कोरोना पर ‘जलवायु परिवर्तन के खिलाफ़ शिक्षक’ समूह का दिल्ली के मुख्यमंत्री के नाम पत्र

दिल्ली में शिक्षकों का एक समूह कोरोना महामारी के संदर्भ में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए काम कर रहा है। इस समूह ने दिल्ली सरकार को संबोधित करते हुए एक खुला ख़त लिखा है। मीडियाविजिल कोरोना पर अपने जन जागरूकता अभियान “ज्ञान है तो जान है” के अंतर्गत इस पत्र को प्रकाशित कर रहा है। इसका अनुवाद राजेंद्र सिंह नेगी ने किया है। (संपादक)


सेवा में,
दिल्ली सरकार,
दिल्ली

समूचा विश्व आज असाधारण स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने कोरोना वायरस हमले को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है. इस ख़तरनाक वायरस की ज़द में दुनिया भर के 194 देश और इलाक़े आ चुके हैं.

कोविड-19 नाम की इस बीमारी ने 26 मार्च तक, विश्वभर में 490,000 लोगों को अपनी चपेट में लिया है और 22,156 लोग इससे अपनी जान गँवा चुके हैं.

भारत में, विभिन्न मीडिया द्वारा किए गए स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साक्षात्कारों का हवाला दिया जाए तो अगले कुछ सप्ताहों में देश की आधी से अधिक जनसंख्या इसकी चपेट में आ जाएगी.

अपनी 1.8 करोड़ जनसंख्या और घनत्व के कारण बहुत मुमकिन है कि दिल्ली में भी लाखों-लाख लोग इसकी चपेट में आएँगे. जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली सरकार को अगले कुछ महीनों के लिए 30 से 60 प्रतिशत लोगों में संक्रमण से निबटने के लिए कमर कस लेनी चाहिए. कम से कम भी मान कर चलें तो दिल्ली में कोविड-19 से 54 लाख लोगों के संक्रमित होने की आशंका जताई जा रही है.  तीन सप्ताह के राष्ट्रीय लॉकडाउन के साथ इसकी समय-अवधि अनिश्चित हो गई है. लेकिन, चूँकि लाखों लोग झुग्गी-झोंपड़ियों और बस्तियों में रहते हैं, लॉकडाउन के बावजूद, कोविड-19 का सबसे ज़्यादा क़हर ग़रीबों को ही भुगतना पड़ेगा.

डब्लूएचओ के मुताबिक़, “प्रत्येक छः में से एक कोविड-19 का शिकार व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ेगा.” इसके मायने यह बनते हैं कि दिल्ली में अप्रेल के अंत तक 10 प्रतिशत लोगों (यानी तीन लाख लोग) को अस्पताल में भर्ती होने/ नाज़ुक देखरेख की नौबत आ सकती है.

इस संख्या में वे तमाम मरीज़ शामिल नहीं हैं, जो अन्य प्रदेशों से दिल्ली में अपने इलाज के लिए दिल्ली का रूख करेंगे. इस विकराल संकट ने राज्य या सरकार के नेतृत्व में व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की ज़रूरत को महसूस करवाया है, जिससे मुफ़्त या वहन करने योग्य, तुरंत मिलने वाली उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं और दवाइयों तक लोगों की पहुँच को आसान बनाया जा सके.

लॉकडाउन अपने आप में अपर्याप्त है.

जाँच और उपचार सुविधाओं में इज़ाफ़ा करने की सख़्त आवश्यकता है. हम इस बात का स्वागत करते हैं कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने मोहल्ला क्लिनिकों की पहल लेकर और पूरे प्रदेश में राज्य में उसके जाल को फैलाने का सराहनीय काम किया है.

ये मोहल्ला क्लीनिक टर्शरी सेक्टर के हस्पतालों का बोझ कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे. लेकिन इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करना बाक़ि है. स्वास्थ्य, चूँकि राज्य सूची में शामिल है इसलिए हमारी माँग है कि वायरस के ख़तरे को झेल रहे स्वास्थ्य कर्मियों की ज़रूरतों पर विशेष ध्यान दिया जाए. साथ-साथ उन तमाम लोगों का भी ख़याल रखा जाए, जो पहले ही अपनी जीविका कमाने के ज़रिए गँवा चुके हैं. देश और वैश्विक स्तर पर मँडराते, सदी के इस अभूतपूर्व संकट का सामना करने के लिए, यहाँ हम अपनी माँगें प्रस्तुत कर रहे हैं.

