आयडिया: 12 अप्रैल को 12 बजे 12 मिनट पर एक साथ ‘भौं-भौं’ कर कोरोनों को काट खायें

प्रधानमंत्री मोदी की 5 अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट तक बत्ती बुझाकर दिया जलाने की अपील की अपार सफलता से कई लोगों के दिमाग़ की बत्ती जल गयी है। उनका कहना है कि यह आयोजन हर हफ़्ते होना चाहिए ताकि देश में सकारात्मक माहौल रहे जिसे दस्ताने या मास्क जैसी चीजों की कमी का शोर मचाने वाले डाक्टरों या कराहते मरीज़ बिगाड़ रहे हैं। ऐसे में पीएम  मोदी से बुरी तरह प्रभावित झंडा पार्टी के नेता गंडा सिंह ने भी 12 अप्रैल के लिए एक अपील जारी की है, जो व्यंग्यकार स्वामी स्वानानंद के ज़रिये हमें मिली है। हम इसे अविकल छाप रहे हैं ताकि पाठक यह तय कर सकें कि गंडा सिंह को कोई राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी देने की तैयारी तुरंत की जाये, या फिर कुछ दिन इंतज़ार किया जाये- संपादक

प्यारे देशवासियो,

कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ देशव्यापी लॉकडाउन को आज 13 दिन पूरे हो गए। इस दौरान आपके अनुशासन, समर्पण और सेवाभाव ने न केवल मनुष्यों को बल्कि प्रक्रुति को भी यह अवसर दिया है कि वह हम पर क्रुपा बरसाए।
आपने देखा होगा कि इस दौरान वातावरण में एक प्रकार की शांति है जिसमें पशु-पक्षी भी कलरव करते सुनाई दे रहे हैं। मैंने तो अपने जीवन में इतनी प्रजातियों के पक्षी और उनके स्वर पहली बार सुने हैं, आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि आपने भी पंछियों का यह कलरव पहले नहीं सुना होगा।

पंछियों के साथ-साथ पशुओं को भी हमें धन्यवाद देना चाहिए कि वे हमारे जीवन में साथ-साथ बने रहकर कोरोना के विरुद्ध हमारी लड़ाई में हाथ बँटा रहे हैं। यहां हम गौ माता और श्वान अर्थात कालभैरव के वाहन कुत्ते को याद करना अपना धर्म समझते हैं। यह अकारण नहीं है कि हमारे यहां प्रत्येक हिन्दू घर में जब भोजन बनता है तो पहली रोटी गाय के लिए और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए होती है। गौधन के लाभों से तो आप भलीभांति परिचित हैं पर आज समय है कि हम कुत्ते के प्रति अपना ध्यान आकर्षित करें।

साथियो,

शास्त्रों में कुत्ते को हिन्दूदेवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता है। कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्तों की रक्षा करते हैं। मान्यता है कि कुत्ते को प्रसन्न रखने से वह आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है। कुत्ते को देखकर हर तरह की दुरात्माएं दूर भागने लगती हैं।कुत्ते को प्रतिदिन भोजन देने से जहां दुश्मनों का भय मिट जाता है वहीं व्यक्ति निडर भी हो जाता है। कुत्ता आदिकाल से ही मानव-सहचर रहा है। महाभारत में पांडवों के स्वर्गगमन के प्रसंग में उनके साथ कुत्ते के होने का भी उल्लेख मिलता है।

साथियो,

कुत्ता एक रहस्यमय प्राणी है। यह कुशाग्र बुद्धि और रहस्यों को जानने वाला जीव है। शुरू से ही मानव बस्तियों में कुत्तों का भी आवास रहा है। यह स्वामिभक्ति और रक्षा करनेवाला है। हमने यह तो कभी नहीं सुना कि कालभैरव कुकुर के ऊपर विराजमान हैं पर यह जीव हमेशा उनके साथ दिखाई देता है। कुत्ता ‘ईथर माध्यम’ अर्थात सूक्ष्म जगत की आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है। इस प्रकार वातावरण में संभावित कोरोना महामारी के सूक्ष्म कीटाणुओं के प्रति हमें जाग्रुत करता है।

साथियो,
जिस प्रकार आपने, पहले 22 मार्च और फिर 5 अप्रेल को रविवार के दिन थाली बजाकर और फिर दीप जलाकर कोरोना के खिलाफ एकजुटता दिखाई है वह आज सभी देशों में चर्चा का विषय बन गया है। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री जी की तरह बाकी पार्टियों के नेताओं को भी राष्ट्र का आह्वान करना चाहिए। झंडा पार्टी की ओर से मेरे पास भी एक विकट आयडिया है।

साथियों,

आगामी रविवार 12 अप्रेल की रात 12 बजे मैं भी आपसे 12 मिनट का समय चाहता हूँ। अपनी बालकनियों, छतों या दरवाजों पर निकल कर ‘भौं भौं’ का स्वरानुशासन दिखाएं। अर्थात कुत्ते के जैसी आवाज निकालें। यह बहुत कठिन नहीं है। आपमें से अधिकांश ने बचपन में अवश्य ही कुत्तों की आवाजें निकाली होंगी या आज भी अपने बच्चों के साथ खेल-खेल में यह अभ्यास करते होंगे। यह इतना सरल है कि आपको इसके लिए घबराने की नहीं बस संकल्प की आवश्यकता होगी। मुझे संदेह नहीं है कि उस रात आप सफलता पूर्वक जोर-जोर से ‘भौंकने’ का प्रदर्शन कर दिखाएंगे।

एक बार फिर सुन लीजिये – 12 अप्रेल, रविवार की रात, 12 बजे, 12 मिनट तक आपकी ‘भौं-भौं’ से यह पावन भारत भूमि इस प्रकार गूँज उठे कि अब तक उपेक्षित और अनाथ मान लिए गए कुत्ते गर्व से भर उठें। याद रहे ऐसा करते हुए आपको सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखना है और लक्ष्मण रेखा को लांघना नहीं है। मेरा पूरा विश्वास है कि एक बार फिर आप मेरा निवेदन स्वीकार करेंगे और विश्व के सामने इस लॉकडाउन की सफलता का अभूतपूर्व उद्घोष करेंगे।

आइये साथ आकर, साथ मिलकर, साथ भौंककर कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को अंतिम रूप दें।

बहुत बहुत धन्यवाद।

आपका सेवक

गंडा सिंह

अध्यक्ष, झंडा पार्टी।

 


वैसे यह क्यों लिखना चाहिए कि जो आप पढ़ रहे हैं, वह व्यंग्य है। सवाल करते हैं स्वामी स्वानानंद।

 

 

First Published on:
Exit mobile version