पहला पन्ना: प्रधानमंत्री के विदेशी दौरे और मुंबई हादसे की ख़बरों को प्राथमिकता!

प्रधानमंत्री के बांग्लादेश दौरे की खबर आज द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर नहीं है और द हिन्दू में लीड नहीं है। बाकी तीन में अधपन्ने पर या पहले पन्ने पर लीड है। कुल मिलाकर किसान आंदोलन की खबर सिर्फ द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर है। इसी तरह दिल्ली के अखबारों में स्थानीय हादसे के मुकाबले मुंबई के हादसे को प्राथमिकता मिली है। आज के अखबार विविधताओं से भरे हैं। पहले प्रधानमंत्री के दौरे की खबर के शीर्षक देखिए..

  1. इंडियन एक्सप्रेस

भारत बांग्लादेश के भविष्य के रोडमैप का खुलासा करने के लिए मोदी, हसीना ने इतिहास लागू किया उपशीर्षक है – प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ढाका में पाकिस्तानी जुल्म ने हमारी भी रातें खराब कीं

  1. टाइम्स ऑफ इंडिया

ढाका में मोदी ने साझी विरासत समान चुनौतियों की बात की, इंट्रो है – आजादी के युद्ध में इंदिरा (गांधी) के योगदान का उल्लेख किया

  1. द हिन्दू

भारत बांग्लादेश को मिलकर आतंक से लड़ना चाहिए :  प्रधानमंत्री, मोदी ने 1971 के शहीदों को श्रद्धांजलि दी

  1. हिन्दुस्तान टाइम्स

ऐतिहासिक दौरे पर प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश के लिए अपना संघर्ष याद किया

आप जानते हैं कि बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल और असम में घुसपैठ का मामला कितना पुराना और विवादास्पद है। सीएए के जरिए इसे भुनाने की नहीं तो और गंभीर बनाने की कोशिश जरूर है। यह सब करने वाली सरकार के मुखिया इन दो राज्यों के लंबे चलने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के ऐन पहले बांग्लादेश पहुंच जाएं तो खबर पहले पन्ने पर होना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है वह संयोग या प्रयोग जो भारतीय जनता पार्टी राजनीति में कर रही है। ऐसे में इस खबर का शीर्षक भी पर्याप्त महत्वपूर्ण है। आप देखिए कि इसमें कितनी विविधता है।

यही नहीं, हिन्दुस्तान टाइम्स में इस खबर के साथ एक महत्वपूर्ण खबर है, प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के खिलाफ प्रदर्शन में चारे मारे गए। इंडियन एक्सप्रेस में भी यह खबर है, चटगांव में प्रधानमंत्री के दौरे के खिलाफ कट्टरपंथी पुलिस से भिड़ गए; चार मरे। चुनाव के समय यह खबर पहले पन्ने पर है क्योंकि दौरा इसी समय हो रहा है या चुनाव ऐसे समय है जब दौरा हो रहा है या होना था। इस लिहाज से अगर आप यह मानते हैं कि ऐसा किसी ना किसी प्रयास या इच्छा भर से किया गया है तो एक सरकार विरोधी खबर आज पहले पन्ने पर उस प्रमुखता से नहीं है जैसे सरकार का प्रचार करने वाली यह खबर है।

द टेलीग्राफ में यह खबर पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में है। शीर्षक है, गुजरात के पुलिसियों ने किसान नेता को प्रेस कांफ्रेंस से घसीटा। यह खबर कल सोशल मीडिया पर चल रही थी और आज टेलीग्राफ ने अंदर के पन्ने पर इसका विस्तार छापा है। लेकिन पहले पन्ने पर यह खबर नहीं है। आज के समय में अगर एक किसान नेता को प्रेस कांफ्रेंस से सीधे खींच लिया गया तो निश्चित रूप से यह पहले पन्ने की खबर है। भले ही कारण यह बताया गया कि कोविड 19 के दिशा निर्देशों का पालन नहीं करना बताया गया है। द टेलीग्राफ ने आज किसान नेता युद्ध वीर सिंह के बयान को पहले पन्ने पर अपने कोट कॉलम में छापा है, मीडिया से बात करने के लिए हमें अनुमति लेने की आवश्यकता क्यों होनी चाहिए? देखिए आपके अखबार में है? कहने की जरूरत नहीं है कि पिछले साल ऐसी ही स्थितियों में लॉक डाउन कर दिया गया था। इस बार नहीं है। इसका कारण भी कोई बताएगा?  द हिन्दू ने पहले पन्ने पर तीन कॉलम में खबर छापी है, “प्रदर्शनकारी किसानों के भारत बंद का असर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में यातायात पर”।

सीवर और सेप्टिक टैंक में घुसकर साफ करने वालों की मौते के मामले होते रहे हैं। दिल्ली सरकार ने घोषणा कर रखी है कि इस तरह का काम मशीनों से किया जाएगा फिर भी लोग साफ करते हैं, करवाते हैं और मौतें भी होती हैं। सरकार (रों) की चिन्ता यह है कि दिल्ली में किसके पास अधिकार होंगे और ऐसी हालत में भी मीडिया मौत के मामलों को प्राथमिकता नहीं देता है। द हिन्दू में आज पहले पन्ने पर तीन कॉलम में ऐसी ही एक खबर है, सेप्टिक टैंक साफ करते हुए दो मरे। इसके अनुसार  परिवार वालों का आरोप है कि बैंक्वेट मालिक ने जबरदस्ती की । दिल्ली के अखबारों में दिल्ली की यह खबर नहीं है । पर मुंबई के अस्पताल में आग लगने से नौ लोगों के मरने की खबर तीन कॉलम (हिन्दुस्तान टाइम्स) और दो कॉलम (टाइम्स ऑफ इंडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स) में है। द हिन्दू में दिल्ली की खबर तीन कॉलम में और मुंबई की सिंगल कॉलम में है।

आज इलेक्ट्रल बांड, टाटा संस और सायरस मिस्त्री के विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला और रोहिंग्या मामले में केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दलील से संबंधित तीन खबरें भी पहले पन्ने पर हैं और अलग-अलग प्रमुखता से। चुनाव के समय इलेक्ट्रल बांड पर फैसले के साथ रोहिंग्या मामले में सरकार की दलील अगर अपने-अपने कारणों से महत्वपूर्ण हैं तो टाटा संस और सायरस मिस्त्री का विवाद भी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव के समय बिक्री चलती रह सकती है। द हिन्दू में यह खबर लीड है। हिन्दुस्तान टाइम्स में टाटा संस की खबर लीड है और टाइम्स ऑफ इंडिया में रोहिंग्या से संबंधित खबर तीन कॉलम में प्रमुखता से है। लेकिन किसानों की खबर सिर्फ टेलीग्राफ में है। जहां सुप्रीम कोर्ट की तीनों ही खबर नहीं है। निश्चित रूप से यह संपादकीय अधिकार और विवेक का मामला है।


लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

First Published on:
Exit mobile version