हमारी प्रमुख माँगे:

स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली

  1. दिल्ली में मोहल्ला क्लिनिकों की वर्तमान संख्या, वर्तमान क़रीब 450 से बढ़ाकर तुरंत इनकी संख्या 1,050 की जाए, जैसा कि मूल योजना घोषित करते समय तय किया गया था.
  2. कोविड-19 की बेसिक जाँच सभी के लिए निशुल्क की जानी चाहिए. शहर भर में जाँच केन्द्रों की संख्या में इज़ाफ़ा किया जाना चाहिए. मेडिकली संदिग्ध व्यक्ति को जाँच की इजाज़त दी जानी चाहिए. अगर आवश्यक हो तो जाँच किटें आयातित की जाएँ.
  3. शहर के चिन्हित अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में कम से कम 3,000 से अधिक वेंटिलेटरों की व्यवस्था तुरंत की जाए.
  4. सभी प्राईवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को निर्देश दिया जाए कि वे कोविड-19 के मरीज़ों का इलाज, और अन्य संबंधित लक्षणों का उपचार, तब तक मुफ़्त मुहैया करवाएँगे, जब तक आधिकारिक रूप से संकट समाप्त नहीं हो जाता.
  5. सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मी जैसे आशा कर्मियों, दाइयों, इत्यादि को, कोविड-19 के मरीज़ों की देखरेख को लेकर प्रशिक्षित किया जाए और उन्हें मरीज़ों, ख़ासकर बूढ़ों, की घरों में ही देखभाल के लिए उपयुक्त सुरक्षा साजो-सामान, जैसे दस्ताने, मास्क, बॉडी सूट और जूते उपलब्ध करवाए जाएँ.
  6. टर्शरी अस्पताल, ईएसआई अस्पताल और नर्सिंग होम्स के भर जाने की सूरत में, तालकटोरा स्टेडियम, छत्रसाल स्टेडियम, सीरी फ़ोर्ट कॉम्प्लेक्स, रोशनआरा ग्राउंड और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं को उन मरीज़ों के लिए, जिन्हें वेंटिलेटर रहित स्वास्थ्य देखरेख की ज़रूरत है, अस्थाई स्वास्थ्य केन्द्रों में तब्दील कर दिया जाना चाहिए.
  7. चूँकि हाथो की नियमित साफ़-सफ़ाई अत्यंत आवश्यक है, इसलिए शहर के सभी निवासियों को समान रूप से पानी मुहैया किया जाए.
  8. विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में तालमेल हेतु एक कोविड-19 ईमरजेंसी स्वास्थ्य प्रशासनिक ढाँचा बनाया जाए. तुरंत एक इमरजेंसी हेल्थकेयर प्लान तैयार किया जाए.

रोज़गार हानि की भरपाई

  1. दिल्ली के प्रत्येक निवासी, चाहे वह रोज़गार में हो या बेरोज़गार, को कोविड-19 संकट के बरकार रहने तक हर महीने 1,000 रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाए. यह अवधारणा यूनिवर्सल बेसिक इनकम के सिद्धांत पर आधारित है, जिसे भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में लगातार समर्थन प्राप्त हो रहा है.
  2. दिल्ली में न्यूनतम वेतन, फ़िलहाल 14,000 रुपए (अकुशल), 15,400 रुपए (अर्ध कुशल) और 16,962 रुपए (कुशल) है. अतः हम माँग करते हैं कि प्रत्येक ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले परिवारों के खाते में सरकार, संकट रहने तक हर महीने 7,000 रुपए (जो अकुशल कर्मी के वेतन का आधा है) जमा करवाए.
  3. ऐसे सभी परिवारों को वर्तमान स्तर से दुगना राशन मुहैया करवाया जाए. मुहैया करवाए जाने वाले उचित दर के राशन में साबुन, दालें, और खाद्य तेल भी शामिल किया जाए. सभी ग़रीबी रेखा के नीचे के परिवारों को मुफ़्त गैस सिलिंडर मुहैया किए जाने चाहिए.
  4. उचित दर की दुकानों की संख्या में इज़ाफ़ा किया जाए.

