किसानों के विरोध से हवा हुई खट्टर की रैली पर TOI और HT में सिंगल कॉलम ख़बर!

आज (सोमवार, 11 जनवरी 2021) कृषि कानून के पक्ष में किसानों को सक्रिय करने की भाजपा की कोशिश से संबंधित खबर का हाल बताता हूं। डेढ़ महीने से चल रहे किसान आंदोलन और उससे जुड़ी राजनीतिक स्थितियों के मद्देनजर आज की सबसे बड़ी खबर (कम से कम दिल्ली के अखबारों में) यही होनी थी कि हरियाणा के मुख्यमंत्री इतवार को करनाल जिले के कैमला गांव में सभा नहीं कर पाए। दिल्ली से लगे हरियाणा में डबल इंजन की सरकार है और वहां सत्तारूढ़ पार्टी के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सभा नहीं हो पाई, किसान प्रदर्शनकारियों ने मंच पर तोड़फोड़ कर दी। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार कई लोग घायल हुए। इस और ऐसे तमाम तथ्यों से तय़ होता है कि कोई खबर कितनी महत्वपूर्ण है और कितनी प्रमुखता दी जाए।    

इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर को फोटो के साथ पहले पन्ने पर छापा है। पांच कॉलम की फोटो का कैप्शन है, प्रदर्शनकारी खेतों में चलकर इतवार को करनाल जिले के कैमला गांव स्थित किसान पंचायत की जगह पहुंचे। इसके साथ तीन कॉलम की खबर का शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होता, ‘प्रदर्शनकारियों ने करनाल में भाजपा का आयोजन बाधित किया, मुख्यमंत्री को दौरा रद्द करने के लिए मजबूर किया।’ इसके बगल में दो कॉलम में एक और खबर है। इसका शीर्षक है, “खट्टर ने जवाबी कार्रवाई की : सिर्फ संशोधन, सरकार किसान कानून वापस नहीं लेगी।”

चंडीगढ़ डेटलाइन की इस खबर में कहा गया है, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विपक्षी दलों और प्रदेश बीकेयू नेता गुरनाम सिंह चधुनी पर कानून व्यवस्था को बाधित करने के लिए लोगों को उकसाने का आरोप लगाया और जोर देकर कहा कि केंद्र कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगा। भाजपा की किसान पंचायत का दौरा रद्द होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में जो जानकारी दी है वह भी यही है। हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर का शीर्षक है, प्रदर्शनकारियों ने आयोजन मंच पर तोड़फोड़ की तो खट्टर ने कहा, (किसान कानून) वापस नहीं होंगे।

करनाल डेटलाइन से बगैर स्रोत बताए इस खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा कि आंदोलनकारी किसान यूनियनों ने शनिवार को प्रशासन को यह आश्वासन दिया था कि वे प्रतीकात्मक विरोध करेंगे …. पर उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया। खट्टर ने बाद में इस घटना को, किसान यूनियन के नेताओं द्वारा विश्वासघात कहा। मेरे हिसाब से किसानों के प्रदर्शन और मुख्यमंत्री की जवाबी कार्रवाई और किसान यूनियन के विश्वासघात आदि की खबर आज के अखबारों के लिए निश्चित रूप से लीड थी। मैंने पहले कहा है कि जिस दिन कोई निश्चित लीड नहीं हो उस दिन अखबारों की लीड देखना आनंददायक होता है। 

राजनीतिक खबरों के लिहाज से आज जब लीड निश्चित थी तो वह सरकार विरोधी (या किसान समर्थक) होने के कारण अंग्रेजीदां पाठकों के लिए काम की नहीं हो सकती थी। ऐसे में जिन अखबारों ने इसे लीड नहीं बनाया उन्होंने किस खबर को लीड बनाया, यह भी जानना दिलचस्प है। इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर पूरी प्रमुखता से है लेकिन लीड नहीं है। एक्सप्रेस की लीड बजट पर अटकल है। ‘सूत्रों’ के आधार पर बाईलाइन वाली एक्सक्लूसिव खबर। लाल रंग में फ्लैग शीर्षक वाली इस खबर का शीर्षक हिन्दी में कुछ इस प्रकार होता, ‘ज्यादा खर्च वाली योजनाओं की संभावना।’ मुख्य शीर्षक है, ‘उच्च विकास में सहायता के लिए सरकार की नजर खर्च वाले बजट पर।’

