झारखंड: फ़ादर स्टेन स्वामी को घर से उठा ले गयी NIA, माले ने जताया विरोध

भीमा कोरेगांव मामले में झारखंड के प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी (Stan Swamy) को रांची के बगाईचा (नामकुम) स्थित आवास से एनआईए उठाकर ले गयी है।

मालूम हो कि मूल रूप से केरल के रहने वाले फादर स्टेन स्वामी लगभग 50 वर्षों से झारखंड में रहकर आदिवासियों-मूलवासियों की आवाज बने हुए हैं। ये विस्थापन विरोधी जनविकास आंदोलन के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। झारखंड के जेलों में बंद विचाराधीन बंदियों पर भी इनका महत्वपूर्ण काम रहा है। झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से ये अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता हैं। झारखंड की पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में पत्थलगड़ी आंदोलन के बहाने कई सामाजिक कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें इनका भी नाम शामिल था। दिसंबर 2019 में झारखंड में सत्ता परिवर्तन के बाद नयी सरकार ने सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं पर दर्ज देशद्रोह का मुकदमा वापस ले लिया था। ये लगातार झारखंड में हो रहे जमीन की लूट पर मुखर रहते हैं।

भीमा कोरेगांव मामले में फादर स्टेन स्वामी के घर पर पूर्व में भी छापा पड़ चुका है। 28 अगस्त, 2018 को महाराष्ट्र पुलिस ने इनके रांची के बगाईचा (नामकुम) स्थित आवास पर छापा मारकर लैपटाॅप, सीडी, पेन ड्राइव, मोबाईल समेत कई चीजें जब्त कर ली थी। तभी से ही फादर स्टेन स्वामी भीमा कोरेगांव मामले में अन्य बुद्धिजीवियों की तरह ही निशाने पर हैं। अभी हाल-फिलहाल 06 अगस्त, 2020 को भी एनआईए ने रांची स्थित इनके आवास पर आकर लगभग ढाई घंटे पूछताछ की थी।

फादर स्टैन स्वामी ने 6 अक्टूबर को वीडियो बयान जारी कर अपनी गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए मामले पर अपना पक्ष रखा था।

भाकपा-माले झारखंड राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद और विधायक विनोद सिंह ने संयुक्त बयान जारी कर एनआईए द्वारा फादर स्टेन को उठा ले जाने की कार्रवाई की तीव्र भ्रत्सना की है। उन्होंने कहा कि फादर स्टेन को एनआईए की टीम 2 बार पूछ ताछ कर चुकी है। इसके बावजूद इस कोरोना काल में पूछताछ के लिए ले जाना बिल्कुल निंदनीय है। एक ऐसे बुजुर्ग जिनकी उम्र 81 वर्ष से भी ज्यादा हो चुकी हो उनके साथ पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित करना निहायत ही अमानवीय कृत्य है। लिहाजा हमारी मांग है कि फादर स्टेन की उम्र को देखते हुए तथा कोरोना काल की जटिलता को ध्यान में  रखकर एनआईए अपनी दमनात्मक कार्रवाई पर रोक लगाए। फादर को बाइज्जत, सही सलामत वापस भेजे।


रुपेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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