प्रशांत कनौजिया को तुरंत रिहा किया जाए : सुप्रीम कोर्ट

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ पर ‘’आपत्तिजनक’’ टिप्‍पणी करने के ‘’जुर्म’’ में शनिवार को यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए प्रशांत कनौजिया को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्‍तोगी प्रशांत कनौजिया की पत्‍नी द्वारा दायर की गई हेबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। 

अदालत ने सरकारी वकील एएसजी विक्रमजीत बनर्जी की दलीलें सुनने के बाद उत्‍तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर सवाल खड़ा किया। जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने स्‍पष्‍ट तौर पर कहा कि लोगों की राय जुदा हो सकती है और संभवत: ऐसी चीज़ें पोस्‍ट नहीं की जानी चाहिए थीं, लेकिन गिरफ्तारी? आखिर किन प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी की गई है?

एएसजी ने दलील दी कि एक बार न्‍यायिक हिरासत होने के बाद उच्‍च न्‍यायालय में ही उसे चुनौती दी जा सकती है लिहाजा हेबियस कॉर्पस की याचिका वैध नहीं है। इस पर जस्टि बनर्जी ने कहा कि चूंकि व्‍यक्ति जेल में है, इसलिए वे अपने अधिकार अनुच्‍छेद 142 के तहत लागू कर सकते हैं।

अदालत का कहना था कि आम तौर से वह अनुच्‍छेद 32 को स्‍वीकार नहीं करती लेकिन जिसकी आज़ादी प्रभावित हुई है उसके लिए संविधान में प्रावधान मौजूद है। अगर कोई अवैध काम हुआ है तो क्‍या अदालत हाथ बांध कर पड़ी रहे और बोले कि आप हाइकोर्ट जाइए?

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि प्रशांत कनौजिया की रिहाई का आदेश उनकी स्‍वतंत्रता के अधिकार के नाते दिया जा रहा है, इसे ट्वीट का अनुमोदन न समझा जाए।

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