अख़बारनामा: जीएसटी पर प्रधानमंत्री की असंवैधानिक घोषणा बनी लीड !

कौंसिल की बैठक शनिवार को होने वाली है और प्रधानमंत्री ने टेलीविजन कार्यक्रम में जीएसटी से संबंधित घोषणाएं कर डालीं जो असंवैधानिक है

संजय कुमार सिंह

आप जानते हैं कि जीएसटी कौंसिल में भिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों को शामिल किया गया था और भाजपा के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ अभियान के साथ जीएसटी कौंसिल में कांग्रेस या विपक्ष नहीं के बराबर था। दिल्ली और पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्रियों के अलावा जीएसटी कौंसिल में विरोध न के बराबर रहा है और सरकार मनमानी करती रही है। यहां तक कि गुजरात चुनावों के दौरान जीएसटी दरों में छूट की घोषणा की गई थी। अब तीन राज्यों में सरकार बदलने के बाद कौंसिल के सदस्य भी बदलेंगे और जीएसटी को लेकर सरकार की मनमानी पहले जैसी नहीं रह सकेगी।

आज के अखबारों में अच्छी खबरों का संकट साफ दिख रहा है। इसका असर यह है कि एक खबर किसी अखबार में लीड है तो दूसरे में है ही नहीं। उदाहरण के लिए जीएसटी को और आसान बनाने की प्रधानमंत्री की घोषणा कई अखबारों में लीड है। इस खबर को दैनिक भास्कर ने बहुत अच्छी तरह छापा है और शीर्षक तथा हाईलाइट की हुई बातों से ही पता चल रहा है कि माजरा असल में क्या है। दैनिक भास्कर ने इस दावे से संबंधित और भी खुलासे किए हैं जो जानने लायक हैं और जिन्हें बताने की जहमत दूसरे अखबारों ने नहीं उठाई है। कम के कम मुख्य खबर के साथ तो नहीं ही है। इनकी चर्चा आखिर में।

कौंसिल की बैठक शनिवार को होने वाली है और प्रधानमंत्री ने टेलीविजन कार्यक्रम में जीएसटी से संबंधित घोषणाएं कर डालीं जो असंवैधानिक है। अंग्रेजी अखबारों में इंडियन एक्सप्रेस ने इसे पूरी तरह प्रचार शैली में लीड बनाया है जबकि दैनिक भास्कर ने मुख्य खबर के साथ प्रमुखता से यह भी छापा है कि जीएसटी की एम्पावर्ड कमेटी के चेयरमैन अमित मित्रा ने कहा है कि पीएम का घोषणा करना असंवैधानिक है। अर्थशास्त्री अमित मित्रा – पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री हैं।

दूसरी ओर, कोलकाता के अंग्रेजी दैनिक टेलीग्राफ़ ने बताया है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अपने बॉस को मक्खन लगाने के लिए कह गए कि दोनों ही क्षेत्रों (क्रिकेट और राजनीति) में (देश के पास) जोरदार खिलाड़ी हैं – विराट कोहली और नरेन्द्र मोदी तथा इन्हें हराना आसान नहीं है। यह बात उन्होंने उस दिन कही जिस दिन भारत ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले दूसरा टेस्ट मैच हार गया। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली एजंडा आजतक नाम के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। और राजनीति के सेमी फाइनल का हाल आप जानते ही हैं।

इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर छह कॉलम में लीड है। दो लाइन में शीर्षक के साथ यह खबर पूरी तरह प्रचारात्मक है। फ्लैग शीर्षक है, “जीएसटी कौंसिल की बैठक इस शनिवार को”। मुख्य शीर्षक में (जीएसटी) और आसान किया जाएगा …. जोड़ देने से तो एकदम खबर खिल सी गई है। उपशीर्षक में भी प्रधानमंत्री का दावा ही है, “दोषियों को राजनीतिक संरक्षण और प्रतिरक्षण हासिल था, अब कोई भी दुनिया के किसी कोने में नहीं छिप सकता है”।

दैनिक जागरण में यह खबर पहले पन्ने पर सिर्फ एक पैराग्राफ में है और बताया गया है कि खबर पेज 12 पर है। जागरण ने राहुल ने कहा, किसानों का कर्ज माफ नहीं होने तक पीएम को चैन से नहीं सोने देंगे। मुख्य शीर्षक है, कांग्रेस कर्ज माफी पर लड़ेगी चुनाव।

