कुमार मुकेश
आखिर ऐसा क्या है इस किताब में जिसके प्रकाशन के खिलाफ दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति को न्यायालय की शरण लेनी पड़ रही है. किताब का नाम है: “द रूम व्हेयर इट हैपेंड” – और इस किताब के लेखक हैं अमरीका के पूर्व सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन. इस किताब को दरअसल इस साल की शुरुआत में ही प्रकाशित हो जाना चाहिए था. परन्तु “व्हाइट हाउस” द्वारा इस पुस्तक की सामग्री की वर्गीकृत जानकारी की प्रकाशन-पूर्व समीक्षा का जिम्मा अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को दे दिया गया और इसके प्रकाशन में देरी हो गई.
सोमवार दोपहर पत्रकारों से बात करते हुए, ट्रम्प ने कहा कि अगर यह किताब अपने वर्तमान स्वरूप में प्रकाशित होती है तो इसका सीधा सा अर्थ है कि बोल्टन संघीय कानून की अवहेलना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं राष्ट्रपति के साथ हुई हर बातचीत को अत्यधिक वर्गीकृत मानता हूँ। तो इसका अर्थ यह है कि अगर उन्होंने कोई किताब लिखी है और अगर किताब छप गई तो यह कानून का उल्लंघन होगा और मुझे लगता है कि बोल्टन को इससे आपराधिक समस्याएं होंगी। “
“वे जल्द ही अदालत में होंगे,” ट्रम्प ने कहा।
इस प्रेस वार्ता में अटॉर्नी जनरल बिल बर्र भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि न्याय विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि बोल्टन “वर्गीकृत जानकारी के अंशो को इस किताब से हटा दें।” बर्र ने कहा कि इस तरह का कोई उदाहरण पहले नहीं हैं.
बर्र ने यह भी कहा, “मुझे ऐसी किसी भी पुस्तक के बारे में जानकारी नहीं है जो इतनी जल्दी प्रकाशित हो गई हो, जबकि वही सरकार जिसके बारे में किताब है अभी तक सत्ता में हो और वह किताब बहुत ही वर्तमान घटनाओं, वर्तमान नेताओं और वर्तमान नीतिगत मुद्दों की वर्तमान चर्चाओं के बारे में हो।”
अटॉर्नी जनरल बिल बर्र का बयान हालांकि तथ्यों पर आधारित नहीं है. लियोन पैनेटा, हिलेरी क्लिंटन और बॉब गेट्स ने ओबामा प्रशासन छोड़ने के बाद तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा विषयों के बारे में पुस्तकें लिखी थीं और ये सब तब प्रकाशित हुई थीं, जब ओबामा अभी भी अपने पद पर थे। और बुश प्रशासन के दौरान, व्हाइट हाउस के पूर्व प्रेस सचिव स्कॉट मैकक्लेन ने भी एक पुस्तक लिखी थी और यह भी तभी प्रकाशित हो गई थी जब बुश अभी राष्ट्रपति कार्यालय में थे। इन सभी किताबों में अमरीका की सुरक्षा और विदेश-नीति पर सवाल खड़े किये गये थे.
बोल्टन की किताब के परिचय में प्रकाशक के अनुसार, “जो कुछ बोल्टन ने देखा, उससे वह आश्चर्यचकित थे: यह किताब एक ऐसे राष्ट्रपति के बारे में है जिसके लिए अपने पद पर दोबारा चुने जाने के अलावा और कोई चीज मायने नहीं रखती, भले ही इससे राष्ट्र खतरे में पड़ जाए या कमज़ोर हो जाए।”
जॉन बोल्टन के वकीलों के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर बोल्टन की किताब को सेंसर करना उनके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है. अटॉर्नी कूपर चुक्क के अनुसार “यह प्रयास सफल नहीं होगा, और बोल्टन की पुस्तक 23 जून को प्रकाशित होकर रहेगी।”
प्रकाशकों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार किताब छपने से पहले, बोल्टन ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् की चिंताओं को दूर करने के लिए उसके साथ काम किया है और “इस पुस्तक का अंतिम, प्रकाशित संस्करण उन परिवर्तनों को दर्शाता है।”
सवाल यह है कि अमरीका जैसे देश का राष्ट्रपति इस किताब से इतना डरा हुआ क्यों हैं कि उसे प्रेस-वार्ता कर इस किताब के प्रकाशन के खिलाफ न्यायालय जाने तक की धमकी देनी पड़ रही है?
खैर, यह तो आने वाले कुछ दिनों में तय होगा कि ट्रम्प-प्रशासन इस किताब के वितरण को रोक पाने में सफल होता है या नहीं क्योंकि ट्रम्प के कमरे में हुई बातचीतों का ब्यौरा “द रूम व्हेयर इट हैपेंड” नाम की किताब की शक्ल में प्रकाशित होकर वितरण केन्द्रों पर पहुँच चुका है और सब कुछ ठीक रहा तो प्रकाशकों के अनुसार इस महीने की 23 तारीख को यह किताब अमरीका के सब स्टैंड्स पर उपलब्ध होगी.