कोरोना काल में बढ़ी नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी- EPFO

कोरोना काल में नौकरियों का संकट था, कितने लोगो ने अपनी नौकरियां गवाईं कितने लोगो को नया रोज़गार मिला लेकिन इस दौरान उपलब्ध सभी नई नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी थोड़ी बढ़ी है। केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय (Union Ministry of Statistics) ने हाल ही में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन [Employees Provident Fund Organization(EPFO)] के आंकड़ों को सार्वजनिक किया है। जिसमे यह जानकारी सामने आई है।

EPFO के इन आंकड़ों के गहन विश्लेषण से साफ पता चलता है कि कोरोना काल में नए ईपीएफओ सदस्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी में सुधार हुआ है। आंकड़े सितंबर 2017 से जुलाई 2021 तक के हैं।

सितंबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान…

अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के दौरान…

अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के दौरान….

अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान…

इस प्रकार देखें तो 2017 में जहां महिलाएं 18% थीं, वहीं 2021 तक 23% हो गई। यानी कोरोना काल से पहले की तुलना में पांच प्रतिशत अधिक।

कंपनियों के लिए फायदे का सौदा रहा महिलाओं की भर्ती..

ईपीएफओ से जुड़े सूत्रों एवं बाजार के विशषज्ञों के अनुसार इसके पीछे तीन कारण प्रमुख हो सकते हैं। जैसे..

 

  1. वर्क फ्रॉम होम की सुविधा- बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जो घरेलू जिम्मेदारियों के चलते या फैमिली के चलते दूसरे शहर में जाने के कारण नौकरी नहीं करती हैं। लेकिन वर्क फ्राम होम ने ऐसी महिलाओं को घर पर रहते हुए भी नौकरी के लिए आवेदन का मौका दिया और उन्हें नौकरियां मिलीं।
  2. नर्सों के लिए अधिक नौकरियां – कोरोना काल में नर्सों की मांग सबसे ज़्यादा रही इसलिए उनकी भर्तियां ज़्यादा हुई।
  3. कम वेतन वाले कर्मचारियों को वरीयता – कंपनियों ने कम वेतन वाले स्टाफ को तरजीह दी, जिसमें महिलाओं को ज़्यादा मौके मिले।
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