नवभारत टाइम्स ने कर्ज की खेती बनाम दंगों के दाग शीर्षक खबर को लीड बनाया है। यह खबर एनबीटी ब्यूरो, नई दिल्ली मुंबई दोनों की है। इसके मुकाबले टाइम्स ऑफ इंडिया ने जीएसटी वाली खबर को ही लीड बनाया है। अखबार ने इसके साथ किसानों का कर्ज माफ नहीं किए जाने तक प्रधानमंत्री को सोने नहीं देने वाला बयान भी छापा है। टाइम्स ऑफ इंडिया में एक और खबर पहले पेज से पहले के अधपन्ने पर है, सोशल मीडिया की लड़ाई में राहुल ने कैसे मोदी को पीछे छोड़ दिया। खबरें कम थीं तो यह खबर पहले पन्ने पर हो सकती थी पर सरकार, प्रधानमंत्री और भाजपा के खिलाफ खबरें पहले पन्ने पर छापने का रिवाज अब रहा नहीं।

हिन्दुस्तान में भी जीएसटी वाली खबर लीड है जबकि हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पेज पर सूचना भर है । इसे समूह के आर्थिक अखबार मिन्ट की खबर के साथ छापा गया है जिसका शीर्षक है, जेटली ने कहा कि सरकार वित्तीय लक्ष्य पूरे करेगी और उसकी नजर आरबीआई के पैसों पर नहीं है।

अमर उजाला में भी जीएसटी वाली खबर लीड है। राजस्थान पत्रिका ने मानवता के खिलाफ अपराध पर कानून चुप, छिड़ी चर्चा शीर्षक खबर को लीड बनाया है। फ्लैग शीर्षक है, सिख विरोधी दंगे : हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ फैसले में नरसंहार को लेकर अलग कानून की जरूरत जताई। जीएसटी वाली खबर यहां सिंगल कॉलम में है। प्रधानमंत्री की फोटो के साथ।

नवोदय टाइम्स ने इस खबर को लीड नहीं बनाया है लेकिन पहले पन्ने पर छापा है। शीर्षक है 99 प्रतिशत सामान होंगे सस्ते 18 प्रतिशत ही लगेगा जीएसटी। अगर जीएसटी कम होने से सामान सस्ते होने हैं तो वही 99 प्रतिशत सस्ते होंगे जिनपर जीएसटी 18 प्रतिशत से ज्यादा है। लेकिन शीर्षक का भाव यह है कि 99 प्रतिशत सामान सस्ते हो जाएगें। चुनाव का सेमी फाइनल हारने के बाद फाइनल से पहले इस तरह के खेल चलेंगे। मैं बताता रहूंगा। पढ़ते रहिए।

इसके मुकाबले दैनिक भास्कर ने खबर को जो ट्रीटमेंट दिया है और जो बातें हाईलाइट की हैं उन्हें देखिए। फ्लैग शीर्षक है, प्रधानमंत्री ने जीएसटी कौंसिल की बैठक से पहले कुछ चीजों को 28% के स्लैब से हटाने की घोषणा की। मुख्य शीर्षक है, 99% चीजों पर जीएसटी 18% या कम होगा : मोदी। अखबार ने दो लाइन के इस मुख्य शीर्षक के साथ ही चार लाइनों में लिखा है, लेकिन 97% चीजों पर पहले ही 18% या उससे कम टैक्स है यानी सिर्फ 2% चीजें सस्ती होंगी।

मुख्य खबर का इंट्रो है, जुलाई 2017 में 226 चीजें / सेवाएं 28% जीएसटी के दायरे में लाई गई थीं। डेढ़ साल बाद अब सिर्फ 35% चीजें / सेवाएं इस दायरे में हैं। अखबार ने एक अलग बॉक्स में बताया है कि अभी 35 वस्तुएं 28% टैक्स के दायरे में है, इनमें से 20-22 चीजें सस्ती हो सकती हैं। इसी बॉक्स में अखबार ने बताया है कि हर महीने एक लाख करोड़ रुपए टैक्स का लक्ष्य था जो दो ही बार पूरा हुआ है।

मूल खबर यह है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कहा कि जल्द ही 99% चीजें/सेवाएं 18% जीएसटी या इससे भी कम टैक्स के दायरे में होंगी। कुछ चीजों पर ही 28% जीएसटी बना रहेगा। प्रधानमंत्री का यह बयान मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार से बाद आया है।

1 जुलाई 2017 को करीब 1100 वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाया गया था। इनमें से 226 चीजें 28% टैक्स के दायरे में थीं। लेकिन, अब 35 यानी सिर्फ 3% वस्तुएं ही 28% कैटेगरी में हैं। 97% चीजों पर जीएसटी 18% या इससे कम है। मोदी के बयान के अनुसार अब और 2% वस्तुओं को 28% टैक्स के दायरे से बाहर किया जाएगा। यानी 20-22 वस्तुएं/सेवाएं सस्ती होंगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे।)


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