लखीमपुर खीरी हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट: जब ऐसी घटनाएँ होती हैं तब कोई जिम्मेदारी नहीं लेता!

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान नाराज़गी जताते हुए लखीमपुर खीरी कांड का जिक्र किया और कहा, ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होने पर कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता। प्रदर्शनकारियों का दावा रहता है कि उनका विरोध शांतिपूर्ण है, लेकिन जब हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने को राज़ी नहीं होता। वहीं, कोर्ट में मौजूद केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, लखीमपुर खीरी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए किसानों के विरोध को तुरंत रोकने की आवश्यकता है।

क्या विरोध करना एक पूर्ण अधिकार, होगी जांच: SC

दरअसल, किसान महापंचायत ने शीर्ष अदालत से मांग की थी कि उन्हें दिल्ली के जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति दी जाए। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की कि जब हिंसा होती है तो कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेता है। कोर्ट ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगा कि विरोध करने का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं। इसके साथ ही कोर्ट की बेंच ने किसान आंदोलन पर ही सवाल उठाया कि जब हमने तीन कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगा रखी है तो सड़कों पर विरोध क्यों?

पीठ ने कहा कि कोर्ट के सामने मामला लंबित रहते याचिकाकर्ता विरोध कैसे कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह इस बात की जांच करेगी कि क्या कोई व्यक्ति या पार्टी किसी मामले में कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने के बाद भी उसी मामले में आंदोलन कर सकते हैं। किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि उन्होंने किसी भी सड़क को जाम नहीं किया है। इस पर पीठ ने कहा कि अगर एक पक्ष अदालत में पहुंच गया है तो विरोध का क्या मतलब है? सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे, फिर विरोध क्यों हो रहा है?

 प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन राजमार्गों को ब्लॉक करने का नही: SC

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एक बार जब कानूनों को अदालतों में चुनौती दी है, तो विरोध करने वाले किसानों को विरोध जारी रखने के बजाय व्यवस्था और अदालतों में अपना विश्वास रखना चाहिए। पीठ ने कहा कि आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन राजमार्गों को ब्लॉक कर लोगों को परेशानी में नहीं डालने का अधिकार नही है। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि भविष्य में इस तरह के किसी भी आंदोलन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अगर हमें लखीमपुर खीरी जैसी घटनाओं से बचना है।

 क्या शहर के लोग अपना धंधा बंद कर दें?: SC

आपको बता दें कि इससे पहले 1 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने किसानों (किसान महापंचायत) के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की मांग के रुख पर आपत्ति जताई थी, जो अदालतों में कानूनों की वैधता को चुनौती देने के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए थे। किसान महापंचायत संगठन पर नाराज़गी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लंबे समय से विरोध कर रहे किसानों ने पूरे शहर का गला घोंट दिया है और अब शहर के अंदर आकर हंगामा करना चाहते हैं. क्या शहर के लोग अपना धंधा बंद कर दें? या आपके प्रदर्शन से लोग खुश होंगे?

मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को…

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख तय की है। इस बीच, यूपी सरकार ने लखीमपुर खीरी में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया है। रविवार को भाजपा नेताओं के काफिले में एक कार की टक्कर में चार किसानों की मौत हो गई। इसके बाद हिंसा में बीजेपी के 4 कार्यकर्ताओं के मारे जाने की खबर है। तब से ही लखीमपुर में माहोल गरम है।

 

 

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