स्वास्थ्य सेवा संबंधी नौकरियाँ

  1. मरीज़ों की संख्या में होने वाली बढ़ौतरी की आशंका के मद्देनजर, अस्पतालों में रिक्तताओं की पूर्ति की जाए; और, संभवत: नौकरियों की संख्या में इज़ाफ़ा किया जाए, बजाय वर्तमान कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ाने के.
  2. सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करवाने वाले कर्मियों को कोविड-19 के मरीज़ों की देखरेख करने का प्रशिक्षण दिया जाए.
  3. सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण मुहैया किए जाएँ. ज्ञात रहे कि स्पेन में कुल 40,000 संकर्मित लोगों में से 13 प्रतिशत संक्रमण स्वास्थ्य कर्मियों और डाक्टरों में पाया गया है.
  4. ख़ासकर दिल्ली के क्लीनिकों और छोटे अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारियों को दिल्ली सरकार द्वारा नियत न्यूनतम वेतन से बहुत कम वेतन दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की तर्ज़ पर हम माँग करते हैं कि सभी तरह के अस्पतालों और नर्सिंग होम के हर स्तर के कर्मियों के वेतन में वृद्धि की जाए.
  5. समान काम के लिए समान वेतन के सिद्धांत का अनुसरण करते हुए, सार्वजनिक निकायों या निजी क्षेत्र में ठेके, अनियमित काम करने वाले सभी कर्मचारियों का वेतन, वर्तमान संकट से पहले से ही उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली अमूल्य सेवाओं को ध्यान में रखते हुए, स्थायी कर्मचारियों के बराबर किया जाए.
  6. बीमारी या कोविड-19 स्व-आईसोलेशन की वजह से किसी कर्मचारी के वेतन, ना काटे जाने को सुनिश्चित किया जाए.

अन्य कर्मचारी

  1. तीन सप्ताह के राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान कुछ आवश्यक सेवाओं को खुला रखा गया है, जैसे केमिस्ट, किराने की दुकानें, दूध डिलीवरी, सब्ज़ियों की दुकाने, पेट्रोल पंप, होम डिलीवरी सेवाएँ, इत्यादि. इन आवश्यक सेवाओं को प्रदान करने वाले लाखों कामगार इस शहर को चालू हालत में रखने में अपना बहुमूल्य योगदान देते हैं. हम माँग करते हैं कि इनमें काम करने वाले सभी कर्मियों को उचित वेतन, स्वास्थ्य सेवाएँ और सुरक्षा उपकरण मुहैया करवाए जाएँ. वायरस के कारण बीमार पड़ने पर उन्हें सवेतनछुट्टी लेने की सुविधा दी जाए.
  2. जाँच में उन्हें प्राथमिकता दी जाए. सरकार या नियोक्ता द्वारा उन्हें मास्क और साबुन, इत्यादि प्रदान किया जाएँ.
  3. इस तथाकथित ‘गिग इकॉनमी’ में लाखों कामगार अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं. उनके वर्तमान वेतन (प्रत्येक डिलीवरी) में डेढ़ गुना वृद्धि को लेकर अधिसूचना जारी की जाए और उन्हें लोगों के घरों में सामान डिलिवर करने के लिए ज़रूरी सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाएँ.

जानकारी का संप्रेषण

  1. संकट के दौरान बच्चों समेत, जन स्वास्थ्य संबंधी जानकारी सभी हलकों तक पहुँचाने के लिए सरकार अपने प्रयासों में इज़ाफ़ा करे. ख़ासकर, उचित शारीरिक दूरी बनाए रखने के संदेश का संप्रेषण. हम समझते हैं कि शारीरिक दूरी बनाने की शर्त छोटे घरों या झोंपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए मुमकिन नहीं है, परंतु फिर भी इस एहतियात को बरतने की ज़रूरत पर ज़ोर देना आवश्यक है. ये संदेश दिल्ली में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में होने चाहिए.
  2. पूरे शहर में कोविड-19 के मुत्तालिक, लाउडस्पीकर से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक जानकारी पहुँचाने के लिए सिंगल ड्राइवर वाहनों का इंतेजाम किया जाए.
  3. कोविड-19 के पीछे के विज्ञान को समझाते हुए, इसके ख़तरे और बचने के उपाय, इत्यादि के साथ महामारी संबंधी विज्ञान संचार में निपुण विशेषज्ञों की मदद से विडियो तैयार किए जाएँ और उन्हें मोबाइल फ़ोन के नेटवर्क के ज़रिए विभिन्न भाषाओं में व्यापक रूप से लोगों तक पहुँचाया जाए.
  4. संदेश पहुँचाने के काम और लिए गए क़दम इस तरह से किए जाएँ कि उससे लोगों में डर और चिन्ताएँ कम हों.

संपर्क जानकारी: teachersagainstclimatecrisis@gmail.com

9910476553, 9899555979

 

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