दिल्ली की सिंगल मदर्स का संघर्ष खत्म…बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बनने के लिए पिता का सर्टिफिकेट जरूरी नहीं!

दिल्ली में अब बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बनने के लिए पिता का प्रमाण पत्र लगना अनिवार्य नही होगा। सिंगल मदर के नाम से भी बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बनेगा। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को करोल बाग निवासी एकल मां (single mother) गीता देवी को एससी-एसटी जाति प्रमाण पत्र सौंपकर इसकी शुरुआत की। इस नई शुरूआत से अब सिंगल मदर्स को अपने बच्चों के प्रमाण पत्र बनवाने के लिए होने वाली परेशानियों से काफी हद तक निजात मिलेगी।

बच्चे संवैधानिक अधिकारों से वंचित रह जाते थे..

बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने भी माना था कि अगर बच्चे को समाज का शोषण झेलना पड़ा है तो वह अपनी मां की जाति के आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनवा सकता है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री द्वारा दिल्ली में पहली बार बच्चों को उनकी मां के सर्टिफिकेट के आधार पर एससी/एसटी सर्टिफिकेट दिया गया है। अभी तक पिता के एससी-एसटी वर्ग के सर्टिफिकेट के आधार पर ही एससी-एसटी कैटेगरी का सर्टिफिकेट मिलता था। इस वजह से ‘सिंगल मदर्स’ अपने बच्चों को यह अधिकार नहीं दिलवा पाती थीं। अगर वह ऐसा करने की पहल भी करती थी, तो उसे ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ना झेलना पड़ता था। इन सबके कारण ऐसे बच्चे अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित रह जाते थे।

बच्चे को एससी सर्टिफिकेट दिलाने के लिए आठ साल तक किया संघर्ष..

गीता देवी का बेटा दिल्ली का पहला बच्चा है, जिसे अपनी मां के एससी कैटेगरी के सर्टिफिकेट के आधार पर एससी कैटेगरी का सर्टिफिकेट मिला है। गीता देवी एससी कैटेगरी की सिंगल मदर हैं। उन्होंने अपने बच्चे को एससी सर्टिफिकेट दिलाने के लिए आठ साल तक संघर्ष किया। उनके आवेदन को कई बार यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि बच्चे के पिता का एससी श्रेणी का प्रमाण पत्र संलग्न नहीं है। बता दें कि 20 जुलाई 2020 को दिल्ली के राजस्व मंत्री द्वारा अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्रमाण पत्र प्रदान करने के कानून की प्रक्रिया में संशोधन के लिए सर्कुलर को अधिसूचित किया गया था।

 

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