डायनामाइट से उड़ कर तुरंत जन्नत जायें तालिबान, हँसोड़ को क्यों मारा?

सवाल यह है कि अगर यह सब बेचारे जन्नत ही जाना चाहते और इन्हें पक्का यकीन है कि इन्हें ही नियुक्ति पत्र मिला है तो फिर इन सब अभागों को एक कोने पर एकत्रित कर डाइनामाइट लगाकर उड़ा क्यों नहीं दिया जाए जिससे इनकी मंज़िल आसान हो जाए और बेचारे अफगानी आम लोगों को भी शांति मिल जाए। इधर शांति भी मिल जाएगी और उधर वह जन्नत संघर्ष समिति भी सीधे शहीद होकर जन्नत का टिकट कटा लेगी। काम का काम और गुठलियों के भी दाम, बार बार की झंझट ही नहीं।

शादाब सलीम

एक हंसोड़ कलाकार को कुछ तालिबान सैनिकों ने मार दिया। मारने के कारण अगर रंजिश हो तो बात फिर उन दोनों के बीच की हो सकती पर अगर इसलिए मारा गया कि वह एक हंसोड़ कलाकार था और अल्लाह के कानून में हंसाना हराम है तो फिर यह एक बड़ी मूर्खता, मूढ़ता, विचारशून्यता के प्रतीक के बाद पैशाचिक कार्य भी है। ऐसे पिशाचों के लिए कोई सहानुभुति रखना भी बहुत बड़ा अपराध है जिसके लिए संभवतः बीस वर्ष का सश्रम कारावास रखा जाना चाहिए।

तालिबान ऐसे मूर्ख काम करता रहा है इसलिए उन पर विश्वास किया भी नहीं जा सकता, आप उनसे किसी तार्किकता की आशा नहीं रख सकते क्योंकि उनमे मूढ़ता की पराकाष्ठा है।

आप उनसे कहे- क्यों मारा?

तो वे आपसे कहेंगे- इसलिए मारा क्योंकि अल्लाह के कानून में हंसाना हराम है।

अगर अल्लाह के कानून में हंसाना हराम भी है तो तुम क्यों बीच में आते हो! अल्लाह और बंदे के बीच का मामला है वही निपट लेगा, वही हराम करने वाले को सज़ा देगा, तुम्हारा क्या लेना देना? और फिर वह हराम करेगा तो जहन्नुम में जाएगा भी वही, तुम उसे क्यों जबरजस्ती जन्नती बनाना चाहते हो!

इस पर वह कहेंगे- हम अल्लाह के सैनिक है यह हमारी जिम्मेदारी है हम ईमान वाले है।

मतलब सारा टेंडर यही गधों पर घूमने वाले भरकर आए है।

तुम्हारे पास क्या सर्टिफिकेट है? कोई नियुक्ति पत्र है कि अल्लाह तआला ने तुम्हे सज़ा देने के लिए विशेष रूप से नियुक्त किया है?

फिर वह बौखला जाएंगे क्योंकि मैं जानता हूँ उनके पास कोई नियुक्ति पत्र नहीं है वह फ़र्ज़ी मार्कशीट पर बने फ़र्ज़ी अधिकारी है। फिर वह कुरआन शरीफ ले आएगे और दलील देंगे- देखों यहां लिखा है हम उन्हें सजा दे सकते हैं।

आप उनसे पुछिये आप यह सब करते क्यों हो! क्यों इतने झंझट में पड़ते हो शांति से अपनी ज़िंदगी क्यों नहीं जीते?

वे जवाब देंगे- हम यह सब जन्नत के लिए करते हैं, ऐसा करने से हम जन्नती हो जाना है।

अब सवाल यह है कि अगर यह सब बेचारे जन्नत ही जाना चाहते और इन्हें पक्का यकीन है कि इन्हें ही नियुक्ति पत्र मिला है तो फिर इन सब अभागों को एक कोने पर एकत्रित कर डाइनामाइट लगाकर उड़ा क्यों नहीं दिया जाए जिससे इनकी मंज़िल आसान हो जाए और बेचारे अफगानी आम लोगों को भी शांति मिल जाए। इधर शांति भी मिल जाएगी और उधर वह जन्नत संघर्ष समिति भी सीधे शहीद होकर जन्नत का टिकट कटा लेगी। काम का काम और गुठलियों के भी दाम, बार बार की झंझट ही नहीं।

 

फेसबुक से साभार।

 

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