चुनाव चर्चा: बिहार में जारी कोरोना गाइडलाइन में कहीं खो न जाये लोकतंत्र का पर्व!

कोविड 19 महामारी से उत्पन्न विषम आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक परिस्थितियो में बिहार विधान सभा के नये चुनाव भी अभूतपूर्व होंगे जिसके लोकतंत्र के लिये अंतर्निहित खतरे देर-सबेर खुल कर सामने आ सकते हैं.

निर्वाचन आयोग ने 25 सितम्बर को किसानो के भारत बंद के दिन ही अचानक बुलाई प्रेस काफ्रेंस में इन चुनाव के कार्यक्रम घोषित कर दिये। विधानसभा की कुल 243 सीटों पर मतदान तीन चरण में 28 अक्टूबर , 3 नवम्बर और 7 नवम्बर को कराये जायेंगे. मतदान पिछले कई बार की ही तरह इलेक्ट्रौनिक वोटिंग मशीनो (ईवीएम) के जरिये होगा. मतों की गिनती भी ईवीएम के जरिये 10 नवंबर को निर्धारित है.10 नवंबर को ही दोपहर बाद तक सारे परिणाम घोषित कर देने का कार्यक्रम है.

लोगों के बीच ऐसा संदेह पैदा हुआ कि भारत बंद की खबरों को दबाने के लिए ही अचानक बिहार विधानसभा चुनाव कार्यक्रम का एलान किया गया. हालांकि इन चुनाव के कार्यक्रम सितम्बर माह में घोषित करने की सम्भावना भारत बंद के आयोजन के निर्णय के पहले से व्यक्त की जा रही थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि चुनाव की घोषणा सितंबर में हो सकती है. वही हुआ भी.

मौजूदा विधान सभा का 5 बरस का निर्धारित कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है. उसके पहले ही नई विधानसभा का गठन हो जाना चाहिये. आबादी के हिसाब से भारत में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे बड़े राज्य, बिहार में अभी कुल 7.79 करोड़ वोटर हैं जिनमें से करीब 3.39 करोड़ महिला वोटर हैं. मतदाताओ की नवीकृत सूची 7 फरवरी 2020 को ही जारी कर दी गई थी.

पहले चरण में एक अक्टूबर को 16 जिलों की 71 सीटों पर चुनाव की औपचारिक अधिसूचना जारी की जाएगी. भारत के संविधान के तहत राजकाज व्यवस्था के अनुसार विधानसभा चुनाव की गज़ट अधिसूचना राज्यपाल के दस्तखत से जारी की जाती है. दूसरे चरण में 17 जिलों की 94 सीटों पर 3 नवम्बर को और तीसरे चरण में बाकी 78 सीटों पर 7 नवम्बर को मतदान होगा.

निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने प्रेस काफ्रेंस में कहा कि महामारी के कारण इस बार के चुनाव ‘विशेष तरीके’ से कराने की जरुरत पडी है. पर उन्होने इन तरीको का ज्यादा खुलासा नहीं किया. मसलन ये स्पष्ट नहीं है कि परम्परागत तरीके के साथ ही ऑनलाइन नामंकन पत्र दाखिल करने के लिये पूरे देश में पहली बार लागू विधि और रैली, सभा, जुलूस आदि के परम्परागत तरीके से ज्यादा ऑनलाइन प्रचार पर जोर के लिये भारत के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के किस प्रावधान का इस्तेमाल किया जा रहा है.

भारत की आज़ादी के बाद 1952 में प्रथम लोक सभा चुनाव कराने के लिये बने इस अधिनियम में बाद में संशोधन लाये गये हैं. पर इसमें करीब दो दशक से कोई संशोधन नहीं किया गया है. किसी ने सोचा भी न था कि किसी महामारी से ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होगी कि देश में लोकतंत्र के पर्व बन चुके चुनावों को कराना टेढ़ी खीर हो जायेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी पूर्व योजना और तैयारी के अचानक 25 मार्च को रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संदेश में महामारी से निपटने के लिये पूरे देश में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत लॉकडाउन घोषित किया था जिसे चार घंटे के भीतर उसी आधी रात से लागू भी कर दिया गया. लॉकडाउन देश में कही भी अभी पूरी तरह से खत्म नहीं किया गया है. इसके नियमों के अनुसार सभी नागरिको का मास्क धारण करना और एक-दूसरे से न्यूनतम दो गज की शारीरिक दूरी बनाये रखना अनिवार्य है.

लिहाजा बिहार के चुनाव में पोलिंग बूथों की संख्या पिछली बार से बढ़ा कर हर बूथ से सम्बद्ध मतदाताओं की संख्या घटा दी गई है. मतदान का समय भी बढ़ाया गया है। नक्सल हिंसा से प्रभावित निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में मतदान समय एक घंटा बढ़ाया जाएगा जो सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक रहेगा. इससे पहले मतदान का समय सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक रहता था. ‘नक्सल बेल्ट’ में मतदान का समय नहीं बढाया गया है.

कोविड-19 रोगी आखिरी एक घंटे में मतदान कर सकते हैं. संक्रमित लोगों के लिए विशेष प्रोटोकॉल तैयार किए गए हैं. हर बालिग मतदाता को मताधिकार का उपयोग करने का अवसर देने की संवैधानिक अनिवार्यता के मद्देनज़र निर्वाचन आयोग ने कोरोना के शिनाख्त-शुदा मरीजो के वोट डलवाने का अलग तरीका निकाला है लेकिन वे लगभग अछूत मान लिये गये हैं. वे अन्य मतदाताओं के वोट डाल लेने के बाद, अंतिम एक घंटे में पोलिंग बूथ पर पर जाकर अपने वोट डाल सकेंगे .किसी भी पोलिंग बूथ पर अधिकतम एक हजार मतदाता ही होंगे.

निर्वाचन आयोग के अनुसार बिहार चुनाव के दौरान महामारी की टेस्टिंग के लिये छह लाख ‘पीपीई किट’ और 46 लाख मास्क का प्रबंध किया जायेगा. इनके अलावा छह लाख ‘फेस शील्ड’, 23 लाख दस्ताने और 47 लाख हैंड सेनेटाइजर की भी व्यवस्था की गई है.

निर्वाचन आयोग के मुताबिक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता चुनाव प्रचार के लिये घर-घर जा तो सकेंगे लेकिन उनका समूह पांच व्यक्ति से ज्यादा नहीं होने दिया जायेगा.

किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय जाकर उनके सामने नामांकन पत्र दाखिल करने जाने के लिये खुद और अपने समर्थको के वास्ते सिर्फ दो वाहन ले जाने की इजाजत होगी. नामांकन पत्र ऑनलाइन भी भरे जा सकते हैं. पर इसका ज्यादा विवरण तत्काल नहीं मिला है.

निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार के लिए परम्परागत तरीकों से कही ज्यादा जोर अभासीय (वर्चुअल) तरीको पर रखा है. प्रचार के दौरान जनसभाओं में ‘शारीरिक दूरी’ के नियमों का पालन करना होगा. चुनाव की घोषणा होने के साथ ही राज्य में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा के अनुसार बिहार के चुनाव बेहद असाधारण परिस्थितियों में कराये जा रहे हैं जिन्हे ध्यान में रख भारी सुरक्षा व्यवस्था करने के अलावा स्वास्थ्य संबंधी ‘प्रोटोकोल’ के व्यापक इंतजाम किये गये हैं. इस बार मतदान केंद्रों ही नहीं, चुनाव कर्मियो की संख्या भी बढ़ा दी गई है. कोरोना संक्रमण के कारण ‘क्वारंटाइन’ में रहने वाले मतदाता या तो ‘पोस्टल बैलट’ से मतदान कर सकेंगे या फिर वे अंतिम एक घंटे में अपने निर्धारित बूथों पर सरकारी स्वास्थ्य अधिकारियों की निगरानी में मतदान करेंगे।

पहले चरण में 28 अक्तूबर को बांका, बक्सर, भोजपुर, कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद, गया, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, मुंगेर जिले की सीटो के लिए मतदान होगा. दूसरे चरण में 3 नवंबर को गोपालगंज, सिवान, पूर्वी चंपारण, शिवहर, मुजफ्फरपुर, सीवान, सारण, पटना, वैशाली, नालंदा, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, भागलपुर जिले और तीसरे चरण में 7 नवंबर को पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज जिले की सीटो के लिए मतदान होगा.

विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं, जिनमें से 38 अनुसूचित जाति तथा दो अुनूसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।

चुनाव कार्यक्रम कमोबेश पिछली बार की तरह ही हैं. मतदान ‘हथिया नक्षत्र’ की भारी बारिश खत्म होने पर होंगे. चुनाव अधिसूचना तैयार करने के लिये आयोग ने विभिन्न सरकारी विभाग और जिलों के अधिकारियों से विचार विमर्श किया था. कोरोना काल के कारण वोटिंग गाइडलाइंस जारी की जानी है. इसमें चुनाव प्रचार के तरीके, बुजुर्गों के लिए वोटिंग आदि की निर्देश होंगे. गाइडलाइन में आयोग ने चुनाव सभा, प्रचार में कोविड से बचाव की जिम्मेदारी पार्टी और उम्मीदवार पर डाल दी है.

 

पिछला चुनाव

2015 के पिछले चुनाव की घोषणा 9 सितंबर को हुई थी. तब छह चरणों में चुनाव हुए थे. तब पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल (राजद / आरजेडी ) और मौजूदा मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दल -यूनाइटेद (जेडीयू ) और कांग्रेस आदि ने मिलकर चुनाव लड़ा था। उनका मुकाबला भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से था जिसमें केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी ) पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) आदि शामिल थे. आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के महागठबंधन को जीत मिली. लेकिन साल भर बाद ही नीतीश कुमार ने उस महागठबंधन से निकल कर भाजपा से हाथ मिला लिया और उसके समर्थन से अपनी नई सरकार बना ली.

 



वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा का मंगलवारी साप्ताहिक स्तम्भ ‘चुनाव चर्चा’ लगभग साल भर पहले, लोकसभा चुनाव के बाद स्थगित हो गया था। कुछ हफ़्ते पहले यह फिर शुरू हो गया। मीडिया हल्कों में सीपी के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण तस्वीरें भी जनता के सामने लाने का अनुभव रखते हैं। सी.पी. आजकल बिहार में अपने गांव में हैं और बिहार में बढ़ती चुनावी आहट और राजनीतिक सरगर्मियों को हम तक पहुँचाने के लिए उनसे बेहतर कौन हो सकता था।



 

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