कोरोना महामारी और लॉकडाउन से पैदा हुए आर्थिक संकट के बीच उत्तर प्रदेश में खुदकुशी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले मुजफ्फनगर में एक गन्ना किसान ओमपाल ने आत्महत्या कर ली। अब बाराबंकी से खबर है कि वहां आर्थिक तंगी से परेशान एक परिवार के 5 लोगों ने खुदकुशी कर ली है। खुदकुशी करने वालों में मां-बाप और तीन बच्चे शामिल हैं। पुलिस को मिले सुसाइड नोट में आर्थिक तंगी की बात कही गई है।
बाराबंकी में एक ही परिवार के 5 लोगों की खुदकुशी की घटना पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि “एक दुखद घटना में बाराबंकी के एक परिवार ने आर्थिक तंगी से आत्महत्या कर ली। पूरे देश के लोग इस संकट के समय रोजी-रोटी, रोजगार, व्यापार, बच्चों की फीस, खेती-किसानी और कर्ज जैसी तमाम समस्याओं से आम लोग जूझ रहे हैं।”
प्रियंका गांधी ने कहा कि “सरकार की नीयत में खोट है। भाजपा सरकार करोड़ों रुपए लगाकर झूठा प्रचार तो कर रही है लेकिन उसमें जनता की असल दिक्कतों का हल देने की क्षमता नहीं है।”
..प्रचार तो कर रही है लेकिन उसमें जनता की असल दिक्कतों का हल देने की क्षमता नहीं है। 2/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 5, 2020
इसके पहले यूपी के मुजफ्फरनगर में एक गन्ना किसान ओमपाल ने आत्महत्या कर ली। किसानों का आरोप है कि चीनी मिल से पर्ची नहीं मिलने के कारण ओमपाल ने आत्महत्या की है। ग्रामीणों ने किसान का शव सड़क पर रखकर जमकर हंगामा किया और प्रशासन से मुआवजे और चीनी मिल के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की। लेकिन मुजफ्फनगर की डीएम सेल्वा कुमारी ने कहना है कि इस आत्महत्या का चीनी मिल की पर्ची से कोई संबंध नहीं है। डीएम ने कहा कि शुरूआती जांच में किसान का पारिवारिक और जमीनी विवाद का मामला सामने आया है।
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले को लेकर भी योगी सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा ट्वीट कर कहा कि “अपनी गन्ने की फसल को खेत में सूखता देख और पर्ची न मिलने के चलते मुजफ्फरनगर के एक गन्ना किसान ने आत्महत्या कर ली। भाजपा का दावा था कि 14 दिनों में पूरा भुगतान दिया जाएगा लेकिन हजारों करोड़ रुपया दबाकर चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं”।
प्रियंका गांधी ने कहा कि “मैंने 2 दिन पहले ही सरकार को इसके लिए आगाह किया था। सोचिए इस आर्थिक तंगी के दौर में भुगतान न पाने वाले किसान परिवारों पर क्या बीत रही होगी। लेकिन भाजपा सरकार अब 14 दिन में गन्ना भुगतान का नाम तक नहीं लेती”।
..मैंने 2 दिन पहले ही सरकार को इसके लिए आगाह किया था। सोचिए इस आर्थिक तंगी के दौर में भुगतान न पाने वाले किसान परिवारों पर क्या बीत रही होगी। लेकिन भाजपा सरकार अब 14 दिन में गन्ना भुगतान का नाम तक नहीं लेती। 2/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 5, 2020
दरअसल मुजफ्फरनगर के सिसौली के रहने वाले गन्ना किसान ओमपाल का शव गुरुवार को उनके खेत के एक पेड़ पर लटका हुआ मिला। आरोप है कि खतौली चीनी मिल प्रबंधन की लापरवाही के चलते किसान के खेत में खड़ी गन्ने की फसल की पर्ची नहीं आई थी। जिसके चलते वो परेशान था।
किसान ओमपाल का शव शुक्रवार को सुबह जब पोस्टमार्टम के बाद सिसौली पहुंचा तो ग्रामीणों ने शव को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया। ग्रामीण मृतक किसान के परिजनों को मुआवजा और चीनी मिल के खिलाम मामला दर्ज करने की मांग कर रहे थे। हंगामा बढ़ने पर केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान और भाकियू नेता राकेश टिकैत समेत कई नेता किसानों से बात करने पहुंचे। केंद्रीय मंत्री ने ग्रामीणों से कहा कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।
किसानों का कहना है खतौली त्रिवेणी शुगर मिल ने किसानों के गन्ना तोल सेंटर पर तोल बंद कर दिया है। जिसके चलते गन्ने की पर्ची नहीं मिल रही थी। किसान ओमपाल अपनी बर्बाद होती गन्ने की फसल को लेकर परेशान था। मृतक की सिसौली गांव में 6 बीघा खेती है। 3 बीघा गन्ने की फसल तो मिल में पर्ची के आधार पर चली गई, लेकिन बाद में बची 3 बीघा गन्ने की फसल की पर्ची शुगर मिल ने नहीं दी। इसके बाद ओमपाल ने पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली।