कृषि बिल पास: सांसदों का वोटिंग हक़ छीना, RSTV म्यूट! हरिवंश झेलेंगे अविश्वास प्रस्ताव!

सड़क से संसद तक जारी भारी विरोध के बावजूद राज्यसभा से सरकार ने तीनों कृषि बिलों को पास करा लिया। विपक्ष की मत विभाजन की माँग नहीं मानी गयी और ध्वनिमत से यह बिल पास करा लिया गया। विपक्ष ने इसे नियमों का उल्लंघन और लोकतंत्र की हत्या करार दिया। लेकिन सबसे अजीब बात तो ये रही कि जब इस मुद्दे पर हंगामा हो रहा था तो कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने वाला राज्यसभा टीवी म्यूट यानी बेआवाज़ कर दिया गया।

सवाल है कि ऐसा कैसे हुआ। राज्यसभा चैनल के पूर्व सीईओ गुरदीप सप्पल के मुताबिक ऐसा सिर्फ़ वही कर सकता है जो पीठ पर बैठा हो। यानी उपसभापति हरिवंश की मेज़ के नीचे मौजूद बटन को दबाकर ही ऐसा किया जा सकता है।

ज़ाहिर है, आरोप सीधे उपसभापति हरिवंश पर लग रहे हैं। राज्यसभा में आने से पहले वे देश के जाने-माने पत्रकार थे जो सिद्धांतों को काफ़ी महत्व देते थे। प्रभात ख़बर के लंबे समय तक संपादक रहे हरिवंश को नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी यानी जेडीयू की ओर से राज्यसभा भेजा और उन्हें हाल ही में दूसरी बार उपसभापति निर्वाचित किया गया। हरिवंश के इतिहास को देखते हुए लोग हैरान हैं कि यह सब उनके पीठ पर रहते हुए हुआ। नाराज़ विपक्ष ने हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है।

स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने तो भी हरिवंश का इस्तीफा़ माँगा है। उन्होंने कहा कि उम्मीद तो ये थी कि हरिवंश जी इस बिल का विरोध करेंगे, जो वह उपसभापति के नाते नहीं कर सकते थे, लेकिन विपक्षी की आवाज़ को दबाकर उन्होंने सार्वजनिक जीवन का सारा पूण्य धूल में मिला दिया।

ज़ाहिर है, सरकार हर हाल में राज्यसभा से बिल पारित कराना चाहती थी, लेकिन जिस तरीक़े से शिरोमणि अकाली दल जैसे सहयोगी ने विरोध किया, उस राह पर और दल भी चल सकते थे, इसलिए नियमविरुद्ध जाते हुए मतविभाजन नहीं होने दिया गया। बतौर उपसभपति हरिवंश सरकार के हाथ के खिलौने बन गये। विपक्ष इससे बेहद ख़फ़ा है और इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहा है। उसने हरिवंश के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्यसभा में जिस तरह कृषि विधेयक को पास किया है उससे लोकतंत्र शर्मिदा है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि “जो किसान धरती से सोना उगाता है, मोदी सरकार का घमंड उसे ख़ून के आँसू रुलाता है। राज्यसभा में आज जिस तरह कृषि विधेयक के रूप में सरकार ने किसानों के ख़िलाफ़ मौत का फ़रमान निकाला, उससे लोकतंत्र शर्मिंदा है।”



 

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