दुनिया कोविड-19 से जूझने की तैयारी कर रही है और भारत हल्के मशीन गन खरीद रहा है। लॉक डाउन शुरू होने से पहले तक कोविड से लड़ने के लिए आवश्यक उपकरणों और सुरक्षा साधनों के मानक तय नहीं थे और भारत उनका निर्यात कर रहा था। देश में चिकित्सक और राहत कर्मी बचाव के सुरक्षा साधनों और उपकरणों की मांग कर रहे हैं। दिल्ली के हिंदूराव अस्पताल के डाक्टर सुरक्षा किट की कमी का हवाला देते हुए इस्तीफ़े की धमकी दे रहे हैं, लेकिन भारत से बोइंग 747 माल वाहक में 50 टन दस्ताने निर्यात कर दिए गए।
दलील यह कि ये दस्ताने कोविड में काम आने वाले नहीं थे। पर लाइट गन मशीन गन खरीदने का मामला ज्यादा दिलचस्प है। कोविड से लड़ने के लिए आवश्यक वेंटीलेटर या जांच किट खरीदने के लिए करार की कोई खबरें कम ही सुनने में आईं पर 116 मिलियन डॉलर के लाइट मशीनगन खरीदने का सौदा करने की सूचना सरकार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी है।
इस विज्ञप्ति के अनुसार इज़राइल वेपन्स इंडस्ट्रीज (आईडब्ल्यूआई) के साथ 16,479 हल्की मशीन गन खरीदने का सौदा किया गया है। भारत इज़राल से 880 करोड़ रुपये में ये बंदूकें खरीदेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मंजूरी के साथ ही अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इस अनुबंध के तहत आईडब्ल्यूआई भारतीय सशस्त्र बलों को नेगेव 7.62×51 मिमी एलएमजी मुहैया कराएगी। 19 मार्च 2020 को जारी इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि परिचालन के लिहाज से आवश्यक हथियार का प्रावधान किए जाने से मोर्चे पर तैनात सैनिकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और सशस्त्र सेना को आवश्यक युद्ध शक्ति मिलेगी।
मिडिलईस्ट आई डॉट नेट ने इस पर खबर की है और शीर्षक है, “मास्क के मुकाबले हथियार : कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं तो भारत इजराइल से हथियार खरीद रहा है”। द जोर्डन टाइम्स ने एक अलग विषय पर अपनी खबर में भारत के इस सौदे की चर्चा की है। 24 मार्च 20 की इस खबर का शीर्षक हिन्दी में इस तरह होगा, “मौत की टेक्नालॉजी : इजराइल के हथियार निर्यात की रिपोर्ट चौकाने वाली नहीं है।” इसमें लिखा है, दक्षिणपंथी हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार वाली दिल्ली ने तेलअवीव को आदर्शों के लिहाज से एक समान विचार वाला (हथियारों का) आपूर्तिकर्ता माना है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इजराइल के बेंजामिन नेतन्याहू के बीच ‘विशेष’ मित्रता ने भारत को इजराइल का सबसे बड़ा हथियार बाजार बना दिया है।
मिडिलईस्ट आई डॉट नेट की खबर 24 मार्च की है और इसमें बताया गया है कि (उस समय की स्थिति के अनुसार) देश में जब कोविड-19 के 469 ज्ञात मामले हैं और 10 मौतें हो चुकी हैं तब भारत ने यह सौदा किया है। इसमें यह भी लिखा है कि कई अन्य देशों की तरह भारत ने भी बहुत कम जांच की हैं जबकि संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पोर्टल ने इस संबंध में भारत के कई लोगों से बात की है। दिल्ली विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध और वैश्विक राजनीति के रिटायर प्रोफेसर अचिन विनायक के हवाले से लिखा गया है, “भारत को कोरोना वायरस की महामाही के बेहद वास्तविक खतरे से निपटने के लिए पैसों की जरूरत है और इस आपात स्थिति से लड़ने के लिए साधनों की बेहद कमी है तब धन का यह दुरुपयोग बेहद निराशाजनक है।“
खबर में बताया गया है कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की थी कि भारत से इजराइल को मास्क और फार्मास्यूटिकल कच्चे माल के निर्यात की मंजूरी दी जाए। इसमें यह भी बताया गया है कि भारत इजराइल के सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा खरीदार है और अब उसके हथियार निर्यात का 46 प्रतिशत भारत आता है।
प्रस्तुति- संजय कुमार सिंह