मध्य प्रदेश विधानसभा में सोमवार को सियासी उठापटक के बीच फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ. स्पीकर एनपी प्रजापति ने कोरोनावायरस का हवाला देते हुए 26 मार्च तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.
Madhya Pradesh Assembly adjourned till 26th March https://t.co/vPqkvM9QHi
— ANI (@ANI) March 16, 2020
मध्य प्रदेश में राज्यपाल लालजी टंडन के अभिभाषण में दो लाइन कहकर खत्म कर दिया, जिसके लिए उनको सिर्फ एक मिनट का समय लगा. राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश कि जो स्थिति है उसमें जिसका अपना जो दायित्व है उसका शांतिपूर्ण, निष्ठापूर्वक और संविधान के द्वारा निर्देशित परंपराओं, नियमों के अनुसार पालन करें.
यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है. बीजेपी की तरफ से सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की गई है.
A petition has been filed in the Supreme Court by Bharatiya Janata Party seeking floor test in Madhya Pradesh Assembly pic.twitter.com/ZE8Fth55dJ
— ANI (@ANI) March 16, 2020
#मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच कांग्रेस (@INCIndia) पार्टी के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल (@KapilSibal) ने कहा कि फ्लोर टेस्ट पर फैसला लेना विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में है। #MPFloorTest pic.twitter.com/dUVURJaml0
— IANS (@ians_india) March 16, 2020
ज्ञात हो कि राज्यपाल लालजी टंडन ने बीते दो दिनों में मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही थी, इसी का मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छह पेज का पत्र लिख कर जवाब दिया है.
मुख्यमंत्री द्वारा सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन को भेजे गए पत्र में कहा है कि, राज्य के विधायक कनार्टक पुलिस के नियंत्रण में भाजपा द्वारा रखे गए हैं और उन्हें तरह-तरह के बयान देने को मजबूर किया जा रहा है. इस स्थिति में फ्लोर टेस्ट का कोई औचित्य नहीं है. इस बात से पहले ही आपको अवगत करा चुका हूं. ऐसा कराया जाना अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक भी होगा.