चाहत तो है हरीश की, पर हैं प्रदीप और यशपाल भी!

कांग्रेस के लोकप्रिय जमीनी नेता हरीश रावत खासी मेहनत कर रहे हैं । भावी चुनावों में जीत के लिए। पार्टी हाईकमान का भी इशारा है। अर्से से उत्तराख॔ड में वे दूरदराज और पास के जिलों और बडे शहरों में लगातार जा रहे हैं। समाज के विभिन्न समुदायों से मिलजुल रहे हैं।मकसद इस बार पार्टी को चुनावों में सत्ता में लाना है।

हरीश रावत अपनी मुहिम में कामयाब होते हैं या नहीं,इसके पहले ही पार्टी पर नजर रखने वालों ने राज्य में भावी मुख्यमंत्री कौन हो उस पर विवाद मीडिया में छिड़ा दिया है। रावत एक संवेदनशील और अच्छे सुशासक माने जाते हैं। उन्होंने राजनीति में रहते हुए श्रमिकों और पत्रकारों के मुद्दों पर भी अपनी बात हमेशा रखी।समाज के सभी वर्गों में वे कुशल वक्ता, राजनीतिक और सम्मानित माने जाते हैं। अभी लश्कर में उन्होंने कहा वे चाहते हैं राज्य में बहुमत से कांग्रेस जीते। जनता भी रही चाहती है। मैं जनता की उम्मीद को कामयाब करने की कोशिश में हूं। अगर इस पहाड़ी राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए किसी दलित को मौका मिलता है तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी।

जानकारों के अनुसार पंजाब में दलित नेता चरणजीत सिंह चामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से यह कयास लगाया जा रहा है कि उत्तराख॔ड में भी ऐसा प्रयोग पार्टी आलाकमान करे। राज्यसभा में कांग्रेस के दलित नेता प्रदीप टमटा हैं और अभी हाल भाजपा छोड कर कांग्रेस अपने पुत्र समेत घरवापसी करने वाले यशपाल आर्य।टमटा राज्य की वानिकी संरक्षण और नशाखोरी खत्म कराने के प्रयास में सक्रिय हैं जबकि आर्य कुशल राजनीतिक और बतौर नेता ख्यात हैं।
हरीश रावत अपनी मुहिम में रविवार, को हरिद्वार के कनखल रविवार को पहुंचे। यहां मिश्रा गार्डेन में आयोजित एक सम्मेलन में एक खानदानी कांग्रेसी परिवार के युवा नेता यश मिश्रा और उनके साथियों से मिले ।उन्हें कांग्रेस से जुड कर इसे जन जन की पार्टी बनाने में सहयोग करने को कहा।
उन्होंने चाहा कि युवा घर घर जाएं। सबसे मुद्दों पर बात करें। महिलाओं ,लडकियों, बुजुर्गों और युवाओं को साथ लें। उन्होंने कहा ,’महज चुटीले भाषणों और नारों से सुशासन नहीं होता ।सत्ता में बैठी पार्टी ने झूठे वादों और एक को दूसरे से अलग करने का खेल खेल कर दिल्ली की सत्ता हथिया ली।
आज कश्मीर का क्या हाल है उसे सभी देख रहे हैं। आज गृहिणी रसोई गैस की बढती कीमत ,सब्जी ,फल ,दूध ,अनाज की कीमतों को बढता देख रात में सो नहीं पाती। रोजगार काम पर जाते हुए पेट्रोल,डीजल की रोज बढती दर से परेशान हैं। युवा छात्र पढाई और फीस ,कालेज विश्वविद्यालय में अध्यापकों की नियुक्ति न होने से लाचार हैं। पढ़ाई के बाद उन्हें रोजगार के लिए भटकना पडता है। सिर्फ नारों और सपने दिखानेवाले भाषणों से बहुत समय तक सत्ता में नहीं रहा जा सकता। हर हर ग॔गे, घरघर मोदी आज घर घर नंगे में बदल गया है।
जनता को अब बहकाया नहीं जा सकता। एक नजर होनी चाहिए। योजना होनी चाहिए। सिर्फ दो बार मुख्यम॔त्री बदलने से राज्य में सुशासन नहीं होगा। कांगेस के पास योजनाएं और अनुभव है। हम युवाओं को रोजगार देंगे। जिन्हें रोजगार नहीं मिल सकेगा उन्हें हम हुनरमंद करेंगे। हम समाज में समरसता लाएंगे और सही विकास देंगे।

उत्तराखंड में हरीश रावत की सक्रियता से चुनावी फिजा बदली जरूर है। देखिए , आगे जनता फैसला क्या लेती है।


लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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