बीते 10 सितम्बर को झारखंड पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को आधार बनाकर तबरेज अंसारी लिंचिंग मामले से जुड़े सभी 11 आरोपियों पर से हत्या का आरोप हटा लिया. किन्तु, तबरेज अंसारी की मौत मामले में जमशेदपुर के एक मेडिकल कॉलेज के पांच विभागाध्यक्षों द्वारा हस्ताक्षरित एक दस्तावेज से खुलासा हुआ है कि तबरेज की मौत ह्रदय गति के रुक जाने (कार्डियक अरेस्ट) से हुई थी, जो संभवतः उसकी गंभीर चोटों से शुरू हुई थी, जिसमें सिर का एक फ्रैक्चर भी शामिल है. दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने वाले लोग एसआइटी के सदस्य हैं और वे तबरेज की मौत के कारणों का पता लगा रहे थे. डॉक्टरों द्वारा मौत की वजह सामने लाने के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े हो गये हैं.
वहीं,पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार,मौत की वजह ह्रदय गति का रुक जाना (कार्डियक अरेस्ट) है, इसलिए आरोपियों के खिलाफ हत्या के आरोपों को हटा दिया गया और 11 लोगों के खिलाफ हत्या की बजाय गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया.
झारखंड के सेराईकेला खरश्वान जिले में भीड़ ने 17 जून को तबरेज़ पर हमला किया था. लोगों ने तबरेज को चोर समझकर उसकी पिटाई कर दी थी. इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें लोग उसे धमकाते हुए दिख रहे थे और जय श्री राम का नारा लगाने के लिए कह रहे थे.
#ExpressFrontPage | An analysis of the chargesheet, key testimonies and case diaries raise questions about this conclusion.https://t.co/om6LcV7Ukw
— The Indian Express (@IndianExpress) September 13, 2019
पुलिस ने 18 जून की सुबह लोगों की शिकायत पर पुलिस ने तबरेज गिरफ्तार किया लेकिन चोटों के चलते उसकी हालत बिगड़ने पर उसी दिन उसे सदर अस्पताल ले जाया गया.जहां डॉक्टर ने उसके पैरों का एक्सरे किया था क्योंकि तबरेज ने पैरों में बहुत दर्द की शिकायत की थी. बाद में उसे जमशेदपुर के टाटा मुख्य हॉस्पिटल ले जाया गया. जहां उसे 22 जून को मृत घोषित कर दिया गया.
वहीं जुलाई में जो रिपोर्ट सामने आई थी, उसके मुताबिक पुलिस के साथ-साथ तबरेज़ अंसारी की जांच करने वाले डॉक्टरों को उसकी मौत के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया था, जिसकी वजह से सरायकेला-खारवान के उपायुक्त अंजनीयुलु दोड्डे के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने इसकी वजह की जांच की. कहा गया कि ‘पुलिस देर से पहुंची और डॉक्टरों ने सिर में लगी चोट का उपचार नहीं किया.’
इस मामले में तबरेज अंसारी की बीवी एस परवीन ने कहा कि “मेरे पति की भीड़ ने पीट कर हत्या की थी। पहले यह केस धारा 302 (हत्या) के तहत दर्ज था, मगर बाद में प्रशासन के प्रभाव में इसे धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) में तब्दील कर दिया गया. दोषियों को बचाने की कोशिश हो रही है, सीबीआई को मामले की जांच करनी चाहिए.”
S Parveen, wife of Tabrez Ansari: My husband was lynched, earlier case was registered under section 302 (murder) but it was later changed to section 304 (culpable homicide) under administration's influence. There is an attempt to save the culprits,CBI should investigate the case. https://t.co/ifcde4wZi6 pic.twitter.com/h3354x6uvR
— ANI (@ANI) September 11, 2019
वहीं, सरायकेला खरसावां जिला के पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस ने कहा, ”हमने संबद्ध अधिकारियों की राय लेने के बाद आईपीसी की धारा 302 को 304 में तब्दील कर दिया है. संबद्ध अधिकारी भी तबरेज अंसारी की लिंचिंग (भीड़ हत्या) के चलते मौत होने के बारे में किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाए थे. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किये गए 13 लोगों में से दो लोगों के खिलाफ आरोपपत्र एक स्थानीय अदालत में दाखिल किया गया और जल्द ही 11 आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी की जाएगी.”
गौरतलब है कि धारा 302 के तहत मौत की सजा या उम्र कैद और जुर्माना का प्रावधान है, वहीं धारा 304 के तहत उम्र कैद या 10 साल की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
तबरेज अंसारी मॉब लिंचिंग मामले के आरोपियों के खिलाफ हत्या का आरोप हटाए जाने पर उपजे विवाद को लेकर केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने 12 सितंबर को कहा कि कानून अपना काम करेगा. उन्होंने इस घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह एक आपराधिक कृत्य है. उन्होंने एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि, ”मुझे नहीं पता कि अदालत में क्या हुआ. मैं जानता हूं कि जो कुछ भी हुआ, जो भी आपराधिक गतिविधि हुई, दोषियों को सजा जरूर मिलनी चाहिए.