पांच सौ से अधिक भारतीय वैज्ञानिकों और विद्वानों ने केंद्र की मोदी सरकार से कश्मीर में जारी प्रतिबंधों को हटाने और घाटी में नज़रबंद विपक्षी राजनेताओं को तुरंत रिहा करने की मांग की है. इन वैज्ञानिकों और विद्वानों ने कहा है कि नागरिक अधिकारों की रक्षा और जन कल्याण सरकार का संवैधानिक दायित्व हैं. वह इसके लिए प्रतिबद्ध है.
Over 500 Indian scientists and scholars urged the Narendra Modi government to lift the restrictions imposed in Kashmir, saying the government was “duty bound to uphold the rights and protect the welfare of all citizens”.https://t.co/eY4sJDcgD2
— The Telegraph (@ttindia) September 22, 2019
शनिवार को एक संयुक्त बयान में, शीर्ष अकादमिक संस्थानों के वैज्ञानिकों और विद्वानों ने दूरसंचार और इंटरनेट पर अंकुश लगाने और कश्मीर में विपक्षी राजनेताओं और असंतुष्टों की नजरबंदी को “गहन अलोकतांत्रिक” बताया.
उन्होंने कहा है कि किसी व्यक्ति का कोई भी मत हो सकता है, लोकतंत्र में एक बुनियादी मानदंड है कि सत्ता में पार्टी को अपने राजनीतिक विरोधियों को बंद करने का अधिकार नहीं है जब तक कि उस पर कोई आरोप साबित नहीं होता.
इस संयुक्त बयान में हस्ताक्षरकर्ताओं में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, कलकत्ता, पुणे और तिरुवनंतपुरम के वैज्ञानिक, भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय सांख्यिकी संस्थान; कई विश्वविद्यालयों सहित कई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और अन्य शैक्षणिक संस्थान के वैज्ञानिक शामिल हैं.
अपने बयान में इन सभी वैज्ञानिकों ने जन जीवन को प्रभावित करने वाले सभी प्रतिबंधों को तुरंत हटाने, नज़रबंद किये गये सभी असंतुष्टों और विपक्षी नेताओं को रिहा करने और सुरक्षा कर्मियों द्वारा कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन के आरोपों में पारदर्शी और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है.
उन्होंने कहा है कि “हम सरकार को याद दिलाते हैं कि वह (सरकार) नागरिक अधिकारों को बनाए रखने और अपने सभी नागरिकों के कल्याण की रक्षा करने के लिए बाध्य है.”
द टेलीग्राफ से साभार