन पर और तमाम साथी एक्टिविस्टों पर लगाए गए फ़र्ज़ी मुकदमों को वापस लेने के साथ, तमाम एक्टिविस्टों को रिहा करने, दंगों के असली गुनहगारों को गिरफ्तार करने और यूएपीए क़ानून को ख़त्म करने की मांग की गई है।


प्रेस विज्ञप्ति से प्राप्त जानकारी के आधार पर प्रकाशित ख़बर

 

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