निषादों की नाव तोड़ने वाली यूपी सरकार, खनन माफ़िया के साथ-प्रियंका गाँधी

प्रियंका के इस तेवर से राजनीतिक गलियारों में अचानक कांग्रेस को लेकर सरगर्मी बढ़ गयी है। प्रियंका गाँधी जिस तरह की सक्रियता दिखा रही हैं  उसका व्यापक असर पड़ रहा है। हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ दिनों के भीतर तीन किसान पंचायत करने वाली प्रियंका गाँधी की  नज़र पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी पार्टी को सक्रिय करने पर है। चर्चा ये भी है कि वे इलाहाबाद के पुश्तैनी घर, स्वराज भवन को केंद्र बनाकर यूपी में ज़्यादा समय देने में जुटेंगी।

यूपी के सुस्त पड़े कांग्रेसियों के लिए वाक़ई ये अच्छे दिनों की वापसी का संकेत है। पार्टी महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गाँधी दस दिन में दूसरी बार आज प्रयागराज पहुँचीं। इस बार मक़सद गंगा स्नान नहीं, उस सुजीत निषाद के कुनबे के दर्द को महसूस करना था जिसने मौनी अमावस्या के दिन उन्हें अपनी नाव में बैठाकर संगम पहुँचाया था। प्रियंका गाँधी उस बाँसवार गाँव पहुँचीं जहाँ 4 फ़रवरी को अवैध खनन का आरोप लगाते हुए प्रशासन ने तमाम मल्लाहों की नावें तोड़ दी थीं। लाठीचार्ज भी हुआ था जिसमें इस समुदाय की महिलाओं को भी चोट आयी थी। प्रियंका गाँधी ने टूटी नावें देखीं और ऐलान किया कि कांग्रेस उनके संघर्ष में पूरी तरह भागीदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी सरकार पूँजीपतियों और ठेकेदारों के हक़ में काम कर रही है और कांग्रेस की सरकार बनने पर निषाद समुदाय को खनन का पट्टा दिया जायेगा।

प्रियंका के आने की ख़बर से प्रशासन काफ़ी चौकन्ना था। यही नहीं तोड़ी गयी नावों को बनवाने का भी प्रबंध करने में प्रशासन जुट गया था। बहरहाल, प्रशासन के बदले रवैये के बावजूद निषाद समुदाय में आक्रोश कम नहीं हुआ और वे इस बात से काफ़ी जोश में थे कि प्रियंका गाँधी उनके बीच आ रही हैं। प्रियंका जब यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के साथ बाँसवार पहुँचीं तो बड़ी तादाद में महिलाएँ भी मौजूद थीं। उन्होंने अपनी रोज़ी-रोटी और पुलिसिया उत्पीड़न की कहानी सुनायी जिसे प्रियंका ने बहुत धैर्य से सुना।

बाद में प्रियंका ने निषाद समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि वे उनकी समस्याओं और दुख को समझने के लिए आयी हैं। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारें समझती थीं कि जो लोग जंगलों या नदियों के आसपास रहते हैं, वे उनकी हानि कभी नहीं करते। यह बात अब पूरी दुनिया मान रही है। निषाद समुदाय पुश्तों से नदी किनारे रहता है। वह कभी नदियों का नुकसान नहीं कर सकता। लेकिन मौजूद सरकार बड़े-बड़े पूँजीपतियों और ठेकेदारों के लिए काम कर रही है जिनका नदियों से कोई लेना-देना नहीं है। वे असल में खनन माफिया हैं जिनके लिए ये सरकार काम कर रही है। ये नदियों को नुकसान पहुँचाते हैं क्योंकि इनका जीवन नदियों पर निर्भर नहीं होता।

उन्होंने कहा कि सरकार की इसी सोच की वजह से देश में किसान आंदलोन चल रहा है। सरकार ऐसे कानून लायी है जिससे उद्योगपतियों को फायदा हो और किसानों को नुकसान। इसी तरह खनन कानून ऐसे बनाये जा रहे हैं जिससे मछुआरों का नुकसान हो रहा है और पूँजीपतियों को लाभ। मछुआरों को नदियोसे कमाई करने से रोका जा रहा है जबकि ठेकेदार कर सकते हैं।

प्रियंका गाँधी ने कहा कि महिला होने के नाते वे महिलाओं का दर्द समझ सकती हैं। यूपी पुलिस और प्रशासन को शर्म आनी चाहिए कि महिलाओं और बच्चों को मारा और नावें तोड़ीं। उन्होंने कहा कि ये सरकार आपके वोट से आयी है पर भूल गयी है कि उसे सत्ता किसने दी है। कांग्रेस पार्टी निषादों को कानूनी मदद देगी और अगर प्रशासन ने उत्पीड़न किया तो सभी कांग्रेसजन संघर्ष के लिए सड़क पर उतरेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की सरकार आयी तो निषाद समुदाय को नदियों में पट्टे का हक़ दिया जायेगा। उनके अधिकार की लड़ाई वे हमेशा लड़ेंगी।

 

 

प्रियंका के इस तेवर से राजनीतिक गलियारों में अचानक कांग्रेस को लेकर सरगर्मी बढ़ गयी है। प्रियंका गाँधी जिस तरह की सक्रियता दिखा रही हैं  उसका व्यापक असर पड़ रहा है। हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ दिनों के भीतर तीन किसान पंचायत करने वाली प्रियंका गाँधी की  नज़र पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी पार्टी को सक्रिय करने पर है। चर्चा ये भी है कि वे इलाहाबाद के पुश्तैनी घर, स्वराज भवन को केंद्र बनाकर यूपी में ज़्यादा समय देने में जुटेंगी। यह घर कभी आज़ादी के आंदोलन का केंद्र था। दस दिनों में दूसरी बार पहुँचकर प्रियंका गाँधी ने कुछ संकेत तो दे दिया है। नतीजा ये है कि घर में बैठे पुराने कांग्रेसी भी कुर्ता झाड़ते नज़र आ रहे हैं।

 

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