SC की सख्ती के बाद BJP का बदलता रुख! क्या ख़तरे में है अजय मिश्र की कुर्सी?

लखीमपुर खीरी का मामला अब  एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। किसानों को कुचलकर मारने के आरोपी भाजपा सरकार के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटे है। किसान पहले ही भाजपा सरकार से नराज़ हैं और मंत्री के बेटे की करतूत से और अक्रोशित हो चुके हैं। ऐसे में किसानों के साथ विपक्ष भी मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा है। सोमवार को महाराष्ट्र में सरकार प्रायोजित बंद और विपक्ष के विरोध से स्पष्ट हो रहा हैं की मामला अब अपराध से ज्यादा राजनीतिक होता जा रहा है। किसान इस मुद्दे पर देशव्यापी प्रदर्शन की भी योजना बना चुके हैं। प्रियंका गाँधी की सक्रियता ने भी इस मामले को गंभीर बना दिया है और मोदी सरकार पर अजय मिश्र को कैबिनेट से हटाने का दबाव बढ़ गया है।

बीजेपी को कोई न कोई कदम उठाना ही होगा क्योंकि..

जब तक मंत्री का बेटा पुलिस के सामने नहीं आया था तब तक लोगो की धारणा अलग- अलग थी। अब इस घटना के समय आशीष मिश्र की  मौजूदगी के सबूतों से स्थिति बदल रही है। मामला केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे का  है जिसकी वजह से विपक्ष कोई रियायत देने के मूड में नहीं है। चुनाव भी नज़दीक हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट भी मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है और सख्त टिप्पणी की है। जिससे मामले और भी हाई प्रोफाइल हो गया है। इसलिए बीजेपी को अब कोई न कोई कदम उठाना ही होगा।

…यह बयान है बदलते रुख का संकेत

हालांकि शुरुआत में भाजपा कि तरफ से कोई सख्त कदम उठाने का संकेत नहीं था। याद रहे ये वही सरकार है जो रासुका, राज्यद्रोह, राष्ट्रद्रोह लगाने के लिए कुख्यात है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक सभी भाजपा नेता ‘कानून अपना काम कर रहा है’, जैसे जुमले को देहराये जा रहे थे। पर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह का बयान पार्टी के रुख में बदलाव का संकेत दे रहा है। उन्होंने कहा है कि ‘हम लोगों को कारों से कुचलने के लिए राजनीति में नहीं आए हैं।’ यह बयान अदालत की सख्त कार्रवाई की आशंका से घबराई बीजेपी में आ रहे बदलाव का संकेत है। अगर सुप्रीम कोर्ट छुट्टी के बाद की इस मानले की सुनवाई में फैसला लेता है तो पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

बदलते रुख की यह है वजह…

लखीनपुर में किसानों की कार से कुचल कर हत्या फिर मामले पर सरकार की सुस्ती और फिर कोर्ट की सकती के बाद बदलता रुख, इस पूरे मामले को इस तरह देखा जा सकता है कि पार्टी चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव और कोर्ट के सख्त रुख के चलते जनता की धारणा को देखते हुए कड़ा फैसला ले सकती है। ऐसा हो सकता है की अजय मिश्रा इस्तीफा दे दें। यदि ऐसा होता है तो भी उनकी जगह किसी अन्य ब्राह्मण नेता को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह दी जा सकती है।

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