हिन्दुस्तान टाइम्स में किसानों की खबर सिंगल कॉलम में है और लीड की शीर्षक है, ‘टीके गुरुवार तक राजधानी पहुंच जाएंगे।’ उपशीर्षक है, ‘तैयारी का अनुमान लगाने के लिए मोदी देश भर के मुख्यमंत्रियों से वर्चुअल मुलाकात करेंगे।’ वैसे तो यह बाइलाइन वाली खबर है और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन के हवाले से है। पता नहीं एक्सक्लूसिव है कि नहीं, इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर नहीं है। द हिन्दू में पहले पन्ने टीकाकरण से संबंधित एक खबर जरूर है। इसका शीर्षक है, ‘टीकाकरण की इमरजेंसी के लिए एसओपी।’ उपशीर्षक है, ‘टीकाकरण के बाद प्रतिकूल स्थितियों की जांच और उससे निपटने के लिए दिल्ली पुलिस को दिशा-निर्देश।’ 

हिन्दू में किसान यूनियन की खबर फोटो के साथ लीड के लगभग बराबर में है। लीड का शीर्षक चार कॉलम, दो लाइन में है, ‘तीसरी तिमाही के दौरान निर्माण में निवेश उछलकर 102 प्रतिशत हुआ।’  किसान यूनियन की खबर का शीर्षक तीन कॉलम में दो लाइन में है। इसमें मंच पर भीड़ और उसके आगे बिखरे कागज, कुर्सियों आदि की तस्वीर है और कैप्शन है, ‘तनावपूर्ण स्थिति : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की महापंचायत के मौके पर इतवार को तोड़फोड़ करते हुए किसान।’ खबर का शीर्षक है, ‘हरियाणा के मुख्यमंत्री की सभा वाली जगह पर तोड़-फोड़।’ उपशीर्षक है : मनोहर लाल ने कहा, निहित स्वार्थ वाली ताकतें किसानों का उपयोग कर रही हैं।  

टाइम्स ऑफ इंडिया में सिडनी के क्रिकेट मैदान में भारतीयों को गाली दिए जाने की खबर लीड है। यहां भी चार कॉलम की लीड के साथ लगभग बराबर में तीन कॉलम में किसानों की खबर है। इस खबर के साथ हरियाणा की खबर दो लाइन के शीर्षक कुछ आठ लाइनों में है। बाकी खबर अंदर पेज 22 पर है। अखबार के पहले पन्ने पर आधा विज्ञापन है। टीकाकरण की खबर यहां भी प्रमुखता है। द टेलीग्राफ में आज पहले पन्ने पर आधा विज्ञापन है और मुख्य खबर यानी लीड का शीर्षक है,’ किसानों ने कहा कि राजनीतिक कानून सुप्रीम कोर्ट पर नहीं थोपे जा सकते हैं।’ इसके साथ कैमला में किसानों पर पानी की बौछार छोड़ने की तस्वीर लीड है और इसके साथ बताया गया है कि इन लोगों ने मुख्यमंत्री और भाजपा नेता मनोहर लाल खट्टर की सभा नहीं होने दी। मुख्यमंत्री को जमीन पर उतरे बगैर लौटना पड़ा। 

इस लिहाज से टेलीग्राफ ने भी इस खबर को पर्याप्त महत्व दिया है। पर टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर तो छोटी है ही फोटो आंदोलन की नहीं होकर गाजीपुर बॉडर पर हुई कुश्ती प्रतियोगिता की है। वैसे तो टाइम्स ऑफ इंडिया और द टेलीग्राफ की खबरों में काफी समानता है। पर टेलीग्राफ ने इसे लीड बनाया है और टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड बिल्कुल अलग है। यही हाल फोटो का है।

संजय कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

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