यूरोपीय सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल कश्मीर का दौरा करेगा. इस प्रतिनिधि मंडल में 28 सदस्य शामिल हैं. प्रतिनिधिमंडल 29 और 30 अक्टूबर को कश्मीर का दौरा करेगा, जहां कश्मीर के हालात पर उनको जानकारी दी जाएगी. प्रतिनिधिमंडल ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की.
Government Sources: A delegation from the European Union would be visiting Kashmir tomorrow. The delegation had met Prime Minister Narendra Modi and NSA Ajit Doval today pic.twitter.com/9YYp1xFKgx
— ANI (@ANI) October 28, 2019
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों का समर्थन या आतंक को प्रायोजित करने वाले या इस प्रकार की गतिविधियों और संगठनों का समर्थन करने वाले या राज्य की नीति के रूप में आतंकवाद का उपयोग करने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए.आतंकवाद के लिए शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए.
उन्होंने व्यापार को लेकर कहा कि निष्पक्ष और संतुलित द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते (बीटीआईए) का जल्द समापन मेरी सरकार के लिए प्राथमिकता है.
कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 हटाने के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधि मंडल का यह पहला कश्मीर दौरा होगा.
Members of European Parliament which called on PM today & will visit J&K tomorrow – Italy's Fulvio Martusciello, Czech Republic's Tomas Zdechobsky, France's Thierry Mariani, Italy's Guiseppe Ferrandino, UK's Nathan Gill.The delegation would be visiting Jammu and Kashmir tomorrow pic.twitter.com/WFE8UjPpZS
— ANI (@ANI) October 28, 2019
प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही सांसदों के भारत के साथ संबंधों को महत्व देने की सराहना की. प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि सदस्यों की जम्मू कश्मीर सहित देश के अन्य हिस्सों में लाभदायक यात्रा हो.
PMO: PM expressed hope they have fruitful visit to various parts of country, including to J&K.Their visit to J&K should give delegation better understanding of cultural&religious diversity of region; apart from giving a clear view of development&governance priorities of region https://t.co/8ga7FkaNB1
— ANI (@ANI) October 28, 2019
370 के राज्य से हटने के बाद से ही यह विषय दुनिया भर में चर्चा का मुद्दा बना हुआ है. दूसरी ओर पाकिस्तान की तरफ से भी यह मामला लगातार उठाया जाता रहा है. इसी बीच यूरोपियन प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है.
Delhi: Delegation of EU (European Union) parliamentarians to call on Vice-President M Venkaiah Naidu today. https://t.co/T9H4HdUY2V
— ANI (@ANI) October 28, 2019
यूरोपीय संसदीय प्रतिनिधि मंडल की कश्मीर यात्रा को लेकर राजनीति तेज हो गई है. विपक्षी दलों के अलावा बीजेपी के नेता सुब्रमणियम स्वामी ने इस यात्रा को अनैतिक करार दिया है और इसे ख़ारिज करने की मांग की है.सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्वीट में लिखा, “मैं हैरान हूं कि विदेश मंत्रालय ने कुछ यूरोपीय सांसदों के इस दौरे की व्यवस्था की है, वो भी तब जबकि ये EU का आधिकारिक दौरा नहीं है. ये राष्ट्रीय नीति के विपरीत है, भारत सरकार को इस दौरे को तुरंत रद्द करना चाहिए.”
I am surprised that the MEA has arranged for European Union MPs, in their private capacity [Not EU's official delegation],to visit Kashmir area of J&K. This is a perversion of our national policy. I urge the Government cancel this visit because it is immoral.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 28, 2019
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार की इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि जब देश के नेताओं को कश्मीर के लोगों से मिलने नहीं दिया जा रहा है ऐसे में यह कदम भारतीय लोकतंत्र का अपमान है.
When Indian political leaders have been prevented from meeting the people of J&K, what possessed the great chest-beating champion of nationalism to allow European politicians to visit J&K. This is an outright insult to India's own Parliament and our democracy! https://t.co/D48dnctRqE
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 28, 2019
लगभग यही सवाल सी.पी.आइ.(एम) के नेता सीताराम येचुरी ने भी उठाया है.
Then why were Indian political party leaders and MPs repeatedly prevented from exiting Srinagar airport?
I was allowed to enter Srinagar only when the Supreme Court permitted over my habeous corpus petition. Even today Indian MPs are not allowed while Modi welcomes MEPs! #Kashmir https://t.co/S5vncmTUwd— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) October 28, 2019
वहीं इस दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए महबूबा मुफ्ती के ट्विटर अकाउंट पर लिखा गया है, ‘कश्मीर और दुनिया के बीच का लोहे का पर्दा उठेगा.’ इसके साथ ही लिखा गया कि ‘जम्मू-कश्मीर को अशांति में धकेलने’ के लिए भारत सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. उम्मीद है कि उन्हें डॉक्टर्स, लोकल मीडिया और सिविल सोसायटी के लोगों से मिलने का मौका मिलेगा.
Hope they get a chance to speak to the people, local media, doctors and civil society members. The iron curtain between Kashmir & the world needs to be lifted and GOI must be held accountable for pushing J&K into turmoil https://t.co/okZkVUK8Jz
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 28, 2019
इसके बाद उनके ट्वीटर हैंडल से सिलसिलेवार कई ट्वीट किये गए हैं.
Why cant they meet all 3 former CMs?Either ways there are 2 scenarios.The delegation will state situation is normal. In that case next logical step is to release detainees & restore internet. If they say Kashmir is in limbo, its a major embarrassment for GOI. Lose lose situation https://t.co/cZOMYKlccx
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 28, 2019
बता दें कि अनुच्छेद 370 हटने के पहले से ही जम्मू-कश्मीर के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों मुफ्ती मोहम्मद सईद, 83 वर्षीय फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला नजरबंद हैं. महबूबा के नजरबंद होने के बाद से उनका ट्वीट हैंडल उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती चला रही